संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

सिंगरौली में पुलिसिया दमन और कंपनियों के गठजोड़ के खिलाफ जनसंगठनों की लामबंदी तेज

पुलिस की तानाशाही बनाम जनता के अधिकार के सवाल पर पूरी ताकत से बोलने की जरुरत है। अतः आप सबसे अपील है कि आप भी इस अन्याय, आत्याचार के खिलाफ शांतिपूर्वक तरीके से अपना विरोध दर्ज करवाने के लिए बड़ी संख्या में 19 मई को बैढन चलें। सिंगरौली में पुलिस और कंपनियों के गठजोड़ के खिलाफ़ सोमवार 19 मई 2014 को आयोजित एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन के लिये…
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महान, मध्य प्रदेश में पुलिसिया दमन के बाद वन सत्याग्रही गिरफ्तार

मई, 8, सिंगरौली, मध्य प्रदेश। धमकियों और घटिया रणनीति के तहत की गई ग्रीसपीस और महान संघर्ष समिति के चार…

जनसंघर्षों के हौसले और रचनाशीलता की बेजोड मिसाल थे सुनील भाई

जुझारू समाजवादी नेता और चिन्तक, समाजवादी जन परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील भाई की याद में पांच मई 2014 को केसला में स्मृति सभा का आयोजन किया गया और तवा जलाशय में उनकी अस्थियों का विसर्जन किया गया. इस कार्यक्रम में देश भर के जनांदोलनों के कार्यकर्ताओं, अंचल के चार जिलों से आये श्रमिक आदिवासी संगठन, किसान आदिवासी संगठन, सजप के सैकड़ों…
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ग्रामीणों ने जंगल में कंपनी अधिकारियों को सर्वे और पेड़ों को चिन्हित करने से रोका

सिंगरौली, 6 मई 2014। एस्सार कंपनी ने महान जंगल क्षेत्र के ग्रामीणों के अधिकारों का एक बार फिर उल्लंघन किया।…

राजस्थान भूमि अधिग्रहण विधेयक 2014 को वापस लेने के संदर्भ में।

माननीय मुख्यमंत्री जी,राजस्थान, जयपुर विषय: राजस्थान भूमि अधिग्रहण विधेयक 2014 को वापस लेने के संदर्भ में। माननीय…

दयामनी बारला को बहुमत, जल जंगल जमीन पर हुकूमत !

झारखण्ड के खूंटी लोकसभा सीट पर जैसे जैसे मतदान की तारिख नजदीक आ रही है, खूंटी में चुनावी सक्रियता बढ़ती जा रही है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में फर्क भी बढ़ता जा रहा है। जहां एक ओर शहरी क्षेत्रों में झारखण्ड पार्टी, भाजपा और कांग्रेस ने झंडे और पोस्टरों से पूरा बाज़ार पाट दिया है, वहीँ दूसरी और आदिवासी बहुल ग्रामीण क्षेत्रों में 'आप'…
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झारखंड में विरोध के बावजूद जिंदल के स्टील प्लांट को हरी झंडी, आंदोलनकारियों पर…

जिंदल के स्टील प्लांट पर मार्च 8, 2014 को असनबोनी, जिला-सिंहभूम (झारखण्ड) में सरकार ने पुलिसिया दमन के…

‘अनिवासी’ सारंडावासी !

झारखण्ड के सारंडा जंगल के बीच तकरीबन सौ गांव ऐसे हैं जिनके बारे में औपचारिक रूप से राज्य या केंद्र सरकार को कोई जानकारी नहीं है. जाहिर है कि तब यहां के निवासियों की गिनती भी राज्य के बाशिंदों में नहीं होती. ये न वनग्राम हैं, न राजस्वग्राम. इस ‘प्रोटेक्टेड फोरेस्ट’ में रहने वाले करीब 25 हजार आदिवासी व अन्य वन निवासी बिना किसी ‘पता’ के…
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