संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

बुलेट ट्रेन : यह शासक की जिद्द है, जिसकी कीमत आने वाली पीढ़ी चुकाएगी; देखें वीडियो

दिल्ली 4 अगस्त 2018। दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में भूमि अधिकार आंदोलन द्वारा बुलेट ट्रेन परियोजना के विभिन्न पहलुओं जबरन भूमि अधिग्रहण, पर्यावरण का विनाश, अतिक्रमण, लोकतांत्रिक मानकों पर हमला, बुलेट ट्रेन के खिलाफ संघर्षरत लोगों के साथ एकजुता इतियादी मुद्दों पर  2 अगस्त, 2018 को एक पूरे दिन की विचार सभा का आयोजन किया गया।

मुम्बई और अहमदाबाद के बीच प्रस्तावित हाई स्पीड रेल कॉरिडोर (जो बुलेट ट्रैन नाम से लोकप्रिय है) का रास्ता महाराष्ट्र और गुजरात के आदिवासी और कृषि इलाको को काटकर निकाला जाने वाला है। क्षेत्र के किसान इस परियोजना के विरोध में है क्योंकि उनकी उपजाऊं ज़मीन ले ली जाएगी। इसके साथ ही ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह कि अतिआवश्यक विकासात्मक और सामाजिक क्षेत्र के मुद्दों के लिए पैसा ना देकर उन्हें नज़रंदाज़ किया जा रहा है। और इस बात को लेकर जनता में रोष बढ़ा है। रेलवे क्षेत्र में वर्तमान में जरूरत है – मौजूदा ट्रैक्स को उन्नत बनाने और सुधारने की, भारतीय प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए तीव्र सेवाओं को लागू करने की और बेहतर सुरक्षा उपायों की, जिन सभी को नज़रंदाज़ किया जा रहा है।

दोनों शहरों के बीच रेल और हवाई यातायात के मौजूदा आंकड़ों को देखते हुए प्रस्तावित बुलेट ट्रेन परियोजना की आर्थिक व्यवहार्यता पर प्रश्न उठता है। ऋण की शर्तें हमारे अनुकूल होने के दावों के विपरीत बिगड़ती हुई रुपया-येन विनिमय दर आदि को देखते हुए ये संभावना ज्यादा है कि ऋण चुकाने का भार हम पर भारी पड़ेगा। पूरी परियोजना में पारदर्शिता के अभाव और अस्पष्ट शर्तों जिनमें JICA द्वारा पुनर्भुगतान भी शामिल है, को लेकर लगभग सभी राजनैतिक दल बुलेट परियोजना के विरूद्ध जनता के साथ खड़े है।

भारत को 508 किमी लंबी बुलेट ट्रैन परियोजना के लिए 1.1 बिलियन यूएस डॉलर की भारी भरकम राशि नहीं चाहिए बल्कि पैसा चाहिए हमारे ढहते हुए शहरों, सार्वजनिक परिवहन और अन्य आधारभूत आवश्यकताओं के लिए। इन परियोजना के बारे में जनसाधारण की राय और इसके राजनैतिक प्रभावों को देखते हुए ये समझ में आता है कि ये परियोजना महज़ सत्ताधारी सरकार के अहंकारोन्माद और मोह को संतुष्ट करने के लिए है। यह बुलेट सिर्फ भारत की जनता को मारने और अपंग बनाने के लिए है।

क्या है परियोजना

इस परियोजना की कुल लंबाई 508.90 किमी है। जिसमें 487 किमी एलिवेटेड कॉरिडोर और 22 किमी सुरंग बननी है. प्रस्तावित 12 स्टेशन में से आठ का निर्माण गुजरात में होना है। गुजरात में इसकी लंबाई 349.03 किमी है जबकि महाराष्ट्र में 154.76 किमी है। वहीं 4.3 किमी यह दादरा एवं नगर हवेली से गुजरेगी।

इस पूरी परियोजना के लिए गुजरात में 612.17 हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 246.42 हेक्टेयर और दादरा नगर हवेली में 7.52 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट को 15 अगस्त 2022 तक शुरू कर देना चाहती है।

गौरतलब है कि उच्च गति से चलने वाली यह ट्रेन मुंबई से अहमदाबाद की 500 किमी की दूरी को तीन घंटे से कम समय में पूरा करेगी, जिसके लिए अभी सात घंटे लगते हैं।

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