हिमाचल प्रदेश : वन अधिकारों से वंचित किन्नौर के ग्रामीण
गुजरी 20 जून 2024 को रिकांगपिओ (किन्नौर) में हिम लोक जागृति मंच, जिला वन अधिकार संघर्ष समिति किन्नौर और एसआरडीए मंडी के संयुक्त तत्वाधान में अम्बेडकर भवन में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में वन अधिकार अधिनियम 2006 के क्रियान्वयन, नौतोड़ बहाली के विकल्प, जलवायु परिवर्तन, जल विद्युत परियोजनाओं का प्रभाव और जनजातीय कानूनों पर चर्चा की गई। हम यहां पर हिम लोक जागृति मंच के जिया लाल नेगी की रिपोर्ट और तस्वीर साझा कर रहे हैं ;
वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत अभी तक किन्नौर में 344 व्यक्तिगत दावे व एक सामुहिक दावा मंजूर हुआ है, जिसे गति देने की सख्त जरुरत है क्योकि 2500 से ज्यादा व्यक्तिगत व लगभग सभी गांवों के सामूहिक दावे विभिन्न स्तरों पर लम्बित है। इस बार हमारा प्रयास सामूहिक दावों को लेकर पुरजोर तरीके से करने पर होगा क्योकि इस पर न के बराबर काम हुआ है। जहाँ तक नौतोड़ की बात है यह एक अति महत्वपूर्ण विषय है व 10000 से ज्यादा दावे किन्नौर में ही लम्बित है। 5वीं अनुसूची के तहत महामहिम राज्यपाल एफसीए को निरस्त कर नौतोड़ बहाल कर सकते है।
इस बारे में वर्तमान सरकार भी पुरजोर पैरवी कर रही है, हमने भी इस संदर्भ में महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन सौपा था। यहां हम एक और विकल्प सामने रख रहे है जिसमें वन अधिकार अधिनियम की धारा 3 (I) (i) 4(7) के तहत भी नौतोड़ दिया जा सकता है और इस बारे में सरकार को प्रयास करने की जरुरत है।
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को आज पूरा विश्व झेल रहा है और हिमालयी क्षेत्र में इसका प्रभाव जयादा है इस बारे में सभी आकडे आप सभी जान सकते है। जन जातीय सम्पति को गैर जनजातियों के देने का मसला हाल में ही हुआ जो चिंता का विषय है और हम सभी को इस बारे में जागरूक रहने की जरुरत है व इसको लेकर चल रहे प्रयासों को साथ देने की जरुरत है।
इस एक दिवसीय कार्यशाला में किन्नौर के विभिन्न पंचायतो के प्रतिनिधि, वन अधिकार संगठनों से लोग मौजूद रहे। मुख्य वक्तओं में हिमालय निति अभियान के गुमान सिंह, हिम लोक जागृति मंच से आरएस नेगी (रिटायर्ड आईएएस) SDRA मंडी से प्रकाश भंडारी, जिला वन अधिकार समिति किन्नौर से जिया लाल नेगी, परमेश्वर नेगी, पद्मा नेगी, रोशन लाल जी व अन्य सदस्यों ने संबोधित किया एस कार्यशाला में विशेष रूप से सिरमौर, चम्बा, वमंडी से भी 22 लोगों की टीम ने शिरकत की। यहां किन्नौर में व हिमाचल के अन्य इलाकों में चल रहे गतिविधियों पर विचार सांझा किए।