पोस्को-एम.ओ.यू.-सरकार एवं स्थानीय आबादी
विगत 22 जून को एमओयू के पांच साल पूरा होने पर पोस्को के लिए विस्थापित होने जा रहे आदिवासियों ने काला दिवस मनाया और हजारों की संख्या में पोस्को विरोधियों ने रैली निकाली। बीते सात सालों में मुख्यमंत्री ने पहली बार प्रभावित अंचलों का दौरा करने की बात कही और वो भी बिना पुलिस फोर्स के, परंतु वे वादे से मुकर गये। इसके लिए मुख्यमंत्री को पोस्को विरोधियों के साथ सहानुभूतिपूर्ण माहौल में चर्चा भी करनी पड़ी। मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद सर्वे आरंभ हुआ लेकिन पोस्को विरोधियों ने इसे बंद करवा दिया।
पोस्को कम्पनी के खिलाफ बढ़ता जन-विरोध
जटाधार बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं पर कातिलाना हमला तथा हत्या, पोस्को प्रतिरोध संग्राम समिति की अगुवाई में चलने वाले आंदोलनों पर हमले, गिरफ्तारियां, फर्जी मुकदमे कायम करने आदि के तरीके अपनाने के बाद भी सरकार तथा कम्पनी को जब कामयाबी मिलती नजर नहीं आयी तो लालच देकर रास्ता साफ कराने की योजना बनायी गयी। परंतु अपनी जमीन, पहाड़ तथा नदियां बचाने के लिए संकल्प ले चुकी स्थानीय आबादी ने अपने अस्तित्व, आजीविका तथा प्रकृति एवं पर्यावरण की रक्षा करने के लिए अपने संघर्ष को और तेज कर दिया है।
तेज़ होगा आंदोलन
पुलिस कारवाई के विरोध में अभय साहू और जगतसिंहपुर के सांसद बिभू प्रसाद तराई गोबिंदपुर गाँव के बीचों बीच अपने सैंकड़ों समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गए हैं. दूसरी तरफ़ प्रशासन द्वारा पान की खेतों को उजाड़ने का काम पुलिस की मौजूदगी में जारी है.