संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

मध्य प्रदेश : मूसामुड़ी के किसानों का ऐलान आर्यन पॉवर कंपनी को जमीन नहीं देंगे

महासभा में हुआ फैसला किसी भी कीमत में नहीं देंगे जमीन।
जिला प्रशासन के प्रतिवेदन पर कार्यवाही हेत मुख्यमंत्री से मिलेगा प्रतिनिधि मंडल।
निरस्त 10 आदिवासियों के पट्टे को किया गया बहाल।

मध्य प्रदेश के सीधी जिले के ग्राम मूसा मूड़ी में टोंको-रोंको-ठोंको क्रांतिकारी मोर्चा के बैनर तले किसानों द्वारा की गई 34 दिन की भूख हड़ताल के बाद जिला प्रशासन ने किसानों की मांगों को पूरा किए जाने का वादा किया था। प्रशासन के वादे की समीक्षा हेतू ग्राम मूसामूड़ी में अनशन स्थल पर 9 अप्रैल 2017 को महासभा का आयोजन किया गया। महासभा में अधिग्रहण प्रभावित किसानों सहित हजारों ग्रामीणों ने भागीदारी की। महासभा को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री मध्य प्रदेश सरकार इंद्रजीत कुमार ने कहा कि आदिवासियों की भूमि लूटना मध्य प्रदेश सरकार की नियति हो गई है। भुमका एवं मूसामूड़ी के किसानों द्वारा अपनी जमीन वापस पाने के लिए किए जा रहे संघर्ष को हम सलाम करते है और वचन देता हूं कि किसान जिस रूप में हमारा सहयोग चाहेंगे हम  साथ रहेंगे। बनारस से आए किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री विनोद सिंह ने कहा कि सरकार किसानों की चौतरफा लूट कर रही हैं चाहे अधिग्रहण के नाम पर उनकी जमीन छीनने की हो चाहे उनके उत्पाद का उचित दाम न देकर लूट करना हो इन सब के वजह से देश में व्यापक रुप से किसान आत्महत्या कर रहे हैं यहां के किसान अपनी जमीन बचाने के संघर्ष में जुटे रहें उनकी जमीन कोई नहीं ले सकता किसान मंच आपके साथ हैं।

सभा को संबोधित करते हुए भा क पा मध्य प्रदेश के राज्य सचिव कामरेड अरविन्द श्रीवास्तव ने कहा कि आखिर बात क्या है कि मध्य प्रदेश सरकार गरीब किसानों की खेती योग्य जमीन ही उद्योगों को क्यों अधिग्रहित करती है ? जबकि पर्याप्त मात्रा में अनुपयोगी जमीन उपलब्ध है। अवश्य ही विकास की दुहाई देकर किसानों को खेती से दूर कर धनिकों को सस्ता सेवक और दास उपलब्ध कराने की चाल है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी पूर्णतया आपके साथ है और मैं हाई कोर्ट में वकील होने के नाते आप की कानूनी लड़ाई निशुल्क लड़ने का वचन देता हूं। आजादी बचाओ आंदोलन झारखंड प्रदेश के अध्यक्ष डॉक्टर मिथिलेश दांगी ने अपने संबोधन में कहा कि जब देश में आवश्यकता से अधिक बिजली पैदा करने की इकाई स्थापित हो चुकी है फिर आर्यन पावर जैसे नए प्लांट के लिए जमीन क्यों अधिग्रहित की गई है ? आप किसानों से आग्रह है कि आप अपनी जमीन बचाने की लड़ाई के साथ साथ संसाधनों पर समान अधिकार की मांग को भी आपने लड़ाई में शामिल करें।

महासभा की अध्यक्षता कर रहे क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी ने आर्यन पावर कंपनी हेतु भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही में किए गए फर्जीवाड़े पर विस्तार से बात रखी और बताया कि जिला प्रशासन ने  किए गए वादे के अनुसार प्रदेश सरकार को अपना प्रतिवेदन भेजकर लेख किया है कि अधिग्रहण हेतु की गई कार्यवाही दोषपूर्ण है एवं अधिग्रहित भूमि पर कंपनी का कब्जा नहीं है आज भी किसान अपनी जमीन पर खेती कर रहे हैं। प्रतिवेदन में यह भी लेख किया गया है की अधिकतम किसान मुआवजा नहीं लिए हैं इसलिए नए कानून से कार्यवाही करना उचित होगा प्रतिवेदन में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि आर्यन पावर कंपनी द्वारा 61000 रूपय मुआबजा दिया गया है जबकि बगल में ही स्थापित जेपी पावर कंपनी ने 5 लाख रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दिया है। इस भिन्नता से किसानों में भारी असंतोष है। श्री तिवारी ने बताया कि जिला प्रशासन ने अपने वादे के अनुसार 10 आदिवासियों के निरस्त किए गए बंटन के पट्टों को भी बहाल कर दिया गया है और आदेश की प्रति उपलब्ध करा दी गई है।

किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष राम नारायण कुररिया, किसान जागृति संघ के प्रदेश अध्यक्ष इरफ़ान जाफरी, किसान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष अग्रवाल, व्यवस्था परिवर्तन संघ हरियाणा के रामेश्वर मुनि, शिव शक्ति महा दल के राधेश्याम, जिला पंचायत सदस्य शेषमणि पनिका, कांग्रेस नेता तिलकराज सिंह, जनपद अध्यक्ष देवसर प्रीति पनाडिया, मां क पा जिला सचिव सुंदर सिंह, भाकपा जिला सचिव आनंद पांडेय, लोकसभा युवा कांग्रेस अध्यक्ष रंजना मिश्रा, प्रभात वर्मा, रोहित मिश्रा,  इंद्रजीत सिंह रीवा, कामरेड लालमन त्रिपाठी, रामेश्वर गुप्ता, भगत सिंह, राम लल्लू गुप्ता, श्रीनिवास साकेत, गुरुप्रसाद कोल, राममणि मिश्रा, शिवकुमार सिंह, विनय मिश्रा, विश्राम यादव, के के मिश्रा ने भी सभा को संबोधित किया और कहा कि किसानों द्वारा किए जा रहे आंदोलन को हम समर्थन करने आए हैं और जब भी हमारी आवश्यकता महसूस की जाएगी हम आंदोलनकारियों के कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़े रहेंगे।

महासभा के अंत में आए किसानों ने सर्वसम्मत निर्णय किया कि किसी भी कीमत में हम अपनी जमीन कंपनी को नहीं देंगे और यह भी निर्णय किया गया कि संयुक्त सदस्यी एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिलकर जिला प्रशासन द्वारा भेजे गए प्रतिवेदन पत्र पर शीघ्र कार्यवाही हेतु एक ज्ञापन पत्र देगा।

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