किसान-मजदूरों की मांगों को लेकर AIKKMS ने किया 25 फरवरी को विरोध प्रदर्शन का ऐलान
ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन 25 फरवरी को चण्डीगढ़ में धरना – प्रदर्शन करेगा। उसी दिन अन्य प्रदेशों की राजधानियों मे विशाल किसान धरने-प्रदर्शन आयोजित कर भारत सरकार की “प्रस्तावित नई कृषि मार्केटिंग नीति” को तत्काल प्रभाव से रद्द करने और किसानों की लागत से डेढ़ गुना (सी2+50%) एमएसपी दरों पर तमाम फसलों की सरकारी खरीद का गारंटी कानून बनाने की मांग को जोरदार ढंग से बुलंद करेगा।
यह जानकारी आज यहां चण्डीगढ़ के किसान भवन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और संयुक्त किसान मोर्चा के एक प्रमुख नेता सत्यवान ने पत्रकारों को दी। प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले सत्यवान ने अंग्रेज सरकार के विरुद्ध राष्ट्रीय किसान आंदोलन के जनक क्रांतिकारी सरदार अजीत सिंह की 144वीं जयंती पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
किसान नेता सत्यवान ने विस्तारपूर्वक बताया कि 25 फरवरी को हरियाणा के किसान और खेत मजदूर पंचकूला के धरना स्थल पर एकत्र होकर चण्डीगढ़ में प्रदेश विधानसभा की ओर कूच करेंगे और मुख्यमंत्री को एक मांगपत्र पेश कर यह मांग करेंगे कि “नई कृषि मार्केटिंग नीति के मसौदे” को रद्द करने का एक प्रस्ताव हरियाणा विधानसभा में पारित करके प्रधानमंत्री को भेजा जाए। पंजाब सरकार पहले ही ऐसा प्रस्ताव पारित कर चुकी है।
सत्यवान ने कहा कि किसान-विरोधी यह ड्राफ्ट नीति मोदी सरकार द्वारा रद्द किए गए तीन काले कृषि कानूनों से भी खतरनाक है। इस नीति का उद्देश्य कृषि मार्केटिंग पर बड़े पूंजीपति घरानों, निर्यातकों व खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष नियन्त्रण कायम कराना है। इसके फलस्वरूप किसानों की बेरोकटोक लूट होगी और देश में अनाज समेत समस्त खाद्य सामग्री भयंकर महंगी हो जाएंगी जिससे कुपोषण व भुखमरी बढ़ेगी।
सत्यवान ने बताया ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन लागत खर्च से डेढ़ गुना (सी2+50%) एमएसपी रेट पर फसलों की सरकारी खरीद का गारंटी कानून बनवाने, बिजली बिल 2023 व स्मार्ट बिजली मीटर स्कीम पर रोक लगाने, किसानों व खेत मजदूरों की कर्जमुक्ति, खाद-बीज-कीटनाशक, डीजल आदि कृषि उपयोगी चीजों को सस्ते दामों पर पर्याप्त मात्रा में समय पर उपलब्ध कराने, फसल खराबे का प्रति एकड़ 50,000 रुपये मुआवजा, ग्रामीण गरीबों को पूरे साल रोजगार, अवारा पशुओं की रोकथाम जैसी प्रमुख मांगों को लेकर देशभर में किसान आन्दोलन को सशक्त बनाने के लिए संघर्ष कर रहा है।
उन्होंने कहा कि एमएसपी की मांग पर हमारे दो पहलू हैं। पहला है, सरकार लागत से डेढ़ गुना दाम पर सभी फसल खरीदे और दूसरा है, सार्वजनिक राशन वितरण प्रणाली के माध्यम से ग्रामीण व शहरी उपभोक्ताओं को सस्ते रेट पर उपलब्ध कराये। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार देशवासियों को तरह तरह से गुमराह कर रही है। कभी कह रही है कि किसानों को वह एमएसपी दे रही है। फिर यह भी कहा जा रहा है कि सरकार के पास इतना धन नहीं है। भाजपा सरकार का यह सरासर कुप्रचार है।
देश के किसी भी राज्य में स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के आधार पर एमएसपी नहीं दी जा रही है। दूसरे, जब वह बड़े पूंजीपति घरानों को प्रति वर्ष अरबों खरबों रुपए की सब्सिडी व कर्जमाफी दे सकती है तो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य क्यों नहीं दे सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि लोकसभा में पेश बिजली बिल-2023 उपभोक्ता हितों के विरुद्ध है और स्मार्ट बिजली मीटर स्कीम उपभोक्ताओं पर भयंकर कुठाराघात है। किसान इसे हरगिज बर्दाश्त नहीं करेंगे।
ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष अनूप सिंह मातनहेल ने रोषपूर्वक बताया कि फसल बिजाई के समय डीएपी खाद की सप्लाई करने में भाजपा सरकार पूरी तरह से विफल रही है। किसानों को फसल खराबे का मुआवजा दो-दो साल तक नहीं मिलता। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किश्तों की जमा रकम का 97 प्रतिशत प्राइवेट कंपनियां हड़प कर जाती हैं और मुआवजा भुगतान की दर मात्र 6.7% है। किसानों के आवेदन थोक में ठुकरा दिए जाते हैं। आवारा पशुओं द्वारा चट करने से और आग से नष्ट हुई फसल का मुआवजा नहीं दिया जाता। यदि सरकार का किसानों से तनिक भी सरोकार है तो फसल खराबे का मुआवजा सरकार खुद दे।
संगठन के अन्य प्रमुख नेता कामरेड राजेन्द्र सिंह एडवोकेट ने कहा कि सरकार की कृषि-विरोधी नीतियों के कारण कर्ज के बोझ तले दब कर देश में 5 लाख से ज्यादा किसान मजबूरन आत्महत्या कर चुके हैं। लेकिन वह किसानों को दिल्ली राजधानी में आकर अपनी बात तक नहीं कहने देती। किसानों पर तरह तरह से दमन चक्र चलाया जाता है जिसमें वह कभी भी कामयाब नही होगी।
उन्होंने बताया कि ग्रामीण गरीबों को पूरे साल काम नहीं मिलता। उन्हें रिहायशी प्लाट दिये जाने चाहिएं और सभी बुजुर्गों को बुढ़ापा पेंशन ₹10,000 महीना दी जाए। उन्होंने बताया कि रेवाड़ी के माजरा में निर्माणाधीन एम्स में ओपीडी खोलने और एमबीबीएस क्लासें चालू करने की मांग की सरकार अनदेखी कर रही है। संगठन पुरजोर मांग करता है कि किसान और खेत मजदूरों की जो बेटियां आंगनवाड़ी, मिड-डे-मील व आशा स्कीमों में वर्कर-हेल्पर हैं, उन्हें सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए और निर्माण मजदूरों को उनके हितलाभों से वंचित न किया जाए।
हरियाणा प्रदेश में लोगों के जी-का-जंजाल बन चुकी परिवार पहचान पत्र (फैमिली आईडी) स्कीम को रद्द किया जाना चाहिए। हरियाणा सरकार द्वारा रोडवेज का निजीकरण करने से और शासक पार्टी द्वारा राजनैतिक रेलियों में रोडवेज का दुरुपयोग करने से भी लोगों में गहरा विक्षोभ है। हरियाणा के लोग चाहते हैं कि प्रदेश की राजधानी, उच्च न्यायालय और विधानसभा हरियाणा के बीच में रोहतक जैसे किसी भी स्थान पर बने।
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जारी कर्ता:
अनूप सिंह मातनहेल,
अध्यक्ष
हरियाणा प्रदेश कमेटी,
ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन, AIKKMS