रोहित की हत्या के विरोध में प्रतिरोध मार्च : 23 फ़रवरी 2016 को दिल्ली चलो
ब्राह्मणवादी हिंदुत्व फासीवाद को बर्बाद करें!
रोहित के लिए न्याय की मांग!
दलित शोधार्थी रोहिथ वेमुला की भाजपा, एबीवीपी तथा HCU प्रशासन के हाथों द्वारा हुई संस्थागत मृत्यु को एक महीना होने आया है। रोहित उन पांच दलित शोधार्थियों में से था जिन्हें उनके हॉस्टल से निष्कासित कर दिया गया था तथा देश की फासीवादी और ब्राह्मणवादी शक्त्यिों के द्वारा किये गये अन्याय के विरोध भें आवाज उठाने के लिए भी इन्हें सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ा था।
रोहित की मृत्यु ने देश में सैंकड़ों धरनों-प्रदर्शनों को चिंगारी दी, जिसमें लोगों ने रोहित के लिर न्याय की तथा जीवन के सभी क्षेत्रों से जातिगत भेदभाव को खत्म करने की मांग की है। लेकिन न्याय तो क्या, जिन्होंने रोहित को मृत्यु के लिए मजबूर किया वह सम्मानीय पदों पर बिठाये जा रहे हैं तथा न्यायिक तहकीकात से बचाए जा रहे हैं। साथ ही साथ इन्हें तर्कों से परे बचाया भी जा रहा है जबकि रोहिथ और उसकी दलित अस्मिता को इन ताकतों के प्रश्नांकित भी किया गया है। इसी बीच केंद्र सरकार ने अपने आप इस मुद्दे को कमजोर करने की साजिश में लोगों का ध्यान एक दूसरे उच्च शिक्षा संस्थान की ओर खींचा है; जोकि जेएनयू है। यहां सरकार ने मनगढंत खुफिया रिपोर्टों के आधार पर सनसनी पैदा करने वाली खबरों तथा आरएसएस-बीजेपी-एबीवीपी के तिकड़म के षड्यंत्रों द्वारा संस्थान को ‘देश-दा्रही’ घोषित किया है। इस देश में फासीवादी शासन को स्थापित करने के संघ गिरोह के नेक्सस और उनका एजेंडा आज हमारी आँखों के सामने है। इस विपरीत समय में, हमें एक साथ जुड़ने की जरूरत है, ताकि हम ब्राह्मणवादी हिंदुत्व के एजेंडे की कलई खोलें तथा देश की जनता पर हो रहे फासीवादी हमले के खिलाफ लड़ें।
सामाजिक न्याय के लिए बनी जॉइंट एक्शन समिति रोहिथ की ही तरह उस हर आवाज के लिए मौजूद है, जिन्हें सरकार खामोश कराना चाहती है। हम सैकड़ों रोहिथ वेमूला के लिए एकताबद्ध होकर न्याय की मांग कर रहे हैं। हम दिल्ली के सभी लोगों से संघर्ष में शामिल होने की अपील करते हैं। हम छात्र, श्रमिक, संस्कृतिकर्मी, बुद्धिजीवी, रोहिथ की शहादत को याद करते, न्याय और तथा आजादी और देश्ज्ञ को हमारे सपने याद दिलाने के लिए रैली कर रहे हैं।
हमारी मांगें-
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- शैक्षणिक संस्थाओं में जातिगत भेदभाव के खिलाफ ‘‘रोहिथ एक्ट’’ क्रियान्वित किया जाये।
- दोषियों को सजा दिलायी जाये (स्मृति ईरानी, बंडारू दत्तात्रय, अप्पा राव, आलोक पाण्डेय तािा सुशील कुमार).
- अप्पा राव को कुलपति के पद से हटाया जाए.
- रोहिथ के परिवार के सदस्य को यूनीवर्सिटी में नौकरी दी जाये.
- कम से कम 50 लाख रुपये मुआवजा दिया जाये।
- पांच शोधार्थियों के खिलाफ पुलिस केस वापस हो।
- एक विशेष पब्लिक वकील को रोहिथ से संबंधित केस के लिए नियुक्त किया जाये।
- भेदभाव के सभी मामलों में न्यायिक तहकीकात के लिए एक समिति बनाई जाए (जिसमें MHRD के सदस्य न हों) और वह उच्च शिक्षा संस्थानों में दलित, आदिवासी, ओबीसी, धार्मिक अल्पसंख्यक के मामले देखे।
- महाविद्यालयों के प्रबंधन की परवाह किये बिना, सभी उच्च शिक्षा संस्थानों में सकारात्मक कार्यवाही के लिए नीतियों को क्रियान्वित किया जाये।
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