संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

नवउपनिवेशवाद का नया दौर : अफ्रीका में जमीन की लूट में भारत भी शामिल

मई 2009 में प्रकाशित इस समाचार के बाद से अब तक काफी जमीन हड़पी जा चुकी है विदेशों में भारतीय कंपनियों द्वारा पूंजी निवेश करने या उन देशों की कुछ कंपनियों का अधिग्रहण करने की प्रक्रिया को आम तौर पर भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास माना जाता है और इसकी बढ़-चढ़ कर…
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जिंदल, जंगल और जनाक्रोश: 2008 का पुलिस दमन नहीं भूलेंगे रायगढ़ के लोग

रायगढ़ में 5 जनवरी को काला दिवस मनाया गया। यह आयोजन 2009 से हर साल इसी तारीख को मनाया जाता है ताकि 2008 में…

बिहार राज्य आवास बोर्ड की मनमर्जी के खिलाफ दस्तक

पटना के दीघा आवासीय कॉलोनी के लोग पिछले तीन दिन से अपनी जमीन और घर बचाने के लिये बिहार राज्य आवास बोर्ड के विरोध में पटना के राजीव नगर पुल के पास धरना दे रहे है. पेश है आलोक कुमार की यह रिपोर्ट; बिहार राज्य आवास बोर्ड द्वारा बुलडोजर चलाकर दीघा क्षेत्र के एक दर्जन लोगों के घरों को नुकसान पहुंचाया गया है। यहाँ पर सुशासन में खुल्लमखुल्ला…
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किसानों की बेबसी बनाम सरकारी बेदिली

देश की राजधानी से मुश्किल से 250 कि.मी. की दूरी पर किसान अपनी ज़मीन बचाने के लिए लगातार 876 दिनों से धरने पर…

‘1885 के बाद अफ्रीका को लूटने का यह नया सिलसिला है’

पिछले दिनों जर्मनी में ‘एफेक्टिव कोऑपरेशन फॉर ए ग्रीन अफ्रीका’ के जर्मनी में आयोजित पहले अधिवेशन में ओबांग मेथो…

कारपोरेट लूट- पुलिसिया दमन के विरोध में दुर्ग में दस्तक: किसान-मजदूर-आदिवासियों ने किया प्रदर्शन

कंपनियों की जागारी नहीं, छत्तीसगढ़ हमारा है! लाठी गोली की सरकार नहीं चलेगी, नहीं चलेगी!! छत्तीसगढ़ में आज तथाकथित विकास के नाम पर आदिवासियों के जंगल-जमीन-नदियों को आँख मूंदकर राज्य सरकार बेच रही है. सिर्फ कोरपोरेट को लाभ पहुचने के लिये लाखों आदिवासियों के जीवन को दाव पर लगाया जा रहा है. अकेले जांजगीर चांपा जिले में 34 थर्मल…
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मंत्री जी, देश की वनभूमि पर कारपोरेट का जंगलराज कायम हो गया है !

देश आज उस मुहाने पर खड़ा है जहां या तो जंगल बचाने वाले आदिवासी बचेंगे, या जंगलराज लाने वाले कारपोरेट. देश का क़ानून…

आप आंदोलन में हैं, तो व्यक्तिगत मुकदमों के लिए तैयार रहें : दयामनी बारला

जेल से छूटने के बाद दयामनी बारला से आज दिल्ली में मुलाकात हुई. कारपोरेट-सरकारी गठजोड आज जिस शातिर तरीके से उन सबकी…

मुलताई गोलीकांड के 15 साल पुरे : किसान लाचार, इंसाफ का इंतजार

मुलताई गोलीकांड में मारे गये किसानों के परिजन तो परेशान हैं ही फर्जी अभियुक्त बनाए गए किसानों को भी अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है उनकी मांगे सुनने वाला कोई नहीं है. मध्य प्रदेश के मुलताई में गुजरी 12 जनवरी को उसी जिला कोर्ट के सामने जिसमें 19 अक्टूबर 2012 को डा0 सुनीलम् और उनके साथियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, देश भर के जन आंदोलनों के…
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