संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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छत्तीसगढ़

याद किये गये शहीद नियोगी

पिछली 28 सितंबर को नियोगी शहादत दिवस के मौक़े पर कई जगह आयोजन हुए। भोपाल, मुंबई समेत कई जगहों पर आयोजन हुए। छत्तीसगढ़ में भी हुए- छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के नाम पर ही तीन आयोजन हुए। इनमें दो भिलाई में हुए- एक किलोमीटर के फ़ासले पर दो जनभाएं। यह आंदोलनों में ‘झंडा ऊंचा रहे हमारा’ की बढ़ती प्रवृत्ति का नमूना है। छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (मज़दूर कार्यकर्ता…
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संवैधानिक प्रावधान लागू कराने की मांग भी सत्ता को स्वीकार नहीं : विधानसभा घेरने जा रहे आदिवासियों पर निर्मम लाठी चार्ज

सत्ता की कथनी-करनी का गंभीर फर्क बार-बार सामने आता रहता है। भारतीय संविधान में आदिवासियों की विशष्टताओं को देखते हुए उनके लिए विशेष प्रावधान पांचवीं एवं छठवीं अनुसूची के रूप में किये गये हैं और वन अधिकार अधिनियम बनाते समय भी घड़ियाली आँसू बहाते हुए कहा गया था कि ‘ऐतिहासिक अन्यायों को समाप्त करने के लिए’ यह कानून लाया गया है जिससे कि आदिवासियों के…
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नयी राजधानी के लिए विस्थापन स्वीकार्य नहीं : किसानों की महापंचायत, लाठी चार्ज एवं…

छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी से महज 20 किलोमीटर की दुरी पर एक नयी राजधानी बसाने की योजना, वहां के 27 गांवों के…

बलात कब्जायी जमीनें, अपनाया साम-दाम-दण्ड-भेद का आजमाया तरीका! सरकार एवं कम्पनियों का विकास को तेज करने का नया अंदाज़ !!

छत्तीसगढ़ राज्य में 69000 एकड़ जमीन (जो कृषि भूमि है) को गैर कृषि कार्यों हेतु स्थानांतरित कर दिया गया। सड़क के किनारे की लगभग सारी की सारी जमीनों का मालिकाना अब किसानों का नहीं रह गया है। आज किसानों की भूमि हड़पने की तिकड़म अपने शबाब पर है। आज छत्तीसगढ़ में भूमि हड़पने की साजिशें सबसे बड़ी चुनौती है। रायगढ़ जनपद की रायगढ़, तमनार एवं घरघोड़ा…
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कार्यवाहियाँ पूर्व निर्धारित फिर भी जारी है जन सुनवाइयों की नौटंकी

पर्यावरण विभाग की जांच संदेह के घेरे में। कोल वाशरी की बोलती तस्वीरें। मामला ‘‘जिंदल कोल वाशरी’’ जन सुनवाई का…

जन सुनवाई का नाटक : जन विरोध को दबाने के लिए आँसू गैस, लाठी, गोली का इस्तेमाल

रायगढ़ के दर्रामुंडा के लोग नहीं चाहते थे कि कोई कंपनी उनके इलाक़े में डेरा डाले और उन्हें कहीं का न छोड़े…