छत्तीसगढ़ : सरकार ने फिर से शुरू कर दी हसदेव के जंगलों में पेड़ों की कटाई, कई प्रदर्शनकारी गिरफ्तार
छत्तीसगढ़। दशकों से चल रहे विरोध के बावजूद छत्तीसगढ़ में हसदेव के जंगलों की प्रशासन और कंपनी ने मंगलवार की सुबह से पेड़ों की कटाई फिर से शुरू करा दी है, इस दौरान विरोध कर रहे ग्रामीणों को जबरन पुलिस पकड़ कर हिरासत में ले लिया है। यहां तक कि कटाई वाले क्षेत्र में पुलिस तैनात कर दिया गया है और किसी को जाने भी वहां जाने नहीं दिया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि पेड़ों की यह कटाई परसा ईस्ट केते बासन खदान के दूसरे फेज के लिए हो रही है। खदान के इस विस्तार से सरगुजा जिले का घाटबर्रा गांव उजड़ जाएगा। वहीं एक हजार 138 हेक्टेयर का जंगल भी उजाड़ा जाना है। इस क्षेत्र में परसा खदान के बाद इस विस्तार का ही सबसे अधिक विरोध था। ग्रामीणों के मुताबिक पुलिस ने मंगलवार को सूर्योदय से पहले ही खदान के विरोध में आंदोलन कर रहे 20 से अधिक आदिवासी ग्रामीणों को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने मीडिया से 12 लोगों को गिरफ्तार करने की बात स्वीकारी है वह भी आधिकारिक तौर पर नहीं। पुलिस के मुताबिक इन लोगों को पुराने मामले में गिरफ्तार किए जाने की बात कही है ।
जिन लोगों को पुलिस ले गई है उनमें पतुरियाडांड के सरपंच उमेश्वर सिंह अर्मो, घाटबर्रा के सरपंच जयनंदन सिंह पोर्ते, बासेन के सरपंच श्रीपाल सिंह और उनकी पत्नी, पुटा के जगरनाथ बड़ा, राम सिंह मरकाम, साल्ही के ठाकुर राम कुसरो, आनंद कुमार कुसरो, बासेन के श्याम लाल और उनकी पत्नी और शिव प्रसाद की पत्नी ।
इस पूरे मामले में हमने कलेक्टर और एसपी से जानना चाहा तो अभी तक उनका पक्ष नहीं आया है उनका पक्ष आते ही यह अपडेट कर दिया जाएगा।
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का परसा कोल ब्लॉक एक्सटेंशन पर हाल ही में बड़ा बयान सामने आया था राजस्थान विद्युत उत्पादन कंपनी को आवंटित परसा ईस्ट केते बासेन एक्सटेंशन को लेकर मंत्री टीएस सिंहदेव ने स्पष्ट किया था कि यह खदानें नहीं खुलेंगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इसके लिए सहमति दे दी है। पीकेईबी खदान का विरोध ग्रामीण करीब एक वर्ष से कर रहे हैं। प्रदेश सरकार ने खदान में कोल खनन के लिए एनओसी जारी की थी, लेकिन खदान के विरोध में स्वयं टीएस सिंहदेव ने ग्रामीणों का समर्थन करते हुए कह दिया था कि यदि गोली चली तो पहली मुझ पर चलेगी।
बता दें कि सरगुजा जिले के उदयपुर में राजस्थान विद्युत उत्पादन कंपनी को आवंटित परसा कोल ब्लॉक में फिलहाल उत्खनन चल रहा है। वर्ष 2023 तक के लिए स्वीकृत इस परियोजना में कोल खनन समाप्त होने की कगार पर है। इसके बाद परसा ईस्ट केते बासेन एक्सटेंशन परियोजना के लिए ग्रामीणों के विरेध के बीच प्रदेश सरकार ने खनन की अनुमति दे दी थी।
पीकेईबी कोल ब्लॉक का विरोध ग्रामीण एक वर्ष से अधिक समय से कर रहे हैं। प्रशासन एवं पुलिस द्वारा उत्खनन के लिए पेड़ों की कटाई शुरू कराने पर लोगों ने जंगल में निगरानी शुरू कर दी थी। ग्रामीणों का आरोप है कि कोल परियोजना के लिए प्रशासन ने फर्जी तरीके से ग्रामसभा की अनुमति दी है। ग्रामीणों के विरोध के कारण पेड़ों की कटाई नहीं हो सकी। अनुमान के अनुसार यहां करीब 2 लाख पेड़ काटे जाने थे।
सरकारी गिनती के अनुसार 4 लाख 50 हजार पेड़ कटेंगे। जबकि ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी गिनती में सिर्फ बड़े पेड़ों को ही गिना जाता है। जबकि छोटे और मीडियम साइज के पेड़ों की गिनती नहीं की जाती। ग्रामीणों का अनुमान है कि यहां 9 लाख से भी ज्यादा पेड़ काटे जाएंगे। इतने पेड़ अगर काट दिये गये तो प्रकृति का विनाश तय है। जिसका शिकार सरगुजा और कोरबावासियों को होना पड़ेगा।