संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

म. प्र. सरकार की क्रूरता जारी : नर्मदा घाटी से प्रधानमंत्री के नाम खुला पत्र !

म. प्र. सरकार द्वारा क्रूरता से डुबाया जा रहा है अपर बेदा प्रभावितों को
पुलिस व् बुलडोज़र से आतंकित कर तोड़े जा रहे हैं आदिवासियों के घर 
खारवा गाँव के विस्थापित बैठे जे सी बी मशीनों के सामने 
दमन और डूब को रोककर प्रभावितों का पुनर्वास किया जाये 

मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में बन रहे अपर बेदा बांध में गत 7 दिनों से मध्य प्रदेश सरकार क्रूरता के साथ पानी भर रही है जिस कारण अनेक आदिवासी प्रभावितों के घरों में पानी भर दिया गया है. इतना ही नहीं सरकार द्वारा निर्दयता से पुलिस व् बुलडोज़र भेजकर घर तोड़े जा रहे हैं. नर्मदा बचाओ आन्दोलन और आम आदमी पार्टी इस दमनकारी करवाई की कड़े शब्दों में निंदा करती है और मांग करती है कि सम्पूर्ण दमन को रोकते हुए बांध के गेट खोलकर जल स्तर को कम करते हुए डूब हटाई जाये और सभी प्रभावितों का पुनर्वास पूरा होने के बाद ही बांध में पानी भरा जाये.

नर्मदा घाटी से प्रधानमंत्री के नाम खुला पत्र : मन की बात या मनमानी बात ?

माननीय नरेन्द्र मोदी जी,

नमस्कार!

भारत के प्रधानमंत्री के पद पर बहुत ही विषेष प्रचार-प्रसार एवं अभियान के द्वारा आप विराजमान हुए, तब न केवल आप और आपके भाजपा दल को वोट देने वाले 31 प्रतिषत मतदाता, किन्तु माने तो 80 प्रतिषत से अधिक भारत के नागरिक आपकी मन की बात प्रत्यक्ष में कैसी उतर आएगी, इस पर सोच रहे थे। कई सारी चुनाव-पूर्व आम सभाओं में दूर से देखी आपकी प्रतिमा और सुने हुए वायदे कहॉ तक टिकेगे या बदलेंगे, आप देष को किस नई राह पर ले जाना चाहेंगे, आदि सवाल लेकर भी खडे थे। हम, नर्मदा घाटी के लोग, मात्र आपकी विकास की अवधारणा जानना चाहते थे लेकिन उसके पहले सरदार सरोवर परियोजना पर आपके विचार, आपकी नियोजन पद्धति और दूरदर्षिता के साथ विस्थापन जैसे मानवीय मुद्दे पर आपकी संवेदना भी परख रहे थे।
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उल्लेखनीय है कि गत 5 अगस्त से सरकार ने अपर बेदा बांध में पानी भरना चालू कर दिया जिससे पालदा, सोनुद, उदयपुर, खारवा आदि गांवों के तमाम घरों में पानी घुस गया. पिछले वर्षों में बांध का जल स्तर 310 मीटर तक रखा जाता रहा है, परन्तु अभी यह स्तर लगातार बढाया जा रहा है और यह 314 मीटर के ऊपर पहुँच चुका है. बांध में पानी भरने के कारण पालदा, सोनुद, उदयपुर, खारवा गाँव के अनेक घर डूब गए हैं और उनका अनाज व् सामान सब डूब गया है. पानी भरने के साथ सरकारी अधिकारी पुलिस व् बुलडोज़र के साथ गांवों में पहुंचकर लोगों को आतंकित कर घरों को तोड़ रहे हैं.

आज जब सरकारी अधिकारी, पुलिस व् जे सी बी मशीने लेकर घरों को तोड़ने ग्राम खारवा पहुंचे तो नर्मदा आन्दोलन की वरिष्ठ कार्यकर्ता चित्तरूपा पालित के साथ अनेक महिलाओं ने जे सी बी मशीनों के सामने लेटकर मशीनों को आगे बढ़ने नहीं दिया. ग्रामीणों का विरोध इस समय भी जारी है.    

यह सम्पूर्ण करवाई पुर्णतः गैरकानूनी है और अमानवीय है. अपर बेदा बांध के 300 किसानों ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद शिकायत निवारण प्राधिकरण में जमीन के बदले जमीन के आवेदन लगाये थे जिन पर प्राधिकरण ने गत माह सुनवाई प्रारंभ की. इस सुनवाई में सरकार ने समय मांग कर तारीख आगे बढ़वा दी और इसके बाद पानी भरकर सबको डुबोया जा रहा है जबकि प्राधिकरण के इन प्रभावितों के पुनर्वास सम्बंधित आदेश आने बाकी हैं. साथ ही नये भू-अर्जन कानून की धारा 24(2) के  अनुसार अपर बेदा बांध प्रभावितों का भू-अर्जन निरस्त हो चुका है और सितम्बर 2014 में ही विस्थापितों ने इस सम्बन्ध में अपने दावे जिला कलेक्टर को दे दिए थे जिस पर कोई निर्णय दिए बगैर विस्थापितों के अधिकार की जमीन व् घरों को डुबोया जा रहा है.

म.प्र. सरकार गरीब आदवासी किसान मजदूरों को बिना पुनर्वास डुबोने और उनके घरों को पुलिस व् बुलडोज़र से तोड़ने की कायरतापूर्ण करवाई की हम कड़े शब्दों में निंदा करते हैं. यह करवाई पुर्णतः गैरकानूनी और अमानवीय है. हम मांग करते है कि इसे तत्काल रोका जाये और बांध का जल स्तर घटाकर 310 मीटर किया जाये. हम चेतावनी देते है कि इसके खिलाफ डूब क्षेत्र में और पूरे प्रदेश में संघर्ष किया जायेगा और इस गैर क़ानूनी करवाई को न्यायालय में भी चुनौती दी जाएगी.

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