विस्थापन और गैर बराबरी के खिलाफ जन-संसद एवं विरोध सभा का आयोजन
विस्थापन और गैर बराबरी के खिलाफ 23 मार्च 2012 को संसद मार्ग पर एक जन-संसद एवं विरोध सभा का आयोजन एन.ए.पी.एम. की तरफ से किया गया। सभा से पहले शहीद पार्क से एक जुलूस निकाला गया जो जंतर-मंतर पर आकर विरोध सभा में परिवर्तित हो गया। इस सभा को एन.बी.ए. की मेधा पाटकर, एन.ए.पी.एम. के संदीप पांडेय, प्रफुल्ल सामंत रा, लिंगराज आजाद, राजेन्द्र रवि, कल्याण आनंद, कुमटी माझी, भूपेन्द्र रावत एवं बंधुआ मुक्ति मोर्चा के स्वामी अग्निवेश आदि ने सम्बोधित किया। इस सभा के माध्यम से निम्न मांगें उठायी गयीं-
- जल, जंगल, जमीन, खनिज आदि प्राकृतिक संसाधनों पर सामुदायिक अधिकार के साथ ही विकास की अवधारणा हो।
- असुरक्षित मजदूर, किसान, दलित, आदिवासी, मछुआरे, कारीगर, शहरी गरीबों को जीने का अधिकार हो। उपज के सही दाम और आय में समता को महत्व दिया जाय।
- शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, पानी, ऊर्जा का समान हक। गरीबी नहीं अमीरी रेखा चाहिए।
- चुनावी राजनीतिक तंत्र एवं जनता दोनों को अधिकार हो।
- देश का बजट आम जनता के पक्ष में हो न कि कम्पनियों, बिल्डरों के पक्ष में।
इसके पूर्व एन.ए.पी.एम. ने इन मुद्दों को लेकर 19 मार्च को कंझावला गांव में सभा की और 20 से 22 मार्च तक राजेन्द्र भवन में जन संसद का आयोजन किया। आयोजकों का कहना है कि इस जन संसद में 20 राज्यों के 150 जन आंदोलनों ने हिस्सेदारी निभायी। इसमें भाग लेने वालों को ‘जन सांसद’ की उपाधि से सम्बोधित किया गया।