संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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छत्तीसगढ़

जितना ऊंचा विकास का पहाड़, उतनी गहरी बदहाली की खाई

इस व्योपारी को प्यास बहुत हैगिर्दा उत्तरांचल में हुए तमाम जन आंदोलनों की सांस्कृतिक आवाज़ थे- चाहे वह नशा नहीं रोजगार दो आंदोलन रहा हो या फिर अलग उत्तराखंड राज्य का आंदोलन। वे एक साथ बहुत कुछ थे- नाटककार, संगीतकार, गायक, लोक परंपराओं के विशेषज्ञ, जन कवि... और सबसे पहले एक बेहतर इंसान। कोई दो साल पहले उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा और अपने पीछे पूरे…
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लूट के महायज्ञ में प्राकृतिक संसाधनों और आदिवासियों की बलि

हरियाली के आखेटक इलाहाबाद की ग़रीब बस्तियों के वाशिंदों के बीच अंशु मालवीय उनके संघर्षों के जुझारू साथी के तौर पर…

कैसा राज्योत्सव, किसका राज्योत्सव

चलव-चलव गा भाई कलादास डेहरिया कोई बीस सालों से जन संघर्षों के मोर्चे पर सांस्कृतिक सिपाही की हैसियत से तैनात हैं। इसकी प्रेरणा उन्हें शहीद नियोगी के संपर्क में आने से मिली। पेश है अन्याय, असमानता और उत्पीड़न की स्थितियों को रेखांकित करते हुए नये भारत के लिए नया छत्तीसगढ़ बनाने के लिए संघर्ष का आह्वान करता उनका यह लोकप्रिय गीत; चलव-चलव गा भाई,…
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प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा क़ानून धोखा है

प्रस्तावित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को लेकर जन चेतना ने लोक सहभागी मंच एवं भोजन अधिकार अभियान के साथ मिल कर 10 से 15 अक्टूबर तक रायगढ़ के पांच विकास खंडों में रायशुमारी का कार्यक्रम चलाया। कार्यक्रम के पांच पड़ावों में 140 गांवों के लोगों की हिस्सेदारी रही। पेश है सविता रथ की रिपोर्ट; रायगढ़ के पांच ब्लाकों में हुए पांच दिवसीय अभियान ने…
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‘ख़ुशहाल छत्तीसगढ़’ की हकीकत: 12 वें राज्योत्सव पर संघर्ष संवाद की पहल

1 नवंबर 2012 से नया रायपुर उर्फ़ न्यू रायपुर में एक हफ़्ते का मेला लगेगा और जो इतना भव्य और भड़कीला होगा कि आम…

बीस साल बाद किसानों को मिला इंसाफ़

अभी हाल में आये बिलासपुर उच्च न्यायालय के एक फ़ैसले ने उन किसानों में इंसाफ़ मिलने की आस जगा दी है जिनकी ज़मीन किसी परियोजना के लिए अधिग्रहीत की गयी लेकिन नियमानुसार उन्हें उस परियोजना में नौकरी नहीं मिली। यह फ़ैसला ग्रासिम (अब अल्ट्रा टेक) सीमेंट संयंत्र के मामले में आया जिसमें प्रबंधन को आदेश दिया गया कि प्रभावित किसानों को अगर नौकरी देने की…
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