मध्य प्रदेश : ज़मीन क़ब्जाने का विरोध किया तो दबंगों ने की दलित किसान की हत्या
मध्यप्रदेश के बैरसिया में भाजपा नेता तीरनसिंह यादव और उनके गुंडोंने ने 21 जुन को 55 साल के दलित किसान किशोरीलाल जाटव पर उसकी पत्नी के सामने ही पेट्रोल छिडककर जिंदा जला डाला, 90 फीसदी तक जल गए किसान ने बाद में अस्पताल में दम तोड दिया।
विदिशा के गंजबासोदा में भी महेन्द्रसिंह बधेल और उनके गुंडों ने 06 जुलाई को दलित किसान कच्छेंदीलाल अहिरवार की जमीन हडपने को लेकर निर्मम हत्या कर दी।
भाजपा शासित मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति के लोगों की आबादी 16 फीसदी यानी सवा करोड से भी ज्यादा हैं, लेकिन फिर भी वहां पर वंचित समुदाय से संबंधित लोग बिल्कुल सुरक्षित नहीं हैं, उन पर हररोज अन्याय और अत्याचार होते हैं।
यह अमानवीय अत्याचार के भोग बने पीडित परिवारों को राज्य सरकार की तरफ से अभी तक एक पैसे की भी आर्थिक मदद नहीं मिली हैं, पुलिस और प्रशासन की तरफ से उनकी सुरक्षा के लिए उनको कोई प्रोटेकशन भी नहीं दिया गया हैं।
पुलिस, प्रशासन और सरकार ने अबतक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनका केबिनेट चुप हैं. लेकिन हम चुप नहीं रह सकते, हम लडेंगे।
इस अमानवीय घटना ने पूरे देश को शर्मसार कर दिया है, बेरसिया के घाटखेडी गांव में हुए दलित हत्याकांड के मृतक किशोरी लाल जाटव और गंजबासोदा के कररिया गांव के मृतक दलित किसान कच्छेंदीलाल अहिरवार के परिवार को न्याय दिलाने एवं भविष्य में ऐसी अमानवीय घटनाएं जैसे की हत्या, शोषण, बलात्कार की धिनौनी घटनाओं को रोकने के लिए राष्ट्रीय संगठन ‘सामाजिक एकता और जागृति मिशन’ के द्वारा पुरे मध्यप्रदेश में आत्मसम्मान आंदोलन के नाम से एक विशाल जनआंदोलन की शुरुआत की है।
आत्मसम्मान आंदोलन में हमारी मुख्य 7 मांगे हैं ;
1) यह दोनों हत्याकांड की पूरी जांच सीबीआई को सौंपी जाए, क्योंकि दोनों केस में मुख्य अपराधी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता है और उनका राज्य सरकार पर पूरा प्रभुत्व है, जिनकी वजह से निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती।
2) पीडित परिवारों को एक करोड रुपए का तुरंत मुआवजा मिले, जैसे कि इनसे पहले मृतक किसानों के परिवार को राज्य सरकार ने दिया हैं।
3) पीडित परिवारों के सदस्यों को उनके एजुकेशनल क्वालिफिकेशन के हिसाब से सरकारी नौकरी मिले।
4) पीडित परिवारों को उनकी आत्मरक्षा के लिए पिस्तौल और रिवोल्वर का लाइसेंस मिलें।
5) मृतक किशोरीलाल जाटव और मृतक कच्छेंदीलाल अहिरवार जैसे मध्यप्रदेश में हजारों किसान हैं, जिनकी जमीन उनके पास सिर्फ कागज पर ही है, लेकिन उनका कब्जा दबंगों के पास है, ऐसी जितनी भी दलितों की जमीन है, उनका वास्तविक कब्जा दलितों को तुरंत मिले।
6) SC/ST एक्ट की मुल भावना के साथ छेडछाड संबंधित सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरोध में 2 अप्रैल को हुए ऐतिहासिक भारत बंद आंदोलन के दौरान वंचित समुदाय के संवैधानिक हक्क व अधिकार के लिए लडने वाले 3000 से भी ज्यादा निर्दोष दलित युवाओं पर सरकार ने जो फर्जी मुकद्दमे दर्ज किए हैं, वह सभी मुकद्दमे वापस लिए जाएं एवं पूरे मान-सम्मान के साथ अनुसूचित जाति के सभी क्रांतिकारीयों को तुरंत रिहा किया जाए।
7) मेन्युअल स्केवेन्जर एक्ट के मुताबिक सभी सफाई कामदारो को उनका संवैधानिक हक्क व अधिकार मिले. आऊट सोर्सींग के माध्यम से ठेकेदारों द्वारा हो रहा कामदारो का शोषण बंद हो, ठेकेदारी प्रथा पुरी खत्म हो और सभी सफाई कामदारो को नियमित सरकारी नौकरी मिले।
आत्मसम्मान आंदोलन में पूरे मध्यप्रदेश के सभी सामाजिक संगठनों के हजारों कार्यकर्ता जुडे हुए हैं और हम चाहते हैं की, मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति से संबंधित करोडो लोगों को उनका संवैधानिक हक्क वह अधिकार मिले।
हमारी मांगों को लेकर हम सरकार को हम दस दिन का समय देते हैं, अगर सरकार ने हमारी मांगो को नहीं माना या पीडित परीवार को न्याय नहीं दिया तो दस दिन के बाद पुरे मध्यप्रदेश में बडा जनआंदोलन होगा और राज्य के दलित समुदाय के सवा करोड लोग रास्ते पर उतरकर अपने संवैधानिक हक्क व अधिकार के लिए संधर्ष करेंगे।
मृतक दलित किसानों के परिवार को न्याय दिलाने हेतु आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित रहने वाले मिडिया के सभी दोस्तों का तहे दिल से