बिहार: बांका में तेज होता भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन
बिहार में इस समय हालात ठिक नहीं है। लाठी के बल पर किसानों की जमीन हथिया ली जा रही है। दबंग प्राकृतिक संसाधन जल, जंगल और जमीन हथियाने की मुहिम में जूट गये हैं। ऐसा ही वाकिया बांका जिले में देखने को मिला है. पेश है बिहार से आलोक कुमार की रिपोर्ट;
जानकारी के अनुसार 2007 में बिहार सरकार और अभिजीत ग्रुप जास इंफरास्टैक्चर एण्ड सुपर थर्मल पॉवर प्रा0लिमिटेड के साथ समझौता किया गया कि बिजली प्लांट लगाने के लिए बियाडा में जमीन दी जाएगी। मगर बाद में सरकार मुकर गयी और कम्पनी ने स्वयं ही जमीन की खरीद फरोख्त कने में लग गई । अब कम्पनी की नजर चांदन डैम के पानी पर है.
राष्ट्रीय जनता दल के सांसद जगदानंद सिंह कहते है कि सरकार और कम्पनी के बीच में एमऔयू के तहत 12 लाख बिघा जमीन खरीदनी थी। मगर कम्पनी ने साल 2009 में बौंसी थाना में सैकड़ों हेक्टेयर जमीन कोड़ी के भाव में जर्बदस्ती किसानों से फर्जी केवाला करा लिया। जिला प्रशासन कम्पनी का वफादारी कर रहा है। धीरे-धीरे 2011 से बिहार के मुख्य नदी चान्दन पर बना, लक्ष्मीपुर डैम को भी अपने कब्जे में कर लिया है। 1968 में बने डैम से विस्थापितों का ठीक से पुनर्वास और मुआवजा भी नहीं मिला है। फिर डैम के स्पेलवे को ऊंचाकर हजारों एकड़ जमीन और दर्जनों गांवों को डूबोने की साजिश की जा रही है। डैम से कमाण्ड क्षेत्रों को अबतक पानी नहीं मिल पाता है। दूसरी तरफ निजी कम्पनी पानी लेने के लिये उतावला हो रहा है।
अगर ऐसा होता है तो इस क्षेत्र के लोगों को डैम का पानी मिलना मुश्किल हो जाएगा। पानी के अभाव में कृषक पैदावार नहीं कर पाएगे और आत्महत्या करने को मजबूर हो जाएगें।