34 साल बाद भी सरदार सरोवर डूब प्रभावितों को पुनर्वास का इंतजार
सरदार सरोवर से बर्गी तक नर्मदा घाटी के हजारों का संकल्प
गुजरात की मनमानी नहीं मंजूर | बिना पुनर्वास डूब नामंजूर
नर्मदा लिंक परियोजनाएँ और सभी बांधो पर करें पुनर्विचार
बड़वानी 31 जुलाई 2019 | नर्मदा घाटी के हजारों भाई बहन, किसान, मजदूर सभी एकत्रित होकर बड़वानी में अपना संकल्प व्यक्त कर रहे हैं | हजारों महिलाओं की ताकत जो कि हर वक्त नर्मदा बचाओ आंदोलन की आगुवाही में रही है, यहाँ जुटी हुई हैं | सरदार सरोवर में 139 मीटर तक पानी भरने का हठग्रह, जो गुजरात और केंद्र सरकार मिलकर, आगे बढ़ा रही है, उसका विरोध करते हुए सभी ने संकल्प व्यक्त किया है कि डूब क्षेत्र में 32,000 परिवार होते हुए , हमारी प्रकृति , संस्कृति, हमारी नदी बरबाद नहीं होने देंगे | मध्यप्रदेश सरकार की स्पष्ट भूमिका है कि गुजरात बिजली तक नहीं दे रहा है, , पुनर्वास हजारों का बाकी है, जिसका खर्च गुजरात ने ही देना है ……. तो मध्यप्रदेश गुजरात को अधिक पानी नहीं दे सकता है ! इसका संकल्प सभा में जुटे करीबन 7000 लागों ने स्वागत किया|
बर्गी, महेश्वर, ओंकारेश्वर , जोबट बांधो के विस्थापितों का भी जीविका के साथ पुनर्वास नहीं हुआ है यह बात रखी राजकुमार सिन्हा जी ओर जगदीश भाई पाटीदार तथा खेमा भाई, सुरभान ने ! राजकुमार सिन्हा ने कहा कि झूठे दावों की पोलखोल हो चुकी है | साथ ही नर्मदा में अब बड़े बांध ण बनाते, विकेन्द्रित जल नियोजन दिशा ही लेनी होगी | यही नर्मदा आंदोलन की सीख है |
सौराष्ट्र से पधारे गुजरात के भूतपूर्व पर्यावरण मंत्री प्रवीण सिंह जाड़ेजा ने गुजरात की ओर से नर्मदा आंदोलन की माफी मांगते हुए कहा कि हम, जो गुजरात के कच्छ , सौराष्ट्र के नाम पर पानी मांगते रहे और सरदार सरोवर का समर्थन किया तो, गलत साबित हुए हैं और नर्मदा बचाओ आंदोलन ने उठायी हर बात सच साबित हुई है | गुजरात और केंद्र की सरकार न विस्थापितों के पक्ष में हैं, न हि किसानों के पक्ष में हैं !
सौराष्ट्र के क्रांति संगठन जो किसानों का है, उन्हें हकीकत विशद करते हुए कहा कि यहां के किसानों को डूबोकर सौराष्ट्र के किसानों को भी पर्याप्त पानी नहीं दे रही है | गुजरात सरकार पानी प्रथम उद्योगों को , अडानी – अम्बानी को दे रही है, तो हम सबको मिलकर नर्मदा बचाना चाहिए ओर किसानों के हक का जल ही पहले उन्हें मिले, बड़े पूंजीपतियों को नहीं, यह सुनिश्चित करना चाहिए |
कच्छ से पधारे भरत पटेल और गजुबा का सम्मान करते हुए लोगों ने सुना कि ये मच्छीमार साथी अम्रीका की सुप्रीम कोर्ट में जीते हैं | उन्हें मिले फैसले के अनुसार अब विश्व बैंक अगर किसी भी कंपनी को पैसा देती हैं, तो उन्हें भारत जैसे हर देश के सभी कानूनों का पालन करना होगा | नर्मदा घाटी की ओर से उनका सम्मान किया गया, साथ ही उन्हें कानूनी संघर्ष में साथ देने वाले दिल्ली के CFA संस्था के साथियों का भी | नर्मदा घाटी के साथियों की विश्व बैंक के सामने हुई 1993 की जीत के बाद यह जीत भी दुनिया में बड़ी है और इससे विश्व बैंक को जनतंत्र के समक्ष झुकना पड़ा है |
डॉ. सुनीलम और आराधना भार्गव जी के व्यक्तव्यों से लोगों को बल मिला | उन्होंने नर्मदा घाटी के लोगों की यह मांग कि बड़ी लिंक परियोजनाओं पर पुनर्विचार करना चाहिए , सही बताते हुए, कहा कि मध्यप्रदेश के सभी जन संघटनों को इस पर साथ देना जरूरी है स्थानीय से अन्तराष्ट्रीय स्तर तक विजय पाने वाले आंदोलन का अभिनंदन करते हुए कहा कि घाटी के लोगों को जबरन पुलिस बल से आज तक किसी सरकार की हिम्मत नहीं हुई | सुनीलम जी ने सुरेन्द्र सिंह बघेल के सच्चे , हिम्मतवान वक्तव्य की सराहना की |
चिन्मय मिश्र जी, जो मध्यप्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष चुने गये हैं, उन्होंने सभी के समक्ष बात रखते , आंदोलन को 34 साल पूरे होने के लिए बधाई दी | जाड़ेजा जी ने गुजरात को ओर से घाटी के लोगों की , आंदोलन की क्षमायाचना करने के लिए उनका अभिनंदन किया आंदोलन एक सच्चा सत्याग्रह है , इसीसे असत्य के पीछे दौड़ने वाले गुजरात ने आज ज्ञान पाया है !
संजय मंगला गोपाल, उर्जा विशेषज्ञ , परिणीता दांडेकर , दक्षिण एशियाई नदी, बांध ओर लोगों पर शोधकर्ता और राजेन्द्र रवि , सभी ने जनसुनवाई की, नर्मदा घाटी के सभी बांधो पर | उन्होंने एक स्पष्ट रूप से मध्यप्रदेश ने उठाये सवालों की सच्चाई सामने लाने के लिए सभी आंदोलनकारियों को धन्यावाद | उन्होंने आश्वाषित किया कि वे नर्मदा की पूरी हकीकत एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करेंगे और 32000 सरदार सरोवर डूबक्षेत्र में बसें परिवार तथा बर्गी से लेकर हर बांध की लाभ हानि की सच्चाई भी उजागर करेंगे |
परिणीता दांडेकर बहन ने कहा कि अमरीका ने आज तक 1000 से अधिक बांधों को तोड़कर नदियों को खुला किया है | नर्मदा आंदोलन की प्रेरणा को मानते है, ब्राजील जैसे देश में भी लड़ने वाले बांधग्रस्त विस्तापित नर्मदा आंदोलन की पूरी हकीकत सुनकर उन्होंने उसपर अधिक शोध लेखन ओर समर्थन का आश्वाशन दिया |
राजेन्द्र रवि जी ने विकास के विकल्पों को आगे बढ़ाने का ऐलान किया ताकि प्राकृतिक संसाधन बचा सके जिससे नदी भी बहती रहेगी |
मुदिता विद्रोही और स्वाती देसाई गुजरात के विकास मॉडल की विकृति बताते हए कहा कि गुजरात के लोग भी अब समझ गये हैं कि उन्हें नर्मदा का मृगजड़ दिखाया गया और आंदोलन की बात ही सत्य है |
ओंरंगाबाद से, चौपडा (जलगांव) से, इंदौर और भोपाल से आए साथी समर्थकों ने भी आंदोलन का अभिनंदन किया !
इंदौर से अशोक दुबे जी, प्रमोद बागड़ी जी, अतुल लागू जी सभी ने मध्यप्रदेश शासन ने भी गुजरात के सामने दी हुई चुनौती की तारीफ़ की |
मान, जोबट, माही और गंजाल – मोरंड परियोजननाओं के साथियों ने भी अपनी आवाज उठायी
सेंचुरी के श्रमिकों ने भी नर्मदा के पानी पर चलने वाली मीलों की पोलखोल की और कहा कि श्रमिक संघटनों ने हमें धोखा दिया लेकिन हमें नर्मदा आंदोलन की सात लेखन दो सालों से किया संघर्ष रोजगार और सही विकास के लिए हैं जो हमें जीतकर रहना है !
संकल्प के द्वारा अपनी तरफ से नर्मदा की पूरी घाटी ने जाहिर किया है कि हम संपूर्ण पुनर्वास और पर्यावरण सुरक्षा के बिना गांवगांव से नहीं हटेंगे | मध्यप्रदेश शासन गुजरात और केंद्र से संघर्ष करें लेकिन विस्थापितों के हक को और नर्मदा को बहती रखने की मांग को नजरअंदाज न करें
भागीरथ धनगर, चेतन साल्वे , जगदीश पाटीदार, मुकेश भगोरिया, सनोबर बी मंसूरी, लतिका राजपूत कमला यादव, मेधा पाटकर