संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

दामिनी बलात्कार और समाज व्यवस्था

दामिनी की सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ में मौत हो चुकी है। लम्बे समय तक सफदरजंग अस्पतला में उसका इलाज चला लेकिन दामिनी की हातल गंभीर होती चली गयी अंत में दामिनी को सिंगापुर भेजना पड़ा। इससे यह स्पष्ट है कि भारत सरकार का स्वास्थ्य के प्रति कितनी उदासीन है। हथियारों पर लाखों करोड़ खर्च करने वाली सरकार के पास आंतों के प्रत्यारोपण के लिए कोई बजट ही नहीं…
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मुलताई गोलीकांड : किसान लाचार, इंसाफ का इंतजार, 'किसान न्याय यात्रा' का…

मुलताई गोलीकांड : 15 सालों से संघर्षरत किसानों की 'किसान न्याय यात्रा' का पाँचवाँ दिन किसान संघर्ष समिति…

कारपोरेट लूट- पुलिसिया दमन विरोधी लोक संघर्ष यात्रा : ‘विकास’ ने लिला पति, सुगिया…

‘विकास’ ने लिला पति, सुगिया के द्वारा सुदर्शन की खोज जारी। तियरा में दिखी बैगा जनजाति के ‘संरक्षित’ घोषित होने…

मुलताई गोलीकांड : 15 सालों से संघर्षरत किसानों की ‘किसान न्याय यात्रा’ शुरू

मुलताई गोलीकांड में मारे गये किसानों के परिजन तो परेशान हैं ही फर्जी अभियुक्त बनाए गए किसानों को भी अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है उनकी मांगे सुनने वाला कोई नहीं है. मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के मुलताई तहसील में 12 जनवरी 1998 को फसल के नुकसान का मुआवजा मांगने के लिए हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में 24 किसान मार दिए गए थे. 15 साल पहले हुई…
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कारपोरेट लूट- पुलिसिया दमन विरोधी लोक संघर्ष यात्रा : संजय नामदेव फिर गिरफ्तार

लोक संघर्ष यात्रा जारी है.....आज सासन परियोजना से प्रभावित गावों में पहुचेगी यात्रा पिछले तीन माह के घटनाक्रमों पर…

नियमगिरी में कारपोरेट और राज्य सत्ता को कड़ी टक्कर देते आदिवासी

नियमगिरि के आदिवासी वेदांता के विरोध में कालाहांडी जिलाधिकारी के कार्यालय पर 10 जनवरी 2013 को प्रदर्शन करेंगे नियमगिरी का जुझारू जन-आंदोलन अब निर्णायक स्थिति में पहुँच गया है. आगामी 11 जनवरी को ग्रीन बेंच में खनन की स्वीकृति को लेकर सुनवाई होनी है जिसके विरोध में आंदोलन कमर कस चुका है. ज्ञात हो कि 13 अक्टूबर 2012 से वेदान्त की …
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कूडनकुलम आंदोलन निर्णायक दौर में

कूडनकुलम बेशक राष्ट्रीय मीडिया की सुर्ख़ियों से उतर गया हो, लेकिन ज़मीन पर भारी दमन के बावजूद विरोध जारी है.…

चलती बस में सामूहिक बलात्कार : शर्मसार हुई राजधानी

देश की राजधानी महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं। चलती बस में हुए बलात्कार ने इसकी एक बार और पुष्टि कर दी है। इस वहशी वारदात ने यह गवाही ज़रूर पेश की है कि महिलाओं को शिकार बनानेवाले भेड़िये किस हद तक बेख़ौफ़ हो चुके हैं। जहां पुलिस थाने महिलाओं के लिए असुरक्षित बने हुए हों, वहां सार्वजनिक स्थानों पर उनकी हिफ़ाज़त का बंदोबस्त कैसे मुमकिन हो सकता है?…
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