संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

मध्य प्रदेश : पर्यावरण मंत्रालय द्वारा आंवलिया बांध परियोजनाकर्ता जल संसाधन विभाग के खिलाफ कार्यवाही का आदेश

पर्यावरण मंत्रालय द्वारा आंवलिया बांध परियोजनाकर्ता जल संसाधन विभाग के खिलाफ कार्यवाही का आदेश

बांध के निर्माण पर रोक

11 अप्रैल 2022; हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा खंडवा जिले में बन रही आंवलिया मध्यम सिंचाई परियोजना के परियोजनाकर्ता जल संसाधन विभाग के खिलाफ  करवाई करने का आदेश दिया है. साथ ही पर्यावरणीय मंजूरी मिलने तक बांध के निर्माण पर पूर्ण रोक लगा दी है. मंत्रालय द्वारा यह करवाई आंवलिया बांध परियोजनाकर्ता जल संसाधन विभाग द्वारा पर्यावरण सुरक्षा कानून, 1986 के तहत जारी पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के नोटिफिकेशन, 2006 का उल्लंघन करते हुए बिना पर्यावरणीय मंजूरी बाँध बनाने के कारण की है.

क्यों हुई यह करवाई?

नर्मदा बचाओ आन्दोलन के वरिष्ठ कार्यकर्ता आलोक अग्रवाल ने बताया कि आंवलिया मध्यम सिंचाई परियोजना खंडवा जिले के खालवा ब्लाक में निर्माणाधीन है. इस परियोजना से 600 से अधिक आदिवासी परिवार प्रभावित हो रहे हैं. पर्यावरण सुरक्षा कानून, 1986 के तहत जारी पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के नोटिफिकेशन, 2006 के अनुसार पर्यावरण मंत्रालय की “पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी” के पहले किसी भी परियोजना का निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं किया जा सकता है. राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग द्वारा आंवलिया परियोजना की “पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी” के लिये सन 2017 में अर्जी दायर की गयी थी लेकिन इस मंजूरी के मिले बिना ही गैरकानूनी रूप से परियोजना का काम तेजी से चलाया गया.

परियोजना से विस्थापित होने वाले आदिवासी प्रभावित परिवारों को भू-अर्जन कानून 2013 के अनुसार कोई भी पुनर्वास के लाभ नहीं दिये गये और 48 प्रभावितों की जमीन बांध के क्रेस्ट लेवल तक पानी भर कर डुबा दी गयी. सरकार द्वारा कोई सुनवाई न करने की स्तिथि में बांध प्रभावितों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर बताया गया कि परियोजना बिना पर्यावरण मंजूरी के गैरकानूनी रूप से आगे बढ़ाई गई है और विस्थापितों को पुनर्वास के कोई लाभ नहीं दिए गए हैं. उच्च न्यायालय द्वारा राज्य सरकार एवं पर्यावरण मंत्रालय को दिए गए नोटिस के बाद पर्यावरण मंत्रालय ने जांच के उपरांत कानून का उल्लंघन पाते हुए परियोजना को उल्लंघन वाली परियोजना (violation project) घोषित करते हुए दिनांक 14 फरवरी, 2022 को जल संसाधन विभाग की अर्जी की फाइल बिना मंजूरी दिये बंद कर दी गयी थी. इसके बाद जल संसाधन विभाग द्वारा नयी अर्जी लगाने पर यह आदेश दिया गया है.

पर्यावरण मंत्रालय का आदेश 

पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 14 फरवरी 2022 को आंवलिया मध्यम सिंचाई परियोजना के लिये पर्यावरणीय मंजूरी की फाइल बंद कर देने के बाद जल संसाधन विभाग द्वारा पर्यावरण मंत्रालय के समक्ष पर्यावरणीय मंजूरी के लिये 23 फरवरी 2022 को नयी अर्जी लगायी गयी, जिस पर विचार करने के बाद केंद्रीय पर्यावरण व् वन मंत्रालय की राज्य इकाई “राज्य स्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण” (State Environment Impact Assessment Authority) द्वारा अपनी 24 मार्च 2022 की बैठक में आदेश दिया है कि मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड परियोजनाकर्ता जल संसाधन विभाग के खिलाफ पर्यावरण सुरक्षा कानून, 1986 की धारा-15 के तहत करवाई करे. साथ ही यह आदेश भी दिया गया है कि नयी मंजूरी मिलने तक बांध का कार्य पूरी तरह बंद रखा जाये.

उल्लेखनीय है कि पर्यावरण सुरक्षा कानून 1986 के तहत जारी नोटिफिकेशन, 2006 के अनुसार किसी भी परियोजना का निर्माण कार्य तब तक प्रारंभ नहीं हो सकता, जब तक कि उसको पर्यावरण मंत्रालय से “पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी” नहीं मिल जाती है. यह मंजूरी तमाम अध्ययनों व् जाँच के बाद दी जाती है. प्रभावितों की याचिका पर उच्च न्यायालय के नोटिस के बाद केंद्रीय पर्यावरण व् वन मंत्रालय की राज्य इकाई “राज्य स्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण” (State Environment Impact Assessment Authority) द्वारा जांच में यह पाया गया कि बिना पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी के ही जल संसाधन विभाग द्वारा आंवलिया परियोजना का निर्माण कार्य कर दिया गया है जो कि 2006 के नोटिफिकेशन का स्पष्ट उल्लंघन है. इस कारण प्राधिकरण द्वारा अपनी बैठक दिनांक 14 फरवरी 2022 में जल संसाधन विभाग द्वारा आंवलिया सिंचाई परियोजना के लिए मांगी गई “पूर्व पर्यावरण मंजूरी” की फाइल को बंद करते हुए इस परियोजना को “उल्लंघन वाली परियोजना” घोषित कर दिया गया था.

आगे क्या होगा?

श्री अलोक अग्रवाल ने बताया कि पर्यावरण सुरक्षा कानून 1985 की धारा 15 के तहत उल्लंघन करने वाले परियोजनकर्ता को 5 वर्ष की सजा या 1 लाख रूपये का जुर्माना या दोनों के दंड से दण्डित किया जा सकता है. साथ ही पर्यावरण मंत्रालय द्वारा परियोजनाकर्ता की नयी अर्जी पर तमाम शर्तो के साथ सामाजिक समाघात निर्धारण रिपोर्ट (Social Impact Assessment Report) दाखिल करने को कहा गया है, जिसकी जाँच के बाद मंत्रालय निर्णय लेगा कि आंवलिया परियोजना को दंड के साथ मंजूरी देनी है या परियोजना को बंद करना है या उसे तोड़ देना है.

आंवलिया बांध प्रभावित इस निर्णय का स्वागत करते हैं और मांग करते हैं बांध के स्लूइस गेट को तोड़कर बिना पुनर्वास जिन 48 लोगों के खेतों में पानी भरा गया है उसको खाली किया जाए.

-नर्मदा बचाओ आंदोलन

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