जलवायु परिवर्तन वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक तंत्र का परिणाम है: सौम्य दत्ता
"जलवायु परिवर्तन केवल पर्यावरणीय संकट नहीं है, यह वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक तंत्र का परिणाम भी है। यह संकट औद्योगिक विकास मॉडल, उपभोगवाद और प्राकृतिक संसाधनों के असीम दोहन से भी जुड़ा है। वर्ष 1971 में ही मानव सभ्यता ने पृथ्वी की कुल जैविक उत्पादन क्षमता के दोहन को पार कर लिया था। आज हम धरती की क्षमता से 1.8 गुना अधिक प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर…
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