बस्तर : सुरक्षा बल के जवानों की बर्बरता का शिकार हुई आदिवासी नाबालिक लड़की
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के चिंतागुफा गांव में 1 अप्रैल 2017 को पुलिस के जवानों ने सुबह चार बजे घर में घुस कर बाप के सर पर बंदूक की नोक टिका कर पिता के सामने उसकी 14 साल की बेटी के साथ बलात्कार किया, 6 अप्रैल को लड़की अपने गाँव से निकल कर सुकमा ज़िला मुख्यालय पहुँच कर एसपी को अपनी लिखित शिकायत दी है;
छत्तीसगढ़ के बस्तर में आदिवासी लडकियों और महिलाए लगातार बलात्कार की शिकार हो रही है और ये बलात्कार के आरोप बस्तर में नक्सलियों से मोर्चा लेने के नाम पर तैनात सुरक्षा बलों के जवानो पर लग रहा है, बस्तर में नक्सली उन्मूलन के नाम पर आदिवासी किशोरियों और महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाए लगातार सामने आ रही है, जिनमे तो कुछ घटनाए नाबालिक किशोरियों के साथ घटा है, ताजा घटना क्रम सुकमा जिले अंतर्गत चिंतागुफा का है जहा 14 वर्षीय नाबालिक आदिवासी किशोरी के साथ घर में जबरन घुस कर गश्त पर निकले सुरक्षा बलों के जवानो पर बलात्कार के आरोप लगे है, जानकारी के अनुसार 2 अप्रेल रविवार को गश्त पर निकले सुरक्षा बल के जवानो पर बन्दुक की नोक पर बंधक बना कर नाबालिक आदिवासी किशोरी से बलात्कार का आरोप है, मामले को लेकर माकपा राज्य सचिव ने एक बयान में कहा कि पुलिस व अर्धसैनिक बलों द्वारा आदिवासियों और महिलाओं को इससे पहले भी प्रताड़ित किया जाते रहा है, जिसकी पुष्टि मानवाधिकार आयोग और कई स्वतंत्र जाँच दलों ने अपनी छानबीन में की है,माकपा ने कहा कि जल्द दोषियों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए.
बस्तर में एंटी नक्सल आपरेशन के दौरान आदिवासी महिलाओं के साथ दुष्कर्म, छेड़छाड़ का आरोप यह पहली बार नही है इससे पहले भी बस्तर में महिलाओं पर दुष्कर्म के आरोप सुरक्षा के सिपाहियों पर लगते रहे है हाल ही में राष्ट्रिय मानव अधिकार आयोग ने छत्तीसगढ़ सरकार को एक नोटिस जारी किया जिसमे 16 आदिवासी महिलाओं के साथ बलात्कार और छेड़छाड़ की रिपोर्ट को संज्ञान में लेते हुए स्वतः छत्तीसगढ़ शासन को नोटिस थमाया था, सुरक्षा बालो के जवानो के ऊपर आरोप था कि बीजापुर जिले के पेद्दागेलुर , चिन्ना गेलुर, पेदमापल्ली और आस-पास के गांवो में गर्भवती महिलाए, नाबालिक किशोरिया के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया.
बस्तर में आदिवासियों के मुद्दों पर कार्यरत सामाजिक कार्यकर्त्ता शालिनी गेरा के अनुसार बस्तर में महिलाओं के ऊपर हुए यौनिक हिंसा पर कार्यरत स्वतंत्र जाँच दल WSS ने एक रिपोर्ट दी है रिपोर्ट के अनुसार WSS की टीम द्वारा जाँच की गई यौनिक हिंसा की घटनाएँ
19 – 24 अक्टूबर 2015 को ग्राम पेद्दागेलूर, पेगड़ापल्ली, चिन्नागेलूर, बुड़गीचेरू एवं गुंडम (थाना बासागुड़ा, जिला बीजापुर) में संयुक्त CRPF एवं पुलिस बल द्वारा ग्रामीण महिलाओं के विरुद्ध सामूहिक यौनिक हिंसा, मारपीट एवं लूटमार की गई। इसमे दिनांक 1.11.2015 को बीजापुर थाना में FIR दर्ज की गई जिसकी 4.11.2015 में वासागुड़ा थाना में अपराध क्र. 22/2015 में कायमी की गई। यह देश का संशोधिक रेप के कानूनों के तहत पहला अपराध बना जहाँ पर धारा 376(2)(ग) का उपयोग हुआ जो कि सुरक्षा बलों द्वारा बलात्कार की धारा है।
इस घटना में तीन महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ, जिनमें से एक 14 वर्षीय नाबालिग लड़की थी। लगभग 25 महिलाओं के साथ अन्य यौनिक हिंसा (जैसे कि निर्वस्त्र करना, स्तन दबोचना, इत्यादी) और मारपीट भी हुई – एक महिला की बाँह तोड़ी गई थी। बहुतों ने शिकायत की कि सुरक्षा बलों ने उनकी बकरियाँ, मुर्गे, नकद भी चुराए।
लाँकि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एवं राष्ट्रीय अनुसचित जनजाति आयोग ने इन घटनाओं की पुष्टी की, और CID इन की जाँच कर रहा है, अभी तक इन से संबंधित कोई भी गिरफ्तारी नहीं हुई है।
12 जनवरी 2016 को ग्राम कुन्ना एवं छोटा गादम, थाना कुकानार, जिला सुकमा के नवुयुवक एवं नवयुवतियों को पुलिस एवं सुरक्षा बलों द्वारा बहुत प्रताडित किया गया। विशेषकर करीब 5 महिलाओं को निर्वस्त्र कर सार्वजनिक रूप से स्कूल की तरफ घसीट कर ले गये और इनके साथ गाली गलोच किया और इनको बहुत मारा। अन्य महिलाओं को गाँव में ही मारा, 2 महिलाओं के साथ बलात्कार भी किया गया। कुल 9-10 महिलाओं के साथ यौनिक हिंसा हुई। 15.1.2016 को 7 ग्रामीँण महिलाओं ने आयुक्त के समक्ष शिकायत की, और आयुक्त ने इनकी शिकायत उचित कार्यवाही हेतु कुकानार थाना और सुकमा पुलिस अधीक्षक को भेज दी। परन्तु सुकमा पुलिस ने कोई fir नहीं दर्ज की। 23.1.2016 को आदीवासी ग्रामसभा ने थाना घेराव किया, तब इस घटना के संदर्भ में 27.1.2016 को कुकानार थाना 7 ग्रामीण महिलाओं की ओर से FIR दर्ज हुआ, परन्तु सामूहिक बलात्कार की धारा नहीं लगाई गई है।
हालाँकि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एवं राष्ट्रीय अनुसचित जनजाति आयोग ने इस घटना दौरान यौनिक हिंसा की पुष्टी की, और CID इन की जाँच कर रहा है, अभी तक इन से संबंधित कोई भी गिरफ्तारी नहीं हुई है।
11 से 14 जनवरी 2016 के बीच ग्राम बेल्लमलेंड्रा, थाना बासागुड़ा , जिला बीजापुर में सुरक्षा एवं पुलिस के जवानों द्वारा व्यापक रूप से महिलाओं के साथ यौन हिंसा हुई। यहाँ 13 सामूहिक वलात्कार की ऐसी घटनायें है जहाँ पीडित महिला स्वयं शिकायत लगाने के लिये तैयार है। यहाँ बहुत ऐसे भी केस हैं जहाँ किसी कारणवश महिलाएं इस घटना के संदर्भ में शिकायत नहीं कर रही हैं। लगभग 7 महिलाओं के साथ मारपीट हुई और 20 ग्रामीणों की सम्पत्ति लूटी गई।
18.1.2016 को महिलाएं कलेक्टर से मिली, पर उसने FIR दर्ज करने का आदेश नहीं दिया। महिलाओं ने बीजापुर में 5 दिन तक धरना दिया, तब बीजापुर थाना में 22.1.2016 को FIR दर्ज हुआ।
हालाँकि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एवं राष्ट्रीय अनुसचित जनजाति आयोग ने इन घटनाओं की पुष्टी की, और CID इन की जाँच कर रहा है, अभी तक इन से संबंधित कोई भी गिरफ्तारी नहीं हुई है।
जनवरी 2016 – ग्राम कोरचोली थाना गंगालूर, जिला बीजापुर – पुलिस एवं सुरक्षा बल के जवानों द्वारा एक विवाहित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार और तीन नाबालिग लडकियों के साथ मारपीट और छेड़छाड़ किया गया। इसकी शिकायत 7.5.2016 को बीजापुर थाने में दी गई पर इनमें कोई कार्यवाही नहीं हुई। पीडित महिला का थाने में बयान भी हुआ है पर फिर भी आज दिनांक तक न तो इस केस में FIR दर्ज की गई है, और न ही कोई गिरफ्तारी हुई है।
बस्तर के बीहड़ छेत्रो में महिलाओं के साथ अनाचार-आत्याचार की खबरे लगातार सामने आती रहती है. बस्तर के पत्रकार प्रभात सिंह कहते है कि बस्तर में ऐसे अनेक मामले है जो कई बार जंगल के अंदर ही दम तोड़ देते है. जो मामले बहार आते है उनमे किसी प्रकार की कार्यवाही नही होती.
मामले को लेकर आदिवासी छात्र संगठन की की सक्रिय छात्रा बबिता तिर्की कहती है सरकार महिला उत्थान की बात करती है लेकिन बस्तर में सुरक्षा बल के जवान आदिवासी महिलाओ के देह के साथ खेल रहे है, जो शर्म की बात है . अब क्या जवाब देगी रमन सरकार क्या फिर से कोई जाँच समिति बनेगी जवाब मिलते तक फिर से कोई घटना घट चुकी होगी, बंदूक की नोक पर नक्सल उन्मूलन के नाम पर तैनात सुरक्षा बल के जवान आदिवासी महिलाओ के देह के साथ खिलवाड़ के उनका शोषण कर रहे है.
कांग्रेस प्रवक्ता भूजित जोशी कहते है कि बीजापुर में सुरक्षा बलों पर लगे दुष्कर्म के आरोप की पुष्टि राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग ने कर दिया है उसके पश्चात भी राज्य सरकार ने कार्यवाही नही किया है. ज्ञात हो की चिंतागुफा में जब नाबालिक आदिवासी कन्या के साथ दुष्कर्म की खबर आई तो उस वक्त प्रदेश के मुख्यमंत्री उसी छेत्र में लोक सुराज अभियान अंतर्ग्रत अनेक शिलान्यास कार्यक्रम में जुटे थे.
खबर है कि आदिवासी महासभा के राष्ट्रिय अध्यक्ष मनीष कुंजाम, सीपीआई के जिला सचिव रामा और अन्य सीपी आई के नेता अथवा सीपीआई के महिला फेडरेशन के पधाधिकरियो ने चिंतागुफा जा कर पीड़ित नाबालिक कन्या को सुकमा लेकर गुरुवार शाम तक आ गए. दुष्कर्म पीड़ित नाबालिक छात्रा गुरुवार शाम को एस पी दफ्तर पहुँच कर लिखित शिकायत कर न्याय की गुहार लगाई गई. वही पुरे मामले को लेकर पुलिस द्वारा मनगढ़त बता कर दबाने की पूरी कौशिश की जा रही थी खबर लिखने तक दुष्कर्म पीड़ित छात्रा का मेडिकल टेस्ट नही हो पाया था, वही सीपीआई ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से शिकायत किया जाएगा दोषियों पर कार्यवाही नही होती है तो आन्दोलन करेंगे, वही खबर है कि चिंतागुफा दुष्कर्म मामले में प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा कवासी लखमा के संयोजकत्व में 8 सदास्यीय टीम बना कर जाँच के लिए टीम गठित की गई है.