परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को रद्द करने की मांग, जापान की त्रासदी से सबक लेने का आह्वान
पश्चिम बंगाल के हरीपुर स्थित प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा संयंत्र के खिलाफ संघर्षरत मछुआरों, नागरिकों तथा पर्यावरणविदों ने एक बार फिर से अपनी बैठकों, सभाओं तथा प्रतिरोध प्रदर्शनों के जरिये हरीपुर ही नहीं बल्कि सभी प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग दोहरायी है।
हाल में जापान में आये भूकम्प, सुनामी तथा रेडियो एक्टिव धुंओं से प्रभावित जापान एवं पूर्वी एशिया के लाखों लोगों तथा हिरोशिमा-नागासाकी और चेरनोबिल परमाणु संयंत्र दुर्घटना से सबक लेने की शासकों, नीति निर्माताओं से अपील करते हुए ‘परमाणु विद्युत विरोधी प्रचार आंदोलन’ ने मांग की हैः- (21.03.2011)
- परमाणु संयंत्रों की विस्तार योजनाओं को तत्काल प्रभाव से रोका जाय।
- हरिपुर, जैतापुर तथा गोरखपुर में प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को तत्काल प्रभाव से रोका जाय।
- वर्ष 2015 तक भारत के सभी परमाणु संयंत्रों को समाप्त किया जाय।
- भारत-अमरीका परमाणु समझौते सहित सभी उन अंतर्राष्ट्रीय संधियों को रद्द किया जाय जो परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लिए सामानों की खरीद-फरोख्त से संबंधित हैं।
- यूरेनियम माइनिंग पर प्रतिबंध लगाया जाय।
ज्ञातव्य है कि प. बंगाल के पूर्वी मिदनापुर जिले के समुद्र तटीय इलाके कांथी में हरिपुर में प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा संयंत्र से लगभग 1 लाख मछुआरों का जीवन तथा जीविका प्रभावित होगी, क्योंकि सुरक्षा के कारणों से उनका समुद्र में प्रवेश वर्जित कर दिया जायेगा। समुद्र तटीय इलाका होने के नाते भविष्य में सुनामी, भूकम्प जैसी वही स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं जैसी जापान में हाल में हुई हैं।
प. बंगाल में राजनेताओं ने यह प्रचार कर रखा है कि यह परियोजना रद्द कर दी गयी है, परंतु असलियत यह है कि इसकी स्थापना के लिए एक रूसी कंपनी से समझौता (एम.ओ.यू.) भी किया जा चुका है। विधानसभा के चुनाव सामने हैं और सी.पी.एम. ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में इस परियोजना को रद्द कराने का आश्वासन दिया है। लोगों का संघर्ष जारी है।