उत्तराखण्ड : विस्थापितों को गरीबी की ओर धकेलेगा पंचेश्वर बांध
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के झूलाघाट की पंचेश्वर नदी पर एक विशाल बांध बनाया जा रहा है जिसमें उत्तराखण्ड के तीन जिलों (अल्मोड़ा, चम्पावत व पिथौरागढ़) के 31,023 परिवार प्रभावित होंगे। कई हालिया समाचार रिपोर्टों के अनुसार, परियोजना प्रभावित परिवारों की भूमि को बाजार या सर्किल दाम का 4 गुना (प्रस्तावित) नहीं बल्कि 6 गुना मुआवजा मिलेगा। इस झुनझुने को परियोजना प्रभावितों के सामने हिलाया जा रहा है और इसे सभी समस्याओं के हल के रूप में बताया जा रहा है, लेकिन वास्तविकता में अगर हम मुआवजे के आंकड़ों को बारीकी से देखें तो इससे दो तथ्य स्पष्ट रुप से सामने आते हैं। पहला, केवल एक ही गांव में नीजी जमीन के कुल मुआवजे की 65% राशि खर्च होनी है। दूसरा, कुल प्रभावित परिवारों में से 80% अधिग्रहित होने वाली उपजाऊ और सम्पन्न भूमि के बदले बहुत ही कम मुआवजा मिलेगा। महाकाली लोक संगठन द्वारा 26 दिसंबर 2017 को एक रिपोर्ट जारी की गई जिसमें जनता के साथ किए जा रहे इस छलावे की असिलयत दिखाई गई है। हम यहां आपके साथ इस रिपोर्ट के महत्वपूर्ण पक्ष साझा कर रहे है;
उत्तराखंड सरकार के सिंचाई विभाग को 5040 मेगावाट पंचेश्वर बहुउद्देश्यीय परियोजना की पुनर्वास योजना को तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है, सामाजिक प्रभाव आंकलन रिपोर्ट के अनुसार परियोजना के लिये भारत की कुल 9,100 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण होना है। इसमें उत्तराखण्ड के तीन जिलों (अल्मोड़ा, चम्पावत व पिथौरागढ़) के 31,023 परिवार प्रभावित होंगे। कई हालिया समाचार रिपोर्टों के अनुसार, परियोजना प्रभावित परिवारों की भूमि को बाजार या सर्किल दाम का 4 गुना (प्रस्तावित) नहीं बल्कि 6 गुना मुआवजा मिलेगा। इस झुनझुने को परियोजना प्रभावितों के सामने हिलाया जा रहा है और इसे सभी समस्याओं के हल के रूप में बताया जा रहा है, लेकिन वास्तविकता में अगर हम मुआवजे के आंकड़ों को बारीकी से देखें तो इससे दो तथ्य स्पष्ट रुप से सामने आते हैं। पहला, केवल एक ही गांव में नीजी जमीन के कुल मुआवजे की 65% राशि खर्च होनी है । दूसरा, कुल प्रभावित परिवारों में से 80% अधिग्रहित होने वाली उपजाऊ और सम्पन्न भूमि के बदले बहुत ही कम मुआवजा मिलेगा। महाकाली लोक संगठन के सदस्यों का कहना है की “इससे स्पष्ट है की यह परियोजना विस्थापित होने वाले हजारों परिवारों को गरीबी और आर्थिक संकट कीओर धकेलेगी”।
भूमि के मुआवजे का 84% केवल 23 गांव को मिलेगा जबकि कुल 134 प्रभावित
वेपकास कम्पनी द्वारा बनायी गयी सामाजिक प्रभाव आंकलन रिपोर्ट के अनुसार पंचेश्वर बांध व रुपालीगाड़ बांध केलिये कुल 3735 हेक्टेयर निजी भूमि का अधिग्रहण होना है। नीचे दी गईतालिका में हमने पिथौरागढ़ जिले के 23 गांवों के मुआवजे की राशि का विश्लेषण किया है।
जिसमें से मजीरकांडा, दूत्तीबगड़, किमखोला, दूंगातोली, ज्योग्यूरा, बगड़ीहाट और भलिया गांव भी शामिल हैं।इन 23 गांवों को 5452 करोड़ रुपये मिल रहे हैं, जो की कुल प्रस्तावित मुआवजा राशि 6520.1 करोड़ का 84% है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कुल प्रभावित होने वाले 31,023 परिवारों में से केवल 7102 परिवार (23%) यानी एक चौथाई से कम परिवार इन 23 गांवों में हैं जिनको अधिकतर मुआवजा आंवटित होगा।
परियोजनाप्रभावित गांव
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परियोजना प्रभावितपरिवार
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निजी भूमि काअधिग्रहण (हेक्टेयरमें)
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मुआवजा (रुपयेकरोड़ में)
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औसतमुआवजाप्रतिप्रभावितपरिवार(रुपयेलाख में)
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संख्या
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प्रतिशत
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संख्या
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प्रतिशत
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संख्या
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प्रतिशत
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अधिकतममुआवजे वाले23 गांव
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7102
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22.89%
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1576.6
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42.20%
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5452.65
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83.63%
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77.00
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अन्य 111 गांव
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23921
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77.11%
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2159.2
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57.80%
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1067.5
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26.79%
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4.00
|
134
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31023
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100%
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3735.8
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100%
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6520.1
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100%
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इससे स्पष्ट होता है की परियोजना में मुआवजे के आंवटन में एक गम्भीर असमानता होने वाली है। प्राथमिक कारण यह दिखता है कि अलग-अलग गांवों की स्थिति और सड़क व बाजारों सेनिकटता के आधार पर, निजी भूमि का सक्रिल दामों में इतना अधिक अन्तर है।
मिसाल के तौर पर, सामाजिक प्रभाव आंकलन रिपोर्ट के अनुसार, पिथौरागढ़ जिले के मजिरकांडा गांव की 1279.21 हेक्टेयर निजी भूमि परियोजना के लिये अधिग्रहित होनी है यह कुल अधिग्रहित होने वाली निजी भूमि का 34% है। यह स्पष्ट नहीं है कि इतनी बढ़ी परियोजना में कैसे एक ही गांव की इतनी अधिक भूमि आ रही है। पुर्नवास योजना के अनुसार इस गांव में निजी भूमि केअधिग्रहण के लिये 4221.39 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे जोकि कुल मुआवजे राशि का इसका 65% है। यहां औसत मुआवजा, 6.6 लाख/ नाली (एक हेक्टेयर में 50 नाली जमीन होती है) है जोकि सर्किल दाम का चार गुना है।