संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
.

पाँचवी अनुसूची

लघु वन उत्पादों से बेदखल होते आदिवासी

अपने तरह-तरह के जैविक, सामाजिक और प्राकृतिक उपयोगों के आलावा आजकल जंगल व्यापार-धंधे में भी भारी मुनाफा कूटने के काम आ रहे हैं। इसमें सेठों, सरकारों की बढ़-चढ़कर भागीदारी हो रही है। कैसे किया जाता है, यह कारनामा? और क्या होते हैं, इसके नतीजे? प्रस्तुत है, इसी विषय पर प्रकाश डालता राज कुमार सिन्हा का यह लेख; देश के 625 जिलों में से 190 जिलों में…
और पढ़े...

पेसा कानून : 26 वर्षों से क्रियान्वयन का इंतजार करता आदिवासी स्व-शासन का कानून

-डॉ सुनीलम 24 दिसंबर 2022 को पेसा कानून लागू हुए 26 वर्ष पूरे हो जाएंगे। भारत की संसद में 15 दिसंबर 1996 को पंचायत…

छत्तीसगढ़ पेसा नियम 2022 : संवैधानिक प्रावधानों पर नासमझी या शातिराना छल !

-बिजय पांडा छत्तीसगढ़ पेसा नियम, 2022 पर चर्चा करने से पहले जरुरी है कि हम एक बार पेसा कानून के सैद्धांतिक…

आदिवासियों की बदहाली के संवैधानिक गुनहगार

संविधान में आदिवासियों को मिले विशेष दर्जे को आमतौर पर अनदेखा किया जाता रहा है। मसलन – राज्यपालों को अनुसूचित क्षेत्रों में विशेषाधिकार दिए गए हैं, ताकि वे आदिवासियों की विशिष्ट जीवन पद्धतियों, खान-पान और भाषा आदि को देखते हुए उनके हित में निर्णय ले सकें, लेकिन विडंबना है कि अधिकांश राज्यपाल संविधान के इस प्रावधान से अनजान, अछूते ही रहे हैं।…
और पढ़े...

पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों के राज्यपालों को गृह मंत्रालय का दिशा-निर्देश

दिल्ली 26 मई 2022। पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों (राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, उड़ीसा, गुजरात,…

पच्चीसवें साल में पेसा : ग्राम सभा को सशक्त करने के लिए आया कानून खुद कितना मजबूत!

-कुंदन पाण्डेय पेसा यानी पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) क़ानून 1996 में आया था। इस कानून को…

छत्तीसगढ़ : बघेल सरकार में भी आदिवासियों की जमीन नियम-कानून ताक पर रखकर छीनी जा रही है

कांकेर 18 अप्रेल 2019। छत्तीसगढ़ के  कांकेर जिले में अंतागढ़ तहसील के ग्राम कलगाँव में 30 से अधिक परिवारों को बेदखली के नोटिस प्राप्त होने पर छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन ने गहरी चिन्ता व्यक्त की है। इसी गाँव की जंगल भूमि को 2017 में छत्तीसगढ़ शासन ने भिलाई इस्पात संयत्र (बीएसपी) को "अदला बदली" की फर्जी और गैर कानूनी प्रक्रिया के अन्तर्गत हस्तांतरित किया…
और पढ़े...

छत्तीसगढ़ : सवैधानिक हकों और वन संसाधनों पर अधिकारों के लिए ग्राम सभाओं की एकजुटता

24 फरवरी 2019। छत्तीसगढ़ के  कोरबा ज़िले के ग्राम मोरगा में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 13 फरवरी को देश के लाखों आदिवासियों…

झारखण्ड : आदिवासियों के प्राकृतिक संसाधनों तथा मानवाधिकारों पर हमले के खिलाफ…

झारखण्ड : आदिवासियों के प्राकृतिक संसाधनों तथा मानवाधिकारों पर हमले के खिलाफ जनसम्मेलन स्थान : थेलोजिकल हाल,…

झारखण्ड : लैंड बैंक के खिलाफ रांची में आदिवासियों का विशाल जनप्रदर्शन

8 जून 2018 को रांची में जनाधिकारों एवं मानवाधिकारों को लेकर विशाल जनरैली का आयोजन किया गया जो मोरहाबादी मैदान के पास से निकल कर कचहरी चौक होते हुए राजभवन तक पहुंची। राजभवन पर एक विशाल जन सभा की गई तथा मांगें सौंपी गई। विषय- पांचवीं अनुसूची के प्रावधान अधिकारों को लागू करने, सीएनटी एक्ट, एसपीटी एक्ट को कड़ाई से लागू करने, ग्रामीणों के सामुदायिक…
और पढ़े...