मारूति सुजुकी के मज़दूरों के समर्थन में लखनऊ में उठी आवाज़
उल्लेखनीय है कि अभी भी मारूति सुजुकी वर्कर्स यूनियन के 140 सदस्य मजदूर फर्जी मुकदमों के तहत जेल में बंद हैं। करीब डेढ़ हजार मजदूरों को गैर कानूनी तरीके से निकाला जा चुका है। इनमें 546 नियमित मजदूर भी हैं। प्रबंधन और सरकार ने मिलकर पूरे क्षेत्र में आतंक का राज कायम कर रखा है और किसी भी प्रकार की यूनियन गतिविधियों पर पाबन्दी है। यूनियन नेताओं का पुलिस उत्पीड़न निरन्तर जारी है। ठेका मजदूरों का दमन चरम पर है। यही स्थिति पूरे गुड़गांव के औद्योगिक क्षेत्र में है। इस मज़दूर विरोधी माहौल और अन्याय के ख़िलाफ़ 5 फ़रवरी को पूरे देश में आवाज़ें उठीं। इसमें लखनऊ के जन संगठनों ने भी अपनी आवाज़ उठायी।
लखनऊ में हुए धरने के मार्फत हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुडा से मांग की गयी कि जेल में बंद मजदूरों को तुरन्त बिना शर्त रिहा किया जाय, निकाले गये सभी मजदूरों को तुरन्त काम पर वापस लिया जाय, मारूति सुजुकी कारखाने में मजदूरों को यूनियन गतिविधियां संचालित करने के कानूनी अधिकारों को रोकने वाले प्रबंधन को दण्डित किया जाय, और कारखाने में समान काम का समान वेतन एवं अधिकार दिये जाने की नीति लागू की जाय।
धरने में शामिल जन संगठनों के प्रतिनिधियों ने यह भी संकल्प किया कि यदि राज्य सरकार गुड़गांव के मजदूरों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए तत्काल कोई कार्रवाई नहीं करती, तो गुड़गांव जाकर आंदोलन किया जायेगा।
इस विरोध प्रदर्शन में शामिल थे- रिवोल्यूशनरी फ्रन्ट (केजीएमयू), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, बीमा कर्मचारी संघ, स्वस्थ भटियार, इंडिया अंगेस्ट करप्शन,
आल इण्डिया वर्कर्स कौंसिल, आल इण्डिया वर्कर्स कौंसिल, उप्र फारवर्ड ब्लाक, भाकपा (माले), संविदा संघर्ष समिति, पूर्वोत्तर रेलवे वर्कर्स यूनियन, पीयूसीएल (उप्र) आदि।