संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

नए इरादों और नए संकल्पों के साथ NAPM का 12वां राष्ट्रीय सम्मेलन सम्पन्न

पूरी, 25 नवम्बर 2019 : दूधवावाला धर्मशाला में जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के नेतृत्व में चल रहा तीन दिवसीय जनसंघर्षों का राष्ट्रीय सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। देश के विभिन्न राज्यों से आए 1000 से भी ज्यादा जनसंघर्षों के प्रतिनिधियों ने सम्मिलित स्वर में जल-जंगल-जमीन और जनतंत्र की लूट के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया। पढ़िए रिपोर्ट;

पुरी, 25 नवंबर 2019: जगन्नाथ पुरी के दूधवावाला धर्मशाला में चल रहा तीन दिवसीय (23-25 नवंबर 2019) जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम) का 12वां सम्मेलन आज अपने तीसरे और आखिरी दिन में पहुंचा। पिछले दो दिनों में देश की परिस्थितियों और संकट पर हुई गहन चर्चा के बाद आज के दिन इस संकट से निपटने के लिए रणनीति और भावी कार्यक्रमों पर बात हुई।

सत्र की शुरुआत में पुरी घोषणापत्र जारी किया गया जिसमें देश के विभिन्न मुद्दों पर समन्वय की अवस्थिति जाहिर की गई है। इन मुद्दों में बहुसंख्यकवाद, नागरिकता को पुनर्परिभाषित करना, आदिवासी समुदाय को किए गए वायदे जो पूरे नहीं हुए, कृषि संकट, शिक्षा का घटता बजट आबंटन और उच्च शिक्षा संस्थानों पर बढ़ते हमले, बढ़ती बेरोज़गारी, लैंगिक असमानता, अपार्दर्शिता, झूठ और दुष्प्रचार​, ढहती अर्थव्यवस्था, संस्थाओं को स्थाई नुकसान, सार्वजनिक संरचना में अराजकता, स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य सेवाओं की अनदेखी, बोलने की आज़ादी पर हमला, मानवाधिकार रक्षकों पर हमला, राज्य द्वारा नागरिकों की निगरानी और जलवायु संकट शामिल थे। सम्मेलन में यह तय किया गया कि आने वाले समय में इन सभी मुद्दों पर समन्वय तथा उसके गठित​ संगठन विशिष्ट कार्यक्रम आयोजित करेंगे।

सम्मेलन में आए विभिन्न प्रतिनिधियों ने भावी कार्यक्रम के लिए कुछ प्रस्ताव रखे जिनमें मुख्यधारा की शिक्षा को चुनौती देने के लिए वैकल्पिक शिक्षा के लिए देश के विभिन्न भागों में प्रयोगशाला स्थापित करना, देश भर​ में समान शिक्षा मुद्दे पर जन संवाद, पोस्टर प्रदर्शनी और अभियान, असंगठित श्रमिकों के बारे में चर्चा, उत्तर भारत तथा मध्य भारत में घरेलू कामगार महिलाओं को संगठित करना, राजनीतिक सुधार, अयोध्या मसले पर 6 दिसंबर को काली पट्टी लगाते हुए शांति जुलूस निकाल कर विरोध, इत्यादि शामिल थे । विभिन्न राज्यों से आए संगठनों ने अपने भावी कार्यक्रमों की सूचना देते हुए समन्वय के अन्य सभी संगठनों को कार्यक्रम में आने का न्यौता दिया। सम्मेलन के दूसरे दिन हुए 12 समानांतर सत्रों के दौरान विभिन्न मुद्दों पर हुई चर्चा में निकल कर आई सिफ़ारिशों को भी सम्मेलन में साझा किया गया।

एनएपीएम द्वारा कुछ कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर तय किए गए जिनमें 6 दिसंबर को काला दिवस के रूप में मनाना, 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस के दिन राष्ट्रीय स्तर पर एनआरसी के खिलाफ मनाना, 8 जनवरी 2020 को नई श्रमिक संहिता के खिलाफ अखिल भारतीय मजदूर हड़ताल में भागीदारी इत्यादि शामिल हैं।

लोकतांत्रिक प्रक्रिया से हुए चुनाव के जरिए अगले सम्मेलन तक राष्ट्रीय समन्वय के कामों को संचालित करने के लिए एक सात सदस्यीय समन्वय समिति का चुनाव किया- समिति में नर्मदा बचाओ आंदोलन से मेधा पाटकर, संजय एम जी, अरुंधती धुरू, कोसी नवनिर्माण मंच से महेंद्र यादव, कुसुमम जोसेफ, लिंगराज प्रधान, नियामगिरि सुरक्षा समिति से लिंगराज आज़ाद, जनजागरण शक्ति संगठन से आशीष रंजन, ट्रांस्फर्ड एरिया सूरजपुर ऑर्गनाइजेशन से पशारुल आलम, नैशनल प्लेटफॉर्म फॉर स्मॉल स्केल फिशरीस से प्रदीप चटर्जी, रिहाई मंच से राजीव यादव, संगतिन किसान मज़दूर मंच से ऋचा सिंह, बसंत हेतमसरिया, सुनीति एस आर, मीरा सिंघमित्रा, मधुरेश कुमार, किरण विस्सा, रयथु स्वराज वेदिका से अरुल डॉस, पर्यावरण सुरक्षा समिति से कृष्णकांत चौहान, किसान संघर्ष समिति से डॉक्टर सुनीलम और कैलाश मीणा शामिल हैं।

समन्वय समिति एक अलवा एक सलाहकार समिति का भी चुनाव किया गया जिसमें आनंद मजूमदार, अरुणा रॉय, विनायक सेन, गैब्रिएल डाइट्रिच, गीठा रामकृष्णन, पी. चेन्नैयाह, प्रफुल्ल समंत्रा, रामकृष्णन राजू, संदीप पाण्डेय, सिस्टर सिलिया, सेवा निवृत्त मेजर जनरल सुधीर वोम्बटकेरे शामिल हैं।

सम्मेलन का समापन जनांदोलनों में सांस्कृतिक, नारीवादी और युवा नेतृत्व के समक्ष नई चुनौतियाँ व संभावनाएं पर चर्चा के साथ हुआ। इस सत्र में एनएपीएम की प्रक्रिया से जुड़े युवाओं ने भागीदारी की।

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