.
राज्यवार रिपोर्टें
भगत सिंह: व्यक्ति नहीं, विचार का नाम।
आदियोग
23 मार्च कलेंडर की कोई तारीख़ भर नहीं है। यह भगत सिंह की शहादत का दिन है या कहें कि शोषणमुक्त और बराबरी पर आधारित समाज की स्थापना के सुहाने सपने को ताज़ादम करने का दिन है, उसे पूरा करने के लिए जुटने और लड़ने-भिड़ने का संकल्प मज़बूत करने का दिन है, जनता की मुक्ति की लड़ाई में विचार की ताक़त और बलिदान की भावना को सम्मानित किये जाने का दिन है,…
और पढ़े...
झारखंड में विरोध के बावजूद जिंदल के स्टील प्लांट को हरी झंडी, आंदोलनकारियों पर…
जिंदल के स्टील प्लांट पर मार्च 8, 2014 को असनबोनी, जिला-सिंहभूम (झारखण्ड) में सरकार ने पुलिसिया दमन के…
‘अनिवासी’ सारंडावासी !
झारखण्ड के सारंडा जंगल के बीच तकरीबन सौ गांव ऐसे हैं जिनके बारे में औपचारिक रूप
से राज्य या केंद्र सरकार…
होली-बजोली पॉवर प्रोजेक्ट का विरोध कर रहीं 32 महिला आंदोलनकारी गिरफ्तार
हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में होली-बजोली पॉवर प्रोजेक्ट के विरोध में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठी 32 महिलाओं को पुलिस ने 25 मार्च 2014 को महिला पुलिस कर्मियों पर हमला करने एवं कंपनी की मशीनरी की तोड़फोड़ करके कानूनी व्यवस्था बिगाड़ने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। ये महिलाएं लंबे समय से बजोली-होली पावर प्रोजेक्ट की सुरंग का निर्माण गांवों की…
और पढ़े...
भगत सिंह को याद करने का मतलब
आदियोग
23 मार्च कलेंडर की तारीख़ भर नहीं है। यह भगत सिंह की शहादत का दिन है या कहें कि शोषणमुक्त और बराबरी पर…
फायरिंग रेंज के खिलाफ सुलगती आदिवासी जनचेतना: नेतरहाट में संघर्ष के इक्कीस साल
देश की सुरक्षा के लिए आदिवासी सिर्फ सेना में ही अपनी जानें नहीं देते, उनकी ज़मीनों भी राष्ट्र की सुरक्षा की भेंट चढ़…
बेहतर भविष्य का घोषणापत्र
गुजरात के साणंद में 1 से 3 मार्च 2014 तक 'रोजी रोटी अधिकार अभियान' का पांचवां सम्मेलन संपन्न हुआ। इस दौरान जनहित खासकर वंचित वर्गों के अधिकारों की पैरवी करते हुए इस हेतु सतत संघर्ष का संकल्प भी लिया गया। इसी के साथ सांप्रदायिकता और विकास के गुजरात मॉडल को नजदीक से देखा और समझा गया। गौरतलब है कि इस सम्मेलन में न सिर्फ भारत की…
और पढ़े...
ग्रीन ट्रिब्युनल ने गोरखपुर परमाणु संयंत्र पर माँगा जवाब, सुनवाई शुरू
गुजरी 12 मार्च 2014 को राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्युनल के माननीय जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली मुख्य बैंच…
एक तरफ दीवार, दूसरी तरफ नहर और बीच में रहने को मजबूर लोग
बिहार की राजधानी पटना में टेश लाल वर्मा नगर झोपड़पट्टी है। यहां पर रहने
वाले 274 परिवार के ऊपर विस्थापन की तलवार…
अपनी जमीन पर बिता रहे विस्थापित जिन्दगी, कहानी पिढ़रवा गांव की
नये साल के पहले हफ्ते में जब भोपाल में शिवराज सिंह चौहान के मंत्री और विधायक विधानसभा में शपथ ले रहे थे, राज्य से गरीबी दूर करने का एलान किया जा रहा था और देश की राजधानी दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में आम आदमी की परिभाषाएँ तय हो रही थी, ठीक उसी समय भोपाल-दिल्ली से सैकड़ों-हजारों किलोमीटर दूर पिढरवा गांव के लोग अपने जमीन पर मकान न बनाने की बेबसी…
और पढ़े...