कारपोरेट हित नहीं आर्थिक न्याय चाहिए
वित्त और विकास के आपसी तालमेल की परिणिति यदि मानव कल्याण में न होकर केवल कारपोरेट लाभ के लिए होती है तो वह अर्थहीन है। लैंगिक भेदभाव से मुक्त समाज की स्थापना में आर्थिक न्याय की उपलब्धता सर्र्वोेपरि है। वैश्विक नेता इसी पखवाड़े विकास हेतु वित्तीय प्रबंधन के तरीकों पर विचारविमर्श के लिए इथोपिया के आदिसअबाबा शहर में इकट्ठा हो रहे हैं। इस सम्मेलन के…
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दलित बजट अधिकार रैली : 9 जुलाई 2015, दिल्ली सचिवालय !
दलित बजट का 2409 करोड़ वापस करो !
S.C.S.P का पैसा बच्चों, महिलाओं तथा अन्य समाजिक कार्यो पर…
वो जो गया, आम लोगों का बेजोड़ दोस्त था.…
कुमार सुंदरम
प्रफुल्ल जी के लिए ऐसे अचानक श्रद्धांजलि लिखनी पड़ेगी, कभी सोचा न था. मैं 1990 के शुरुआती वर्षों में…
रोमा मलिक और अन्य आदिवासी नेताओं के विरुद्ध गिरफ्तारी के विरोध में प्रेस वार्ता
3 जुलाई 2015 को इंडियन वुमेन प्रेस कॉर्प में भूमि अधिकार आंदोलन द्वारा जन कार्यकर्ता रोमा मलिक, आदिवासी नेता सुकालो देवी तथा अन्य आदिवासी नेताओं की गिरफ्तारी के विरुद्ध एक प्रेस वार्ता आयोजित की गई। प्रेस में वक्ताओं ने इस घटना की तीव्र निंदा करते हुए सरकार के जनता के हितों के बजाय पूंजीपतियों के हितों की रक्षा करने की बात कही। वक्ताओं ने…
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वनाधिकार, भूमि एवं श्रम अधिकार के सवाल पर विशाल जनविरोध प्रदर्शन; 30 जून 2015
वनाधिकार, भूमि एवं श्रम अधिकार के सवाल पर
विशाल जनविरोध प्रदर्शन
30 जून 2015
हाईडिल मैदान, राबर्ट्सगंज…
जनपक्षधर पत्रकार को संघर्ष संवाद की श्रद्धांजलि : अंतिम संस्कार कल दिल्ली में !
प्रख्यात जनपक्षधर पत्रकार, बुद्धिजीवी और परमाणु बमों तथा अणु-ऊर्जा के खिलाफ में लगातार आवाज़ बुलंद करने वाले प्रफुल्ल बिदवई हमारे बीच नहीं रहे. लोकतंत्र, जनांदोलनों, भारत-पाकिस्तान मैत्री, मानवाधिकार और अन्य जनहित के मुद्दों पर लिखने वाले प्रफुल्ल जी मुख्यधारा मीडिया में हमेशा आम जनता की निर्भीक आवाज़ रहे.
कल शनिवार 27 जून 2015 को सुबह 10.30 बजे,…
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आपातकाल : भारत की आत्मा पर स्थायी दाग
भारत में आंतरिक आपातकाल की घोषणा को 26 जून को 40 वर्ष हो जाएंगे। चार दशक पश्चात भी भारत की आत्मा से वह दाग धुल…
जाने-माने पत्रकार प्रफुल्ल बिदवई का एम्सटर्डम में निधन
“वामपंथी विचारधारा के जाने-माने पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता प्रफुल्ल बिदवई का एम्सटर्डम में आकस्मिक निधन हो…
स्मार्ट सिटी का मकड़जाल
25 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने ‘‘ड्रीम प्रोजेक्ट‘‘ अर्थात सौ स्मार्ट सिटी परियोजना की शुरुआत करेंगे। शोचनीय यह है कि वर्तमान अस्तित्वमान शहरों में नागरिक सुविधाओं का सर्वथा अभाव है। साथ ही विदेशी धन से निर्मित यह स्मार्ट शहर क्या पूरी तरह से भारतीय नियंत्रण में रह पाएंगे? पेश है राजकुमार कुम्भज का सप्रेस से साभार यह आलेख;
केंद्र…
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