पिछले 32 सालों से नर्मदा बचाओ आंदोलन की अलख को जगाए हुए हैं देवराम कनेरा
मध्य प्रदेश के धार जिले में कुक्षी तहसील के खापरखेड़ा ग्राम के निवासी देवराम कनेरा पिछले 32 सालों से नर्मदा आंदोलन में जी जान से लगे हुए हैं। देवराम कनेरा को, जिन्हें लोग प्यार से दादा कहते हैं, आज भी पुनर्वास नहीं मिला है किंतु फिर भी वह पूरी शिद्दत के साथ संघर्ष में लगे हुए हैं। नौजवानों के प्रेरणा स्रोत दादा देवराम कनेरा की कहानी सुना रहे हैं नर्मदा बचाओ आंदोलन के युवा कार्यकर्ता राहुल यादव;
नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता देवराम कनेरा जी जो ग्राम खापरखेड़ा तहसील कुक्षी जिला धार मध्यप्रदेश के निवासी है। जो पिछले 32 सालों से आंदोलन के कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे है। यह भी एक छोटे से गरीब परिवार से आते है, जब मेधा दीदी निमाड़ में गई तभी से जुड़ गए थे, उसके बाद आज तक भी कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे है। देवराम कनेरा जी को हम प्यार से दादा जी कहते है। देवराम दादा बहुत कम पढ़ने के बाद भी किसी भी मुद्दे पर 1 घण्टे से लगा पूरा दिन तक बोल सकते है। देश के व्यापक मुद्दों पर एक सोच रखते है। विकास की परिभाषा सही तरीके से बात सकते है। देवराम दादा ने सरदार सरोवर बांध से प्रभावित तीनो राज्यों का दौरा किया गया है, महाराष्ट्र के आदिवासी पहाड़ी के 33 गांवों का पूरा सर्वे किया गया है, गुजरात राज्य के 19 गाँवो व मध्यप्रदेश राज्य के 192 गाँव व 1 नगर का दौरा कई बार किया गया है पूरे क्षेत्र में आंदोलन की मजबूत करने का कार्य किया गया है।
देवराम दादा ने कई बार आमरण अनशन किया किया गया है, हर कार्यक्रम में धरना व जलसत्याग्रह इत्यादि कार्य किया गया है। दादा के रूप 182 प्रकरण दर्ज किए पुलिस से द्वारा किया गया जो आज भी चल रहे है। आज भी बड़वानी कोर्ट, कुक्षी कोर्ट व महाराष्ट्र में भी प्रकरण चल रहे है। आज भी आंदोलन पूर्णकालीन कार्यकर्ता के रूप में कार्य जारी है।दादा की कोई लड़का नहीं है, दो लड़की है।
दादा ने मध्यप्रदेश के विस्थापितों को गुजरात मे जमीन दी गई वहाँ की हर एक बसाहट की पूरी जानकारी है। आंदोलन के अलावा अन्य मुद्दों पर कार्य किया जा रहा है। दादा एक बार किसी मिलते है उसको कभी भी भूलते है नहीं है। दादा लिखते है, वहाँ पूरी जानकारी मौखिक याद रखते है किसी का नंबर पूछ वहाँ ऐसे बता सकते है। दादा को देखर हम कैसे युवाओ को एक नया जोश आ जाता है। दादा किस मुद्दे पर किस प्रकार से बात रखते है वह उससे सिख सकते है।
आंदोलन के कारण आज निमाड़ में दादा जैसे व्यकित निकले यहाँ शौभाग्य है।
दादा के पास एक छोटा जमीन का टुकड़ा था।
आज भी दादा का मकान का मुआवजा मिलना बाकी है, आज भी इनका पुनर्वास होना बाकी है।
दादा से साथ उनकी पत्नी भी आंदोलन दिल से जुड़ी हुई है उसका भी सहयोग रहा है, इसके अलावा इनकी दो लड़की संगीता व सपना का भी आंदोलन की सहयोग रहा है। दादा को दिल से जिंदाबाद, दादा को देखकर हमे काम करने की प्रेरणा मिलती है।