निवेश का माहौल खराब करने के आरोप में प्रदर्शनकारी लिए गए हिरासत में
भारत और ऑस्ट्रेलिया की सरकारों द्वारा 2012 के बाद से किए गए परस्पर यूरेनियम व्यापार संधियों के विरोध में आपके साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए हम यह संदेश भेज रहे हैं। टोनी एबट आपके देश में ऑस्ट्रेलियाई यूरेनियम का निर्यात करने के लिए नरेंद्र मोदी के साथ जो समझौता करने जा रहे हैं, वह ऑस्ट्रेलिया की दो-तिहाई आबादी की मर्जी के खिलाफ़ है।
आगे पढ़ें…
कुमार सुंदरम
आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री के भारत दौरे के खिलाफ दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित दूतावास के सामने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं को गुजरी 4 सितम्बर 2014 को पुलिस ने हिरासत में ले लिया और नजदीकी थाने में बिठाए रखा. बातचीत के दौरान चाणक्यपुरी पुलिस थाने के एस पी ने आरोप लगाया कि ऐसे प्रदर्शन देश में निवेश का माहौल बिगाड़ रहे हैं.
ज्ञात हो कि दिल्ली में यह प्रदर्शन भारत-आस्ट्रेलिया के बीच होने जा रहे यूरेनियम आपूर्ति समझौते के खिलाफ आयोजित किया गया था. देश के सभी परमाणु ऊर्जा-विरोधी आन्दोलनों के साथ-साथ प्रमुख समाजकर्मियों और जनांदोलनों ने भी इस डील का विरोध किया है क्योंकि इससे उन परमाणु संयंत्रों को ईंधन मिलेगा जिनके लिए हज़ारों किसानों-मछुआरों को विस्थापित किया जा रहा है और पर्यावरणीय नियमों तथा सुरक्षा मानकों को टाक पर रख कर अंतर्राष्ट्रीय परमाणु कारपोरेटों को निमंत्रित किया जा रहा है, जो फुकुशिमा के बाद पूरी दुनिया में घाटा झेल रहे हैं.
दूसरी तरफ आस्ट्रेलिया में भी उन अश्वेत मूलनिवासियों की तकलीफ यूरेनियम खनन कारोबार के विस्तार के साथ बढेंगी, जिनकी ज़मीन पर असुरक्षित ढंग से ऑर जीविकाओं तथा पर्यावरण का भारी नुकसान करने के लिए आस्ट्रेलियाई खनन कंपनियां कुख्यात हैं. इस सिलसिले में एक दर्जन से अधिक आस्ट्रेलियाई नागरिक संगठनों ने भारत के आंदोलनकारियों के समर्थन में पत्र जारी किया ऑर अपना समर्थन जताया.
भारत में यहां विकास और निवेश की परिभाषा तय कर दी गयी है और इस पर अब नागरिक अपनी राय रखें पर अब अर्थशास्त्रियों और नागरिकों की नहीं, पुलिस की राय अंतिम होती
इसकी गुंजाइश जैसे ख़त्म हो गयी है. इन विषयों है. यह बेहद निंदनीय ऑर दुर्भाग्यपूर्ण है.
भारत और आस्ट्रेलिया के बीच परमाणु डील दोनों तरफ के धनी वर्ग को फ़ायदा पहुंचाने और गरीबों-ग्रामीणों की जिंदगियों की कीमत पर ,मुनाफ़ा बढाने की कारवाई होगी. इसके विरोध के लिए आम लोगों को अपनी आवाज़ बुलंद करनी होगी.