संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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राज्यवार रिपोर्टें

झारखण्ड : 200 किमी पैदल मार्च कर राजभवन पहुंचे नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के प्रभावित आदिवासी

रांची 25 अप्रेल 2022: गुमला-लातेहार टुटूवापानी से करीब 200 किलोमीटर का पैदल मार्च करके नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के प्रभावित ग्रामीण आज राजभवन पहुंचे. राजभवन पहुंचने के बाद राज भवन के निकट तरह प्रभावित ग्रामीण धरने पर बैठे और प्रदर्शन किया. बाद में एक ज्ञापन राज्यपाल को केंद्र के नाम से सौंपा गया जिसमें फिल्ड फायरिंग रेंज परियोजना की अधिसूचना रद…
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छत्तीसगढ़ : समर्थन और विरोध के बीच परसा कोल खदान को मंजूरी

 -क्रांती कुमार रावत समर्थन और विरोध के बीच परसा कोल खदान को शासन की मंजूरी खुली तो पर्यावरण सत्यानाश, अटकी तो…

भाजपा हो या कांग्रेस सबकी पसंद अडानी : छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार ने परसा कोयला…

छत्तीसगढ़ सरकार ने 6 अप्रैल 2022 को सूरजपुर और सरगुजा जिलों में पड़ने वाली परसा ओपनकास्ट कोयला खनन परियोजना के लिए…

नर्मदा जल के अंतहीन दोहन से बचेगी नर्मदा?

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रामनवमी के अवसर पर चित्रकूट में घोषणा किया कि नर्मदा से जोड़कर मंदाकिनी नदी को…

मध्य प्रदेश : पर्यावरण मंत्रालय द्वारा आंवलिया बांध परियोजनाकर्ता जल संसाधन विभाग…

पर्यावरण मंत्रालय द्वारा आंवलिया बांध परियोजनाकर्ता जल संसाधन विभाग के खिलाफ कार्यवाही का आदेश बांध के निर्माण पर…

जलवायु परिवर्तन : खेती पर मंडराता खतरा

मौजूदा विकास के साथ जो संकट सर्वाधिक महसूस किया जा रहा है, वह है- जलवायु परिवर्तन का। जिस तौर-तरीके से हम अपना विकास करने में लगे हैं उससे धीरे-धीरे पहले प्रकृति, फिर वनस्पतियां और फिर खेती समाप्त होती जाएंगी। आम लोगों पर क्या होगा इसका असर? सप्रेस से साभार पंकज चतुर्वेदी का आलेख; जलवायु परिवर्तन की ‘अंतर सरकारी समिति’ (आईपीसीसी) की ‘जलवायु…
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कोरबा की दीपका खदान विस्तार योजना की जनसुनवाई रद्द

कोरबा 23 मार्च 2022: एसईसीएल के मेगा प्रोजेक्ट में शामिल देश की तीसरी सबसे बड़ी दीपका कोयला खदान के विस्तार की…

झारखण्ड : नेतरहाट फायरिंग रेंज के विरोध में लातेहार में जुटान; 22-23 मार्च 2022

जोहार साथियों, 17 मार्च 2022 लातेहार। नेतरहाट फायरिंग रेंज के अंतर्गत 1471 किलोमीटर भौगोलिक क्षेत्र और 245 गांव को चिन्हित किया गया। उस वक्त के हिसाब से 2.5 लाख लोग जिसमें 90 से 95 प्रतिशत आदिवासी थे, उन्हें विस्थापित होना था। 22 -23 मार्च 1994 को सेना की टुकड़ी अभ्यास के लिए अधिसूचित क्षेत्र में प्रवेश करने वाली थी. इसके विरोध में प्रभावित…
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