छत्तीसगढ़ के वन कर्मियों का कारनामा : 46 बैगा आदिवासी परिवारों को किया बेघर
कवर्धा (छत्तीसगढ़)- मुख्यमंत्री के गृहजिला कवर्धा में वन अमले, राजस्व, पुलिस ने बैगा आदिवासियों के आशियाने को उझाड दिया, समान घरो के बाहर फेंक दिए गए, बैगा आदिवासी महिला,बच्चो, बुढो को पिकप में भरकर अन्यंत्र जगह छोड़ दिया गया यहाँ तक उनके साथ जानवरों जैसा मारपीट भी किया गया.
आप को बता दे कि विकासखण्ड पण्डरिया अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत माठपुर के टाटीडहरा में ग्रामीणों ने पुलिस प्रशासन, वन विभाग व राजस्व के अधिकारियों पर मारपीट, गुंडागर्दी और प्रताडि़त करने के आरोप लगाए हैं। इतना ही नहीं बैगाओं ने अधिकारियों पर जानवरों जैसा व्यवहार करने का भी आरोप लगाया है। इससे आक्रोशित सैंकडो़ बैगाओं ने गुरूवार को कलेक्ट्रेट पहुंचकर कलेक्टर से शिकायत की है और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।
जानकारी के अनुसार वर्ष 2015 से बिरहुलडिह, करहालु, नवाटोल, भूरभूसपानी, मजगॉव, लिफडी, कुन्डापानी, ढपरापानी, झिरपानी, गभोडा, अमलीटोला, कुसियारी में विशेष पिछडी़ जनजाति के 46 बैगा परिवार निवास करते थे। आरोप है कि यहां 3 जुलाई को वनविभाग और पुलिस ने वनअधिकार समिती को सामने रख कर बैगाओं के साथ बहुत मारपीट कर सभी बैगाओं के घरों को तोड़ दिया है।
साथ ही घर के सभी सामानों।को फेक दियाहै। वन विभाग का कहना था कि वन भूमि पर बैगा निवास कर रहे है वही ग्रामीणों के अनुसार पिछले पांच सालो से जमीन के पट्टे के लिए आदिवासी मुख्यमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक गुहार लगा चुके है. विदित हो कि बैगा जनजातीय विशेष संरक्षित जनजातीय में आते है जिन्हें राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र भी कहा जाता है, लेकिन प्रदेश में बैगा आदिवासियों के साथ अमानवीय व्यवहार करते हुए अनके घरो को तोड़ा जा रहा है.