देश भर के किसानों ने पारित किया मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव : उपज के सही दाम और कर्ज माफी की मांग
20 जुलाई 2018, नई दिल्ली : देश भर के करीबन 200 किसान संगठन, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय के बैनर तले देश की संसद के सामने हज़ारो प्रतिनिधियों के द्वारा मोदी शासन के सामने किसानों का अविश्वास व्यक्त किया । अविश्वास प्रस्ताव के मुद्दे योगेंद्र यादव सहित कईयों ने रखे उनमें शामिल थे, दर्शनपाल , जगमोहनसिंह, अतुलकुमार अंजन, आशीष मित्तल, मेधा पाटकर, कविता क्रोगटी , डॉ सुनीलम, व सांसद राजू शेट्टी जी जिन राष्ट्रीय दलो के प्रतिनिधियों ने समर्थन पर व्यक्तव्य दिये उनमें थे, शरद यादव जी , अली अनवर, सीताराम येचुरी, दीपांकर भट्टाचार्य, त्रिलोकचंद त्यागी व अरविंद सावन। हमारा प्रस्ताव के प्रमुख मुद्दे निम्नलिखित रहे ….
1. मोदी शासन चुनावी घोषणा और घोषणा पत्र को भूलकर किसानों को उनके उपज को, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश पर आधारित सही MSP, न्यूनतम दाम नहीं दे पाए है । उन्होंने इसी महीने में , फिर कमज़ोर MSP, मात्र खरीफ फसलों के लिए घोषित करके, किसानों के साथ धोखा किया है । घोषित नया MSP सही लागत व C2 पद्धति से न आंकते हुये मात्र लागत के दस या 20 प्रतिशत अधिक लाभ देना धौका नहीं तो ओर क्या।
2. मोदी शासन ने सूखा और आपदा के दौरान किसानों को राहत नही दी। कभी आर्थिक कमजोरी का कारण दिया लेकिन प्रत्यक्ष में ‘ फसल बीमा ‘ योजना के द्वारा कंपनियों को हज़ारो करोड़ो रुपयो का मुनाफा दान किया ।
3. मोदी शासन ने 2013 तक भू-अधिग्रहण कानून, पेसा कानून, भूमी संबंधी नियम / कानून नकार कर तथा बदल कर कई बड़ी बड़ी परियोजनाओ के लिए भूमी जबरन अधिग्रहित की या हड़प ली । आदिवासी किसानों का जल, जंगल, जमीन छीनकर अपनी जबरदस्ती बेहद आगे बढ़ाई है ।
4. मोदी शासन ने कंपनियों को लाख करोड़ रु. की छूट तथा करोड़ो रु. की संपत्ति बख्शी है । कार्पोरेट और किसानों के बीच की दूरी को बढ़ाया गया है । कंपनियों के पक्ष में कोई नीति नहीं, भावान्तर जैसे निर्णय से मात्र व्यापारियों को लाभ पहुंचाया गया है ।
5. किसानों को सातवे वेतन नहीं, मेहनत व प्राकृतिक सम्मान नहीं, और कर्जे के बोझ से आत्महत्याएं बढ़ रही है, तो भी देशभर उठे आक्रोश के बावजूद संपूर्ण कर्जमुक्ति नहीं।
मोदी शासन के इन तमाम कारनामो के चलते, ‘मोदी सपोर्ट प्राइज’ के रूप में धोखा देते, इस देश के किसान, जाति-मजहब-प्रान्त के पार, एक होकर किसानों की और से शासन पर अविश्वास घोषित किया गया।
यह अविश्वास प्रस्ताव पारित करते हैं।