राजस्थान में भूमि अधिग्रहण के विरोध में पहुंचे पूर्व-सेनाध्यक्ष वी.के.सिंह
21 अक्टूबर को राजस्थान के नवलगढ़ में चल रहे सीमेंट प्लांट-विरोधी आंदोलन को समर्थन देने दिल्ली से पूर्व थलसेनाध्यक्ष श्री वी.के. सिंह नवलगढ़ पहुंचे. उन्होंने जनसभा को संबोधित किया तथा नवलगढ़ के गाँवों में आंदोलनरत किसानों से मिले. पेश है हरकेश बुगालिया की रिपोर्ट;
नवलगढ़ में पिछले 787 दिनों से किसान भूमि अधिग्रहण के विरोध में धरने पर बैठे है। यह किसान अपनी उपजाऊ भूमि किसी भी कीमत पर सीमेंट कंपनियों को देने के लिए तैयार नहीं हैं। पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने किसानों से अपने बेटों-पोतों के लिए जमीन बचाने का आह्वान करते हुए कहा कि शेखावाटी शहीदों की धरती है। यहां जवान जब सीमा की रक्षा कर सकता है तो अपनी जमीन की भी रक्षा करना जानता है। उन्होंने किसानों को संकल्प दिलाया कि वे जान दे देंगे, लेकिन अपनी जमीन नहीं देंगे।
उन्होंने कहा कि देश का हर तबका विकास चाहता है, चाहे वो शहर में रहे या गांव में, लेकिन विकास संयोजित और संतुलित होना चाहिए। किसानों की उपजाऊ जमीन का अघिग्रहण किए जाने वाले विकास से कई घर तबाह होंगे और आने वाले समय में देश के सामने खाद्यान्न का संकट पैदा हो जाएगा। किसानों की उपजाऊ जमीन पर सीमेंट फैक्ट्रियां लगने से हर वर्ग प्रभावित होगा। पानी का अत्यघिक दोहन होगा और पर्यावरण भी प्रभावित होगा। उन्होंने किसानों को संकल्प दिलाया कि वे जान दे देंगे, लेकिन अपनी जमीन नहीं देंगे। किसानों को अपनी ताकत पहचानने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि देश के पूंजीपति भी किसान के खेत में पैदा होने वाले अनाज को ही खाकर जिंदा रहते हैं। ऎसे में किसानों को डरने की जरूरत नहीं है। हर समस्या का डट कर मुकाबला करना होगा, तभी जीत मिलेगी।
विरोध - प्रतिरोध
सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने कहा कि किसान सरकार बनाते हैं पूंजीपति नहीं। इसलिए ऎसी सरकारों से डरने की जरूरत नहीं है। इस आंदोलन के कारण ही किसानों की जमीन बची हुई है।
सभा को मेजर जनरल एनबी सिंह, उत्तरप्रदेश में भूमि अघिग्रहण विरोधी किसानों के आंदोलन के नेता राघवेंद्रसिंह, अरूण सिंह के अलावा जयरामसिंह डाबला, हरकेश बुगालिया, सांवरमल यादव, संजय बासोतिया सहित कई किसान नेताओं ने संबोघित किया। सभा में सुमेरसिंह सुरजनपुरा, बालूराम झाझडिया, संतोष देवी, संजेश शर्मा, मदनपुरी गोस्वामी, रामप्रसाद जांगिड़, एडवोकेट सुभाष आर्य, बीरबलसिंह, नारायण सिंह, सूबेदार मदनसिंह भोजनगर, सोहनसिंह बारवा सहित कई किसान नेता मौजूद थे।
ज्ञात हो कि झुंझुनूं जिले के नवलगढ़ और सीकर जिले के बेरी क्षेत्र में सीमेंट कंपनियों के लिए 18 गांवों में बसी करीब 50 हजार लोगों की आबादी को उजाड़ने की तैयारी चल रही है। आदित्य बिड़ला ग्रुप की ग्रासिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड अल्ट्राटेक लिमिटेड व आईसीएल सीमेंट लिमिटेड, बांगड़ ग्रुप की श्री सीमेंट लिमिटेड जैसी नामी कंपनियों को सरकार ने 72 हजार बीघा बेशकीमती जमीन हड़पने की हरी झंडी दे दी है। जमीन अधिग्रहण के खिलाफ किसान पिछले दो सालों से संघर्षरत है.