भिलाई गोलीकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि : 1992 का पुलिस दमन नहीं भूलेंगे मजदूर
छत्तीसगढ़ भिलाई 1 जुलाई 2018। पावर हाउस स्टेशन में गोलीकांड में मारे गए छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के श्रमिकों को आज श्रद्धांजलि दी गई। श्रद्धांजलि देने श्रमिकों के परिजन के अलावा मुक्त मोर्चा के पदाधिकारी, कार्यकर्ता और विभिन्न मजदूर संगठनों के लोग बड़ी संख्या में पहुंचे थे। सभी ने दोपहर को पावर हाउस रेलवे स्टेशन पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इनमें पुरुषों के अलावा बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। इस दौरान पावर हाउस प्लेटफार्म में श्रमिकों की भारी भीड़ हो गई थी।
आप को बता दे कि सुंदर पटवा की सरकार ने 1 जुलाई 1992 को जिने लायक वेतन के मांग पर 17 मजदूरों को गोलियों से भून दिया था | ये वो 4200 मजदूर थे जिन्हे आज भी काम पर वापस नहीं लिया गया | भिलाई के मजदूरों का आंदोलन लगातार जारी है | इससे पूर्व 28 सितम्बर 1991 को शंकर गुहा नियोगी को निजीकरण, उदारीकरण और भूमंडलीकरण के नीतियों के तहत भिलाई में उद्योगपतियों ने सबेरे सोते हुए मौत के घाट उतार दिया था | आज 26 साल बाद मजदूरों की हालत और ज्यादा खराब है अब उन्हें यूनियन बनाने का अधिकार नहीं है | एक के बाद एक सारे उद्योग बंद होने के कगार पर है | मशीनीकरण कर लोगों के हाथ से रोजगार छिना जा रहा है | स्थाई मजदूरों को काम से हटा कर ठेकेदारी प्रथा पर सारे काम चलाए जा रहे हैं | मजदूरों के बिगड़ते हालातों के साथ किसान मजदूर आत्महत्या के लिए मजबूर है | इस बर्बर हत्याकांड के खिलाफ हर साल छत्तीसगढ़ के भिलाई में शहीद दिवस मनाया जाता है । जिसमे मजदूर यूनियन अथवा विभिन्न जन संघठन रैली और जन सभा करते है ।
हम बनाबो नवा पहिचान राज करहि मजदूर किसान के नारो के साथ मजदूर संघठनो ने कहा कि आज केंद्र और छत्तीसगढ़ राज्य की भाजपा सरकारे तमाम मेहनतकशो को जीते जी मारने का षड्यंत्र में जुटे हुए है । मजदूर संघठनो ने सभा में लड़ने का शपथ लेते हुए, जज लाया प्रकरण का जिक्र करते कहा कि देश मे संविधान तथा न्यायपालिका खतरे में है । संघठन के नेताओ ने कहा कि मेहनत कश दलित युवाओं को फर्जी मुकदमे में गिरफ्तार किया गया, और अब दलित आंदोलन पर एक फर्जी नक्सल आरोप लगाकर डराने की कोशिश की जा रही है ।
सरकार की तमाम जनविरोधी नीतियों के साथ मजदूर आज शहादत दिवस के लिए भिलाई में एकजुट हो रहे हैं उन्होंने तमाम तबकों को इस शहादत दिवस में शामिल होकर आगे संघर्ष के लिए अपील की है | ज्यों ज्यों मजदूर किसानों की इस लोकतांत्रिक आंदोलन को कुचला गया उसी अनुपात में आदिवासी क्षेत्रों में हथियारबंद युद्ध तेजी के साथ सरकार को चुनौति दे रही है |