परमाणु ऊर्जा विरोधी जन पहल: आंदोलन तेज करने के लिए एकजुट हो!
परमाणु ऊर्जा विरोधी सम्मेलन
एक दिसंबर, गांधी भवन
सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक भोपाल, मध्य प्रदेश
जनता के जबरदस्त विरोध के चलते मध्यप्रदेश के मंडला जिले में चुटका परमाणु संयंत्र के निर्माण के लिए सरकार द्वारा आयोजित तथाकथित जन सुनवाई को पहले मई में और फिर दुबारा जुलाई में रद्द करना पड़ा। परमाणु ऊर्जा विरोधी जन पहल (PIANP) जन आंदोलन की इस जीत को सलाम करता है। महाराष्ट्र के जैतापुर, गुजरात के मीठीवर्दी, हरियाणा के फतेहाबाद जिले के गोरखपुर, आन्ध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में कोवाड़ा तथा देश के विभिन्न हिस्सों में प्रस्तावित परताणु संयंत्रों के खिलाफ वहां की जनता संघर्षरत है। तथा सरकार द्वारा बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के हित में किसी भी कीमत पर इन परमाणु संयंत्रों को लादने के लिए चलाई जा रही चालों को शिकस्त दे रही है।
भारत के प्रधानमंत्री जब सितंबर माह में अमेरिका के दौरे पर गए थे तो उन्होंने परमाणु जवाबदेही कानून को हल्का बनाने के लिए ओबामा प्रशासन के हुक्म के आगे नतमस्तक होने का निर्लज्ज जन-विरोधी आचरण किया था। इसके पीछे उनका मकसद था मीठीवर्दी परियोजना के लिए अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कम्पनी वेस्टिंगहाउस को परमाणु रिएक्टर देने के लिए सहमत करना। भारत सरकार द्वारा ऐसे तमाम घृणित आचरण ऐसे समय में किए जा रहे है। जब फुकुशिमा बिजलीघर हादसे के बाद जनता के जबरदस्त आक्रोश को देखते हुए जापान ने अपने आखिरी (52) परमाणु संयंत्र को भी बंद करने का निर्णय लिया है तथा यूरोप और उत्तरी अमेरिकी के सभी देशों ने सभी चालू परमाणु संयंत्रों को बंद करना शुरू कर दिया है। ऐसा करके विकसित देशों ने एक तरह से यह स्वीकार कर लिया है कि परमाणु तकनीकी के विकास के मौजूदा स्तर तथा परमाणु कचरे को ठिकाने लगाने में आने वाली लागत को देखते हुए परमाणु ऊर्जा व्यवहारिक या सुरक्षित नहीं है। लेकिन परमाणु रिएक्टरों का निर्माण करने वाली बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की मदद करने के लिए अमेरिका, फ्रांस, जापान जैसे साम्राज्यवादी देषों द्वारा भारत जैसे देशों में जहां की सरकार कई तरह से उनपर आश्रित है, परमाणु संयंत्रों को लगाने के लिए चौतरफा दबाव डाला जा रहा है।
पिछले कुछ दशकों का अनुभव बता रहा है, कि पर्यावरण के विनाश का खतरा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। इसमें दुनिया के गर्म होने ( वैष्विक गरमाहट) की घटना भी शामिल है। यह बात कई बार साबित हो चुकी है, कि विकास के अपने वर्तमान चरण में हमने देखा है कि परमाणु तकनीकी न तो चेर्नोबिल ना ही फुकुशिमा तक परमाणु हादसों से निपटने में सक्षम है और ना ही परमाणु कचरे को सुरक्षित तरीके से ठिकाने लगाया जा सकता है। परमाणु बिजलीघर, यूरेनियम खदान और परमाणु हथियार ये सभी पर्यावरण विनाश को न्योता दे रहे है। ऐसी स्थिती में इसे लेकर चिन्तित सभी लोगों की जो देषभर में परमाणु विरोधी आंदोलनों में सक्रियता से लगे हुए है, यह जिम्मेवारी है कि वे एक साथ आएं और सरकार की प्रतिगामी परमाणु नीति का प्रतिरोध करने के लिए देशव्यापी सशक्त आंदोलन छेड़ें। पर्यावरण विनाश के मद्देनजर मानवता के अस्तित्व के लिए संघर्ष में इस आंदोलन को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शक्तिषाली रूप में उभर रहे परमाणु विरोधी और पर्यावरण रक्षक आंदोलन का भी हिस्सा बनाना होगा। आईकोर (क्रांतिकारी पार्टियों एवं संगठनों का अन्तर्राष्ट्रीय समन्वय) ने इस कार्यभार को प्रभावी ढंग से हाथ में लिया है।
इस पृष्ठभूमि में, मध्यप्रदेश में चुटका परमाणु परियोजना का सफलतापूर्वक प्रतिरोध कर रहे प्रगतिशील ताकतों की पहल के आधार पर, परमाणु ऊर्जा विरोधी जन पहल ने देशभर में चल रहे परमाणु विरोधी आंदोलनों को निम्न नारों के आधार पर एकजुट होने का आह्वान किया है :
1. सभी नव प्रस्तावित परमाणु संयंत्रों को रद्द करो।
2. सभी चालू परमाणु संयंत्रों को बंद करो।
3. वर्तमान में चालू एवं प्रस्तावित यूरेनियम खदानों पर रोक लगाओ।
4. परमाणु हथियारों के खिलाफ और सार्वभौमिक परमाणु निशस्त्रीकरण के लिए संघर्ष करो।
5. वैकल्पिक अक्षय ऊर्जा स्रोतों का विकास करो।
6. जनपक्षीय ऊर्जा नीति समेत विकास का वैकल्पिक प्रतिमान तैयार करो।
परमाणु ऊर्जा विरोधी जन पहल की ओर से हम सभी परमाणु विरोधी आंदोलनों, राजनीतिक संगठनों, समूहों, वैज्ञानिकों एवं प्रगतिशील ताकतों से संपर्क करने और चर्चा करने का प्रयास कर रहे है, ताकि उपरोक्त नारों के आधार पर एकता कायम की जा सके। इस उद्देष्य से भोपाल में 1 दिसंबर 2013 को एक सम्मेलन का आयोजन किया गया है। जैसा कि आप जानते है कि भोपाल में 2-3 दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात बहुराष्ट्रीय कंपनी, यूनियन कार्बाइड से जहरीली गैस रिसाव का हादसा हुआ है। यह सम्मेलन उसकी 29वीं वर्षगांठ के ठीक पहले आयोजित किया गया है।
हम सभी प्रगतिशील ताकतों से अनुरोध करते है कि इस सम्मेलन को सफल बनाने के लिए आगे बढ़कर सहयोग करें, ताकि संप्रग सरकार और परमाणु प्रतिष्ठानों के नौकरशाहों के प्रतिगामी कदमों का करारा जवाब दिया जा सके, जो जनता पर परमाणु संयंत्रों को लादने की कोशिष कर रहे हैं, जबकि सभी तथाकथित विकसित देशों द्वारा मौजूदा संयंत्रों को भी बंद किया जा रहा है।
1 दिसंबर को भोपाल में यह एक दिवसीय सम्मेलन गांधी भवन में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक आयोजित किया गया है।
सम्मेलन की विस्तृत जानकारी के लिए : विजय कुमार-9981773205 , खुमेन्द्र कुमार-9993700564) से संपर्क करें।