संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

मुलताई गोली कांड की 20वीं बरसी : किसानों के हित में संघर्ष जारी रहेगा

20वें शहीद किसान स्मृति सम्मेलन में सर्व सम्मति से पारित हुआ मुलताई घोषणा पत्र
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने देश के किसानों में किया नई आशा और ऊर्जा का संचार 
कृषि उत्पादों का भाव गिरने के लिए केंद्र सरकार की आयात-निर्यात नीति जिम्मेदार
भाजपा सरकार ने बनाया किसानों को भिखारी

12 जनवरी 1998 को मुलताई में किसानों के ऊपर हुए गोलीकांड में 24 किसान मारे गए थे। 12 जनवरी  2018 को उस घटना के 20 साल हो गए  हैं। सवाल किसानों के जीविका के संघर्ष को लेकर था और शासन के द्वारा उस पर हमला किया गया, जिसमे 24 किसानों की मौत हुई।आज भी वह सवाल मौजूद हैं, देश में किसान और मजदूर वर्ग आज भी जीविका की लड़ाई लड़ रहे हैं और नवउदारवाद के माहौल में नई पूंजीवादी ताकतें राज्य के साथ मिलकर और तेज हमला कर रही है।  पढ़िए किसान संघर्ष समिति की विज्ञप्ति ;

 20वाँ शहीद किसान स्मृति सम्मेलन एवं 241वीं किसान महापंचायत श्री टंटी चौधरी की अध्यक्षता में आज दिनांक 12 जनवरी 2018 को सम्पन्न हुई। आज सुबह 10 बजे ग्राम परमंडल में शहीद किसान स्तम्भ पर पुष्पांजलि अर्पित की गयी तथा मुलताई बस स्टैंड स्थित किसान स्तम्भ पर शहीदों के शिलालेख को लाकर उन 24 शहीद किसानों को 11 बजे श्रद्धांजलि दी गयी। 12 बजे से ताप्ती मंगल भवन, पारेगांव रोड, मूलतापी में 20वाँ शहीद किसान स्मृति सम्मेलन शुरू हुआ।

किसान महापंचायत में 28 सूत्रीय मुलताई घोषणापत्र 2018 जारी किया गया। घोषणापत्र में शहीद किसान स्तंभ के निर्माण, मुलताई और मंदसौर के पुलिस गोलीचालन के दोषी अधिकारियों पर हत्या के मुकदमें चलाने, किसानों की संपूर्ण कर्जा मुक्ति, लागत से डेढ़ गुना समर्थन मूल्य, मक्का का दाम 2000 रुपये क्विंटल, सोयाबीन का दाम  5 हजार रुपये प्रति क्विंटल, सभी किसानों को बीमा का लाभ एवं भावांतर योजना का लाभ देने, दूध के फेट का रेट 7 रुपये करने, प्रस्तावित माडल कांट्रेक्ट एक्ट रद्द करने, अब तक विस्थापित 10 करोड़ किसानों का संपूर्ण पुनर्वास करने, किसानों की न्यूनतम आय 25 हजार रुपये प्रतिमाह सुनिश्चित करने, राज्य द्वारा डीजल और पेट्रोल के दामों में वृद्धि वापस लेने, कृषि योग्य भूमि अधिग्रहण पर रोक लगाने, अडानी पेच पावर प्रोजेक्ट, सातनूर गांव का सेज रद्द करने, नशाबंदी लागू करने, पंजाब और तेलंगाना की तरह सभी किसानों को म प्र में निःशुल्क बिजली देने, नागपुर पैंसेंजर शुरू करने की मांग की गयी।

श्री वी एम सिंह जी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आज शहीद किसान सम्मेलन में पहुंचने का मकसद है कि 20 साल से मुलताई के किसान जो संघर्ष कर रहे हैं अब जब देश में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का गठन कर लगभग 190 किसान संगठन मुट्ठी बंद किये है उस शक्ल में मुलताई के किसानों को ताकत देने के लिए आज हम लोग यहां पहुंचे हैं। 20 साल में किसानों को न्याय नहीं मिला है वहीं सोयाबीन, मक्का का समर्थन मूल्य भी नहीं मिल रहा है। मुलताई के किसानों की समस्याओं को लेकर जो भी यहां के किसान आंदोलन या प्रयास करेंगे समन्वय समिति उनका पूरा साथ देगी। किसान अब अकेले नहीं हैं देश के सभी जन उनके साथ देंगे। उन्होंने कहा कि म प्र में किसानों को फसल बीमा और भावांतर योजना दोनों का लाभ नहीं मिल रहा तथा दूध का रेट भी लगातार कम होता जा रहा है। मुख्यमंत्री किसानों को सिर्फ मौखिक सेवा दे रहे हैं। गांवों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य करने से ही देश की आर्थिकी सुदृढ़ होगी। साथ ही उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पादन, स्थानीय खरीद-फरोख्त और स्थानीय वितरण में बाजार का न्यूनतम हस्तक्षेप हो।
श्री राजू शेट्टी जी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि म प्र के किसानों को मक्का और सोयाबीन मिट्टी के दाम में बेचना पड रहा है। इसके लिए केंद्र सरकार की आयात-निर्यात नीति जिम्मेदार है। भाजपा की सरकार ने किसानों को भिखारी बना दिया। भावांतर योजना बिल्कुल बेकार साबित हुई है लेकिन पूरे देश के किसान एक होकर किसानांें को न्याय दिलवायेंगे। इसीलिए हम मध्य प्रदेश आये हैं।

20 साल पहले की किसानों की शहादत व्यर्थ नहीं जायेगी। इसका बदला लेकर किसानों को न्याय दिलवायेंगे। सरकार ने खेती को बेहद घाटे का पेशा बना दिया है जिसकी वजह से नई पीढ़ी खेती छोड़ने को मजबूर है। केंद्र सरकार के स्टार्ट-अप इंडिया, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, कैशलेस इंडिया और न्यू इंडिया में भारत के किसानों का कोई स्थान दिखलाई नहीं पड़ता। हमें केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों को बदलने के लिए राष्ट्रव्यापी संघर्ष तेज करना होगा।

श्री हीरा सिंह मरकामजी ने कहा कि सबसे ज्यादा अमीर आदिवासी पैदा होता है लेकिन सरकारें उसको पूरी तरह लूट रही हैं, उजाड़ रही हैं, बरबाद कर रही हैं। हमने स्वतंत्र भारत में आदिवासियों के शोषण और लूट को रोकने के लिये पार्टी का गठन किया है। उन्होंने कहा कि रोटी बचाओ, बेटी बचाओ, गांव बचाओ, देश बचाओ, गोंडवाना राज्य कायम करो, यही हमारा नारा है।

एड. आराधना भार्गव जी ने कहा कि किसान संघर्ष समिति ने देश में कुर्बानी का इतिहास रचा है। पहली बार अब देश में किसान एकजुट होकर अखिल भारजीय किसान संघर्ष समिति के बैनर तले इकट्ठे हुए हैं जिसे बनाने में डा सुनीलम-किसान संघर्ष समिति की अहम भूमिका रही। उन्होंने कहा कि हम किसानों की संपूर्ण कर्जा मुक्ति करा कर ही मानेंगे तथा जब तक समर्थन मूल्य नहीं मिलता तब तक संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि माचागोरा बांध बनाया गया है जिसमें 31 गांव प्रभावित हुए हैं। 8 गांव डूबे हैं। लगभग 50 हजार लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है। माचागोरा बांध में मछली पकडने का ठेका सिवनी के ठेकेदार को दिया गया है, हम उसे तुरंत निरस्त करने एवं प्रभावित किसानों को मछली पकड़ने का अधिकार देने, माचागोरा बांध प्रभावित किसानों के संपूर्ण पुनर्वास किऐ जाने तथा सरदार सरोवर बांध के प्रभावितों को सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर प्रति हेक्टेयर 60 लाख रुपये के मुआवजे के बराबर मुआवजा दिये जाने की मांग करते हैं। उन्होंने सरकार को आगाह करते हुए कहा कि यदि सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानी तो मजबूरन हमें संघर्ष और तेज करना होगा। हम चुप नहीं बैठेंगे।

किसान संघर्ष समिति के महासचिव टी आर आठ्या ने कहा कि भारत का संविधान किसी भेदभाव की इजाजत नहीं देता लेकिन समाज में दलितों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के साथ तो भेदभाव हो ही रहा है सबसे ज्यादा भेदभाव किसानों के साथ हो रहा है। गांव के ग्रामवायिों के साथ हो रहा है। उन्होंने भेदभाव खत्म करने और न्यायपूर्ण समाज बनाने के लिए संघर्ष करने की अपील की।

डा सुनीलम ने कहा कि केंद्र ओर राज्य सरकार अडानी-अंबानी जैसी कंपनियों का एजेंट बन कर किसानों को लूट रही हैं। उनकी जमीनें लूटीं, उन्हं आत्महत्या करने पर मजबूर किया और जब किसान मुकाबले के लिए सामने आया तो गोलीचालन करा दिया। लेकिन किसानों का आंदोलन जिसे मूर्त रूप स्वामी सहजानंद सरस्वती ने आजादी से पहले दिया था आज वह इकट्ठा होकर सरकारों को मजबूर करने की स्थिति में आ गया है। उन्होंने किसानों से देश पर ठेका खेती लादने के सरकार की साजिश का पुरजोर विरोध करने की अपील की। उन्होंने कहा कि पंजाब और तेलंगाना की तरह सभी किसानों को म. प्र. में निःशुल्क बिजली उपलब्ध करायी जाए। केंद्र और राज्य सरकारें पूंजीपति को छूट और किसानों की लूट के सिद्धांत पर चल रही हैं। केंद्र सरकार ने गत तीन वर्षों में अडानी-अम्बानी जैसे 100 औद्योगिक घरानों को 14 लाख करोड़ की छूट दी है। एक सप्ताह पहले बैंकों को 80 हजार करोड़ रुपये तथा 2017 में 2 लाख, 40 हजार करोड़ बैंकों की सेहत सुधारने के लिए मदद के तौर पर सरकार द्वारा दिया जा चुका है। बैंकों का पैसा बड़ी कंपनियों से वसूल नहीं हो रहा है। अडानी-अंबानी पर कुल मिला कर 2 लाख करोड़ की राशि बकाया है। सरकार उनकी संपत्ति नीलाम और कुर्क करने की बजाय उन्हें लगातार पूंजी उपलब्ध कराने करा रही है, जिसकी हम घोर निंदा करते हैं और मांग करते हैं कि यह भेदभाव तुरंत बंद होना चाहिए।

शेतकारी संघर्ष समिति की सुशीला ताई मारोडे ने कहा कि प्रधानमंत्री मेक इन इंडिया की बात करते हैं लेकिन पूरे देश को विदेशी कंपनियों को सौंप रहे हैं। गांव में बिजली नहीं है लेकिन डिजिटल इंडिया की बता कर रहे हैं। जाति और धर्म को इस्तेमाल कर चुनाव जीतने वाले स्वच्छ भारत की बात करते हैं। गाम रक्षा उल की अध्यक्ष माया ताई चैरे ने कहा कि हम हर साल सम्मेलन में शहीद किसानों से प्रेरणा और ऊर्जा लेने आते हैं उन्होंने किसानों को संघर्ष करने और शराब न पीने की अपील की।

अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर के सचिव श्री मनीष श्रीवास्तव ने कहा कि पहले किसानों को फसलें नष्ट होने पर मुआवजा मिलता था लेकिन सरकार ने फसल बीमा की आड में मुआवजा देना बंद कर दिया और उसे फसल बीमा भी नहीं मिल रहा।

अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष दुर्गाप्रसाद सिंगारे ने कहा कि सरकार किसान बनाते हैं लेकिन कंपनी वाले सरकार चलाते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की लूट के लिए आंदोलन के अलावा कोई विकल्प नहीं है।।
भुईया विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामबाबू अग्रवाल ने कहा कि केवल समाज की व्यवस्था ही ऐसी व्यवस्था है जिसमें हमें न्याय मिल सकता है इसलिए हमें समाजवादी नीतियों को सरकारों से लागू करवाने के लिए संघर्ष करना चाहिए। डा लोहिया द्वारा संचालित सप्त क्रांति पर चलता ही हमारा रास्ता है।

सोशलिस्ट पार्टी इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष रामस्वरूप मंत्री ने कहा कि प्रदेश में भावांतर योजना और फसल बीमा ने किसानों के बीच उम्मीद पैदा की थी लेकिन दोनों योजनाएं राजनैतिक इच्छाशक्ति के अभाव में विफल हो चुकी हैंै। किसानों के सामने संघर्ष के अलावा कोई रास्ता नहीं है।

इसके अतिरिक्त सम्मेलन में शामिल अनेक साथियों; अरविंद देशमुख जी ब्लू डायमण्ड यूनियन के अध्यक्ष अमरदास, मनोहर सिंह, किसान मोर्चा, प्रदेश उपाध्यक्ष संजय राय, इरफान जाफरी (अध्यक्ष, किसान जागृति संगठन), सचिव राजेश बैरागी (झाबुआ), लीलाधर चौधरी (देवास), राजेन्द्र पुरोहित (नीमच), नर्मदा बचाओ आंदोलन (बड़वानी) के देवराम भाई, डा. राजकुमार सनोडिया (सिवनी), लखनचंद जैन (टीकमगढ़), दिनेश कुशवाह (महू), धार से स्वराज अभियान के अध्यक्ष भगवान सिंर्ह, किसान संघ के विनोद सिंह ने भी अपने विचार रखे।

शहीद किसान परिवारों को सम्मानित किया गया। शहीद किसानों की स्मृति में 5वीं और 8वीं में शहीद किसानों के गांव की शासकीय शालाओं में प्रथम आई 24 छात्राओं को डा सुनीलम की मां श्रीमती विद्यावती मिश्र की स्मृति में बने विद्या मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा पुरस्कृत किया गया। हर वर्ष की तरह शहीद किसानों की याद में ताप्ती मंगल भवन, पारेगांव रोड, मुलतापी में रक्तदान शिविर भी आयोजित किया गया। जिसमें 11 किसान संघर्ष समिति के कार्यकर्ता ओं ने रक्तदान किया। शहीद किसानों की स्मृति सम्मेलन  मुलतापी में रक्तदाताओं के नाम : डॉ सुनीलम, जगदीश दौड़के, सदाशिव गडेकर, मिलिंद खातरकार, रवि(मिश्री लाल हरोडे शहीद के बेटे), संजीव गावनडे, चेनवती रघुवंशी, राजेश सनोटिया, नवनीत पटेल,अशोक बरोदे, पवन हरोडे।

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