बस्तर बंद: आदिवासी समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ उठी आवाज
आदिवासी इलाकों में सुरक्षा बलों द्वारा महिलाओं के साथ छेड़-छाड़ अब कोई नई खबर नहीं रह गई है। लेकिन इम्तहां तब हुई जब रक्षाबंधन के दिन आदिवासी कन्या पोटाकेबिन एवं कन्या छात्रावास पालनार, दंतेवाड़ा में सुरक्षा बलों के जवानों ने राखी बंधवाने की आड़ में छेड़-छाड़ की। इतना ही नहीं बस्तर संभाग का आदिवासी समुदाय लंबे समय से अत्याचार, शोषण, तथा राज्य द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन को झेलता आ रहा है। इन अत्याचारों के विरुद्ध 6 सितंबर को बस्तर बंद का आह्वान किया गया जो सफल रहा। हम यहां आपके साथ बंद तथा उसके पीछे की घटनाओं पर एक विस्तृत रिपोर्ट साझा कर रहे हैं;
बस्तर:- आदिवासी कन्या पोटाकेबिन एवं कन्या छात्रवास पालनार जिला दंतेवाड़ा में सुरक्षा बल के जवानो द्वारा नाबालिक छात्राओ से अश्लील हरकत छेड़छाड़ व 9 अगस्त 2017 विश्व आदिवासी दिवस के दिन पखांजूर में आसामजिक तत्वों द्वारा बाधा उत्पन्न कर कुटरचित एफ आई आर , नगरनार स्टील प्लांट का निजीकरण, और भारत का संविधान पांचवी अनुसूची क्षेत्र पारम्परिक ग्राम सभाओ निर्णय प्रस्ताव का प्रशासन द्वारा अनुपालन करने तथा विभिन्न मांगो के ऊपर कर्यवाही को लेकर आदिवासी समाज द्वारा 6 सितम्बर को बस्तर संभाग बंद का आव्हान किया गया था, जो पांच जिलों में पुर्ण व दो जिलों में आंशिक रूप से बंद का समर्थन मिला विदित हो कि अनिसुचित क्षेत्र बस्तर संभाग में आदिवासी समूदाय पर लगातार अत्याचार, शोषण,संवैधानिक प्रावधानों का उल्लघंन, मूल अधिकारों का हनन हो रहा है, बस्तर बंद के दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है, खबर लिखे जाने तक बस्तर संभाग में कांकेर कोंडागांव बीजापुर दंतेवाडा नारायणपुर बंद की खबर है वही जगदलपुर, सुकमा में अंशकालिक बंद की खबर है.
ज्ञात को कि 31 जुलाई 2017 को जिला प्रशासन व निजी न्युज चैनल द्वारा प्रायोजित रक्षाबंधन कार्यक्रम के आड़ में पोटाककेबिन में 100 हथियारबंद सीआरपीएफ जवानों का प्रवेश होता है। कुछ जवानों के द्वारा 16 नाबालिग आदिवासी छात्राओ के साथ अश्लील हरकत जिला प्रशासन- पुलिस व शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में हुई थी.आदिवासी समाज ने कहा कि इसकी लिखित शिकायत पोटाककेबिन अधीक्षिका के द्वारा दिनांक 1 अगस्त 2017 को जिला कलेक्टर को अवगत कराने के बावजुद जिम्मेदार अफसर एक सप्ताह तक मामले को छुपाये रखे। मीडिया में खबर आने के बाद समाज द्वारा संज्ञान लेने के बाद दिनांक 7 अगस्त 2017 को संबंधित आरोपियो के विरूद्ध कमजोर धाराओं के तहत रिपोर्ट दर्ज कर सिर्फ खानापूर्ती की गई समाज ने कहा कि निम्न तथ्यों पर प्रश्नों के उत्तर एवं कार्यवाही चाहती है-
जिला प्रशासन- पुलिस एव शिक्षा अधिकारी माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश रिट पिटीसन (सिविल) 250/2017 एवं छ0ग0 शासन गृह विभाग मंत्रालय डी.के.एस. भवन रायपुर का आदेश मांक एफ/4/46/ दो-सी/08 रायपुर दिनांक 17/102008 की अनिष्ठा व अवहेलना किया गया। कन्या पोटाक केबिन में आनाधिकृत पुरुषों का प्रवेश निषेध है। बिना वैधानिक अनुमति के प्रवेश करने वालों पर कार्यवाही क्यों नही की गई?सी.आर.पी.एफ,जिला प्रशासन, पुलिस, शिक्षा विभाग एवं निजि न्युज चैनल के अधिकारी/कर्मचारी किस अधिकारी के अनुमति पर कन्या पोटाकेबिन पालनार में प्रवेश कर उक्त कार्यक्रम का आयोजन किया गया?
समाज का आरोप है कि इसके पूर्व में भी सी.आर.पी.एफ. जवानों के द्वारा दक्षिण बस्तर में आदिवासी महिलाओ के साथ बलात्कार एवं छेड़छाड़ की अनगिनत घटनाएं हुई हैं जिसे सरकार बिना किसी उचित जांच के नकारती रही है। परंतु इस घटना से अब यह सिद्ध हो गया क्योंकि जिला प्रशासन के अधिकारियों के सह पर उनकी उपस्थिति में 16 नाबालिग छात्राओं के साथ अश्लील हरकत किया गया। इससे पुर्व की घटनाओं पर भी इसी प्रकार अधिकारियों के द्वारा अपराधों पर पर्दा डाला गया यह प्रमाणित होती है। जिला कलेक्टर, एसपी को घटना की लिखित शिकायत अधीक्षिका द्वारा दिनाक 1 अगस्त 2017 को करने के बाद भी एक सप्ताह तक छिपाये रखना और मीडिया, समाज के द्वारा संज्ञान लेने पर 7 अगस्त 2017 को कमजोर धाराओं के तहत रिपोर्ट दर्ज कर महज खानापूर्ति की गई अर्थात् अपराध को छुपाने व आरोपियों को बचाने की पुरी कोशिश की गई है अतः समाज मांग करती है कि संलिप्त अधिकारियों को तत्काल निलंबित कर इनके खिलाफ सहआरोपी बनाते हुए गिरफ्तार किया जावे। समाज ने रक्षाबंधन कार्यक्रम के दौरान जिला प्रशासन, पुलिस, शिक्षा विभाग के अधिकारियों तथा सी.आर.पी.एफ जवानों द्वारा अश्लील गानों पर नाबालिग कन्याओं के साथ अश्लील नृत्य किया गया समाज ने विडियो क्लीप की सीडी भी संलग्न किया गया.
वही नगरनार स्टील प्लांट का निति आयोग द्वारा निजीकरण करने का विरोध आदिवासी समाज ने किया वही पांचवी अनुसूची क्षेत्र की पारम्परिक ग्राम सभा का का पालन न करने और संविधान के उल्घंन का आरोप लगाया. जानकरी हो कि समाज ने चेतावनी दी है कि सरकार और प्रशासन विभिन्न मुद्दों को लेकर कार्यवाही नही करती है तो 15 सितम्बर 2017 से अनिश्चित कालीन आर्थिक नाकेबंदी करने पर समाज बाध्य होगा जिसका जिम्मेदार समाज ने सरकार और प्रशासन को ठहराया है.
आदिवासी समाज ने बंग शरणार्थियो की जनसख्या वृद्धि पर उठाये सवाल आखिर इनकी जनसंख्या 5,00, 000 (पांच लाख) कैसे हो गयी ?
आदिवासी समाज ने बंग समुदाय को लेकर आरोप लगाते हुए प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा कि 9 अगस्त 2017 विश्व आदिवासी दिवस पखांजूर में आसामाजिक तत्वों द्वारा सामाजिक रैली में विघ्न उत्पन्न कर कुटरचित एफआई.आर का विवरण अनुसूचित क्षेत्र जिला कांकेर (छ.ग.) की जिला स्तरीय विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम पखांजूर में रैली के दौरान असामाजिक तत्वों द्वारा जबरदस्ती विघ्न उत्पन्न कर रैली में बाधा उत्पन्न किया गया तथा सर्वआदिवासी समाज के पदाधिकारियों के नाम पर कूटरचित एर्फ.आइ .आर. दर्ज कराया गया। दिनांक10 अगस्त 2017 को इन अवैध असामाजिक घुसपैठियों का असंवैधानिक बांग्लादेश शरणार्थी समुदाय के समाज पदाधिकारियों द्वारा समर्थन कर पखांजुर, परलकोट क्षेत्र के विद्यालयों को बलपूर्वक बंद कर उत्पात मचाया गया। समाज निम्न तथ्यों पर प्रश्नों के उत्तर एवं कार्यवाही चाहती है सामाज ने विज्ञप्ति में बताया कि भारत का संविधान क अनुच्छेद 244 (1)के अनुसार अनुसूचित क्षेत्र में अन्य देश के शरणार्थीयों को केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 1960-61 व वर्ष 1971-72 में लगभग 503 परिवार को शरण दिया गया था। परंतु वर्ष 1981-82, वर्ष 1985-86 एवं वर्ष 1996 में अवैध व्यक्तियो को असवैधानिक रुप से इन शरणार्थीयों ने केंद्र सरकार व जिला प्रशासन के बिना अनुमति के प्रवेश कराया गया है। केन्द्र सरकार द्वारा शरण दी गई परिवारों की वंशावली की जांच कर एवं भारत की नागरिकता अप्राप्त अवैध घुसपबैठियों की छानबीन कर जिला प्रशासन व केंद्र सरकार भारत का संविधान का अनुच्छेद 244(1),19(5) 19(6) का अनुपालन एवं कार्य वाही सुनिश्चित कर भारत का संविधान का सम्मान करें।
सूचना के अधिकार के तहत् जिला प्रशासन द्वारा ली गई जानकारी के अनुसार अनुसूचित क्षेत्र बस्तर संभाग में केन्द्र सरकार द्वारा शरण दी गई शरणार्थियों की संख्या निम्नानुसार हैः-
उपरोक्त आंकड़ों के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा शरण दिये गये शरणार्थीयों की जनसंख्या 2822 थी। 503 परिवारों की दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर से आंकलन करने पर भी चार दशकों में इनकी जनसंख्या बत्तीस गुना लगभग 48 000 ही संभव है। तो वर्तमान में पखांजूर तहसील मे ही इनकी जनसंख्या 1, 50, 000 (एक लाख पचास हजार) एवं पुरे संभाग में लगभग 5,00, 000 (पांच लाख) कैसे हो गयी जबकि उन स्थानों में अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या कैसे निरंतर कम होते जा रही है
समाज ने विज्ञप्ति के माध्यम से आरोप लगाया कि विश्व आदिवासी दिवस रैली में बाधा उत्पन्न करने वाले अवैध घुसपैठियों द्वारा आदिवासी समाज प्रमुख के विरुद्ध कूटरचित रिपोर्ट पुलिस प्रशासन द्वारा किस आधार पर दर्ज किया गया अवैध घुसपैठियों के द्वारा अनुसूचित जनजाति आदिवासी वर्ग के महिलाओं को बहला फुसलाकर जबरदस्ती फांस कर विवाह कर उनके नाम पर सरपंची,जमीन खरीदी, जमीन कब्जा एवं अनु.ज.जावर्ग हेतु संचालित योजनाओं पर कब्जा किस आधार पर किया जा रहा है समाज ने मांग किया कि भारत की वैध नागरिकता अप्राप्त घुसपैठियो के द्वारा अनुसूचित जनजाति आदिवासियों की लोक कला, संस्कृति रीति रिवाज, पेन सभ्यतार नष्ट कर रहे हैं। जबकि भारत का संविधान के अनुच्छेद 13 (3)क एवं अनुच्छेद 14 के तहत अनुसूचित जनजाति आदिवासी समुदाय के रूढिगत प्रथा राज्य सरकार द्वारा संरक्ष्ण सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
सर्व आदिवासी समाज बस्तर के जिला अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने बताया कि इस आंदोलन को बस्तर जिले के सभी मूल समाज ने लिखित समर्थन प्रदान किये हैं। साथ ही 4 सितम्बर को चुपचाप पखांजूर में कांकेर सांसद व अंतागढ़ विधायक द्वारा सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारियों से बिना जानकारी के शान्ति समझौता बैठक की इस घटना को मौका परस्त बताया और समाज को धोखा देने वाली आचरण करार दिया। पूरा समाज इसका संविधान के अनुसूचित प्रावधानों की पालन कराने की मांग करती है तो ये धोकेबाज संविधान की उल्लंघन करने वालों का साथ देते हैं आगामी दिनों में सर्व आदिवासी समाज इनका राजनैतिक बहिष्कार करेगा और संविधान के अनुच्छेद 19(5,6) ,244(1) की अनिष्ठा व उल्लंघन के मामले में न्यायालय में मामला भी चलाने पर विचार किया जाएगा। जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन भी संविधान के इन अनुच्छेद का उल्लंघन कर रहे हैं।इसे भी समाज न्यायालय में याचिका दायर की जाएगी। समाज द्वारा संविधान के अनुच्छेदों के पूर्ण पालन करने हेतु राज्यपाल महोदय जो कि अनुसूचित क्षेत्र का संरक्षक होता है के नाम कमिश्नर बस्तर को ज्ञापन दिया गया। एक ज्ञापन नगरनार स्टील प्लांट के निदेशक को अनुसूचित क्षेत्र में उद्योग का विनिवेशीकरण असंवैधानिक है । इस बाबत ज्ञापन नगरनार में दिया गया है और15 सितंबर तक मामला स्पष्ट करने का समय दिया गया है अन्यथा अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी की जिम्मेदारी तय कर लीजिए। और मांग की गई है कि यदि केंद्र व राज्य सरकार इस प्लांट को नहीं चला सकती है तो सर्व आदिवासी समाज बस्तर संभाग आदिम जनजाति सहकारी सोसायटी के द्वारा इस प्लांट को संचालित करके दिखाएगी। उपरोक्त चारों मामलों की समस्या अनुसूचित क्षेत्रों की भारत का संविधान का राज्य व जिला प्रशासन द्वारा उल्लंघन करने के कारण ही है। बस्तर संभाग की सभी प्रकार की समस्याओं का निदान पांचवी अनुसूची में ही है। ठाकुर ने कहा कि 11 आदिवासी जनप्रतिनिधि भी आदिवासियों की अत्याचार पर पार्टियों की गुलामी करते हैं इसलिए बस्तर में समस्याओं में कोई समाधान नहीं हो पाती बल्कि इनकी चुप्पी से संविधान के उल्लंघन करने वालों के हौसले बढ़ते जा रहे हैं। इस बंद का असर सम्भाग के ब्लॉक व गाँवो में ज्यादा देखा गया। केशकाल, विश्रामपुरी, बकावंड सोनारपाल आदि क्षेत्र पूर्णतः बंद रहे।