संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

विकास का आतंक और विनाशकारी विस्थापन के खिलाफ जीवन अधिकार यात्रा शुरु

बम नही, रोटी चाहिये : विनाश विरोधी दिवस पर नर्मदा विस्थपितो की जीवन अधिकार यात्रा शुरु

सरदार सरोवर विस्थपितो के संघर्ष को राजस्थान, मुम्बई, इन्दोर, मालेगाँव, दिल्ली और अन्य राज्यों से भरपूर समर्थन 

खलघाट | 6 अगस्त, 2015: सरदार सरोवर बाँध की ऊंचाई 139 मीटर तक बढ़ाने के गैर कानूनी निर्णय से 245 गाँवों में बसे 2.5 लाख लोगों की  जिन्दगियोयों की तबाही के विरोध मे 6 अगस्त से मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र से  विस्थापित  किसान, मज़दूरों, मछुवारों की जीवन अधिकार यात्रा शुरु हुई.

खलघाट से लेकर राज घाट (बड़वानी) तक कि 6 दिवसीय एवम 85  कि. मि. लम्बी पद यात्रा मे सैकड़ो विस्थपित शमिल हो रहे है | आन्दोलन के साथ जुड़े गाँव -गाँव के लोगों ने 12 अगस्त से राजघाट  पर जीवन अधिकार यात्रा शुरु करते हुए, चढ़ती पानी से टक्कर लेने का कड़ा निर्णय  लिया।

आज धरमपुरी तहसिल के खलघाट, साला, पिपल्दागड़ी,  खुजावा, धरम्पुरी, निम्बोला गावों और धरमपुरी शहर में हुए बैठकों और पदयात्रा में  सैकड़ों विस्थापित – महिलाओं, युवाओं, बुज़र्गो से एक ही आवाज़ गूज उठी -नर्मदा घाटी करे सवाल, जीने का हक या मौत का जाल?

नर्मदा के पानी को हाथ पर लेकर सभी ने संकल्प  लिया की  किसनो को वैकल्पिक ज़मीन, भूमिहीन मज़दोरो को वैकल्पिक व्यवसाय, मछुआरों  को मछली पर हक़, वसाहटों में समस्थ सुविधाओं के बिना गाँव नहीं छोड़ेंगे और डटकर लड़ेंगे |

यात्रा का उदघाटन सर्वोदय प्रेस सेर्विस से जुडे वरिष्ठ पत्रकार चिन्मय मिश्रा जी और सरोज बहन ने किया | उन्होने कहा कि आन्दोलन के 30 वर्षों की संघर्ष पूर्ण सफ़र में लोग अपने अधिकारों के हनन के खिलाफ बार-बार लड़े है और अपनी एकता की ताकत से जीते हासिल करते आये है | जिस प्रकार से जन विरोधी भू-अर्जन विधेयक पर केन्द्र शासन को आखिर मे झुकना पड़ रहा है, अगर लोग संगठित शक्ति से लड़ते रहेंगे, तो सरदार सरोवर क्षेत्र के सवालो का जवाब भी शासन को देना ही पडेगा |

राजस्थान से पधारे वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता, कैलाश मीणा ने संघर्ष को समर्थन देते हुए कहा कि कम्पनियो कि हितो को प्राथामिक्ता देने वाली केन्द्र सरकार नर्मदा घाटी देश भर के समर्थन  को ज़्यादा दिनों तक अन्देखा नही कर पाएंगे। उन्होंने  राजस्थान में अवैध रेत खनन के खिलाफ लड़ने वाले लोगों की तरफ से समर्थन घोषित किया |

सामाजिक कार्यकर्ता व नर्मदा बचाओ आन्दोलन का नेतृत्व करती आयीं मेधा पाटकर ने लोगो को ऐलान किया कि निमाड और पहाड के लिए अब यह जीने  मरने का सवाल है और 30 सालो के संघर्ष की परिक्षा भी, जिसका सामना लोगों को पानी से टक्कर लेने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नही है

नर्मदा ट्रिब्युनल के उल्लंघन  मे बाँध की बेक वाटर लेवेल को कम करके १६ हज़ार परिवरो को एक नियोजित सजिश के तेहत डूब से अप्रभावित घोषित करना और बाँध काम पूरा करना गैर कानूनी टहराते हुए,  आन्दोलन के कार्यकर्ता मीरा ने कहा गया कि वर्तमान मे गुजरात शासन के ही वेब साइट पर खलघाट मे 2015 मे १४९.८४ मि. बेक वाटर असर बताया गया है, जबकि बाँध की ऊंचाई बढ़ाने का पूरा गैर कानूनी निर्णय इस आधार पर लिया गया कि खलघाट पर बाँध बनने के बाद भी १४४.९२ तक ही बेक वाट्र का असर जायेगा | इस ५ मी. के फर्क से हज़ारों परिवारो के अधिकारो और भविष्य के साथ जो खिलवाड़ हो रहा उसका भी खंडन किया गया |
नर्मदा बचाओ आंदोलन के जीवंशालाओं के बच्चों ने अपने ढोल, नाच, गीत, नाट्य और नारों से हर बैठक मे जो जोश भरा, उससे लोगो का होसला और बुलन्द हो गया |

घर बचाओ घर बनाओ आन्दोलन के युवा कार्यकर्ताओ ने और मालेगाव से पधारे एवम शक्कर कारखानों के घोटालो की पर्दाफ़ाश करने वाले यशवंत बापु ने भी अपने वक्तव्यो से घाटी के संघर्ष को समर्थन दिया |
एकल्वारा, सेमल्दा, बोध्वाडा, पिछोडी, पेन्ड्रा, पिप्लुद, भादल, कुण्डिया,  भवरिया, खापरखेड़ा, कड्माल, कोठड़ा, सहित  डूब क्षेत्र के कई सारे प्रतिनिधि यात्रा में शामिल हो रहे |
 
धरमपरी  नगर के मुख्य मार्ग और गलियो से तथा गाँव-गाँव के हरे भरे खेतो और भरे पुरे गाँव से गुज़रते हुए लोगो ने अपना संघर्ष तीव्र करने का संकल्प लिया |

कल धरमपुरी तहसील  के हत्नावर, खत्डगाव, कोठड़ा और मनावर तहसील  के सरस गाव, जल्खेडा आदि गाव मे यात्रा पहुँचेगी |

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