संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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राज्य दमन/पुलिसिया दमन

लूट-शोषण के खिलाफ बोलोगे तो मारे जाओगे !

हाल के महीनों में सरकारी दमन, कारपोरेट लूट और आर्थिक-सामाजिक विषमता के मुद्दों पर आवाज़ उठाने वाले लोगों पर चौतरफा हमले हुए हैं चाहे वो रायगढ के रमेश अग्रवाल हों, या मारुति के मज़दूर. दमन के इस पूरे दुष्चक्र पर सुनील की यह रिपोर्ट: आपके घर में ‘लूटेरे’ आते हैं; आप विरोध करते हैं तो आपको बांध कर मारा-पीटा जाता है; अगर इसका जवाब…
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जनद्रोही क़ानूनों और राज्य दमन के ख़िलाफ़ लखनऊ में सात दिवसीय साझा दस्तक

इक़बालिया बयान पूरे होशो-हवास में और बिना किसी दबाव के हम एलान करते हैं कि हां, हम भी देशद्रोही हैं और हमें इस पर…

क्या न्यायपालिका आदिवासी विरोधी है?

15 जुलाई, 2012 को रिमझिम बारिस के बीच, सरकार के फरमान पर अपनी जमीन बचाने के लिए नगड़ी गांव के रैयत रांची के कांके स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के सभागार में विराजमान हुए। यह विश्व विद्यालय भी उन्ही के बापदादो से जमीन छिनकर बनायी गयी है। सरकार अब उनका बचाखूचा जमीन भी विकास के नाम पर लूट कर उन्हें भूमिहीन, बेघर और लाचार बनाने पर तुली हुई है, जिसका…
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कांके-नगड़ी में भूमि अधिग्रहण के विरोध में स्थानीय आदिवासियों का संघर्ष

कांके-नगड़ी में सरकार जमीन अधिग्रहण कानून 1894 के तहत 1957-58 में राजेंन्द्र कृर्षि विश्वविद्यालय के विस्तार के लिए…

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के दमन के विरूद्ध: राष्ट्रीय गठबंधन का गठन

सी.पी.एच.आर.डी. (कोएलिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ ह्यूमन राइट्स डेफेंडर्स) ने कार्य शुरू किया। दिल्ली में कार्यालय की…

संवैधानिक प्रावधान लागू कराने की मांग भी सत्ता को स्वीकार नहीं : विधानसभा घेरने जा रहे आदिवासियों पर निर्मम लाठी चार्ज

सत्ता की कथनी-करनी का गंभीर फर्क बार-बार सामने आता रहता है। भारतीय संविधान में आदिवासियों की विशष्टताओं को देखते हुए उनके लिए विशेष प्रावधान पांचवीं एवं छठवीं अनुसूची के रूप में किये गये हैं और वन अधिकार अधिनियम बनाते समय भी घड़ियाली आँसू बहाते हुए कहा गया था कि ‘ऐतिहासिक अन्यायों को समाप्त करने के लिए’ यह कानून लाया गया है जिससे कि आदिवासियों के…
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आदिवासी सम्मेलन का हिंसात्मक दमन : 9 आदिवासी हिरासत में तथा एक घायल

राज्य एक तरफ भाषा-संस्कृति की रक्षा तथा उन्नयन पर करोड़ों रुपये का प्रावधान करके काम करने की बात कहता रहता है।…

पुलिस के संरक्षण में अंगुल में जिंदल स्टील के सुरक्षा गार्ड तथा गुंडों द्वारा…

सरकारी दमन और कारपोरेट हिंसा का सामना करते हुए ओडिसा के तमाम जन संघर्ष अपने वन, जल, भूमि, खनिजों और अन्ततः अपने…

झारखंड के सारंडा जंगल में आदिवासियों पर पुलिसिया जुल्म: एक सच्ची तस्वीर

10 अक्टूबर, 2011 को झारखंड मानव अधिकार आन्दोलन द्वारा तैयार सारंडा का शाब्दिक अर्थ सात सौ छोटी पहाड़ियों वाला जंगल है। यह एशिया में सबसे बड़ा साल के जंगल के रूप में प्रसिद्ध है। यह झारखंड के जिले पश्चिम सिंहभूम में स्थित है। लगभग 20,000 आदिवासी परिवारों वाली सवा लाख आदिवासी जनसंख्या जंगल में रहती है। आदिवासी कृषि, जंगली उत्पादों एवं पशुपालन…
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