श्रीकाकुलम में थर्मल पॉवर प्लांट के विरोध में संघर्ष पुलिस फायरिंग में 3 किसानों की मौत
श्रीकाकुलम में थर्मल पावर प्लांट के विरोध में खड़े गांव वालों, किसानों, मछुआरों के ऊपर आंध्र प्रदेश पुलिस ने जुलाई 2010 के बाद फरवरी 2011 में फिर से अपना दमनात्मक रुख दिखाया। आंध्र प्रदेश सरकार एवं पुलिस शायद यह सोच रखती है कि ‘विकास बंदूक की नोक से’ ही गुजर कर आता है, अतएव अपने जीवन, आजीविका एवं संसाधन को बचाने के लिए शांतिपूर्ण तरीके से क्रमिक भूख हड़ताल कर रहे लोगों पर आंध्र प्रदेश पुलिस ने गोली चलाई एवं 8 लोगों को घायल किया। वादितंद्रा व हनुमंथ नायडुपेट के गांव में भूख हड़ताल के टेंट को उखाड़ते हुए आंध्र पुलिस कर्मियों ने गांव वालों को मारने एवं धमकाने का काम भी किया।
इसके दो-तीन दिन बाद 28 फरवरी 2011 को फिर से पुलिस ने गांव वालों पर कहर बरपाया और इस बार पुलिस की गोली से तीन लोगों की मौत हो गई एवं 25 लोग घायल भी हो गये। 25 फरवरी को हुए हादसे के बाद पर्यावरण सुरक्षा समिति एवं एनएपीएम के कार्यकर्ता ने जब काक्रापल्ली के आसपास के गांव में दवाई व खाना लेकर जाना चाहा, जहां एक हफ़्ते से न कोई साप्ताहिक बाज़ार लगने दिया गया था, न ही किसी भी मीडिया वालों को जाने दिया गया था, उनको न सिर्फ अन्दर जाने से रोका गया बल्कि उनको धमकाया भी गया।
28 फरवरी को आंध्र पुलिस ने मछुआरों के 100 घरों पर आंसू गैस छोड़ते हुए उनके घरों को जलाने का प्रयास किया एवं साथ ही साथ अपनी भी गाड़ियों को जला दिया। इन घटनाओं से पहले एनएपीएम ने आंध्र राज्य मानव अधिकार कमीशन व डायरेक्टर जनरल पुलिस को भी इनके बारे में बताया था लेकिन उनकी तरफ से कोई सुनवाई नहीं हुई।
गौरतलब है कि विनाशरूपी यह विकास जिसके खिलाफ लोगों का संघर्ष जारी है, वह पावर प्लांट ऐसी जगह बनाया जा रहा है जिसको दलदल इलाका घोषित किया गया है एवं पर्यावरण कानूनों के हिसाब से दलदली इलाके में किसी भी तरह का प्रदूषित प्रोजेक्ट गैरकानूनी है। वादितंद्रा गांव में 2640 मेगावाट भावनापाडु थर्मल पावर प्लांट को दलदली इलाके से सिर्फ 2.5 किमी की दूरी पर ही प्रोजेक्ट स्थापित करने की मंजूरी दी गयी है।
अपनी जमीन, जल व आजीविका की रक्षा के खिलाफ कार्यवाही, मृत एवं घायल गांव वालों को कम्पेन्सेशन एवं गांव वालों के ऊपर लगाये गये केस को रद्द करते हुए भावनापाडु थर्मल पावर प्लांट को भी रद्द करने की मांग स्थानीय लोग कर रहे हैं, अपनी इन मांगों को लेकर स्थानीय लोगों, किसानों, मछुआरों का संघर्ष अभी भी जारी है।
आजीविका एवं संसाधनों की रक्षा के लिए नागार्जुन पावर प्लांट, भावनापाडु पावर प्लांट, मेधावरम पावर प्लांट के खिलाफ लोगों के संघर्षों को देखते हुए पर्यावरण मंत्रालय ने इन पावर प्लांटों को अनुमति देने के बारे में पुनर्विचार करने का मन बनाया है।