संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

न्याय के इंतजार में मारुति के मजदूर

किसी भी विवाद का निपटारा लंबे समय तक न होने से असंतोष बढ़ता है जिसकी परिणिति दुर्भाग्यवश कई बार हिंसा में होती है। 3 वर्ष पूर्व मारुति कार के मानेसर (गुडगांव-हरियाणा) संयंत्र में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई थी। नतीजतन तमाम मजदूर अभी तक जेल में है। सर्वाेच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद 148 में से 80 मजदूरों को जमानत मिल पाई है। बाकी को कब मिल…
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पर्यावरण के नाम पर वनाधिकार कानून की अनदेखी !

हिमाचल के किसानों द्वारा किए गए नाजायज कब्जे के मसले पर हिमाचल उच्च न्यायालय का 6 अप्रैल 2015 का आदेश पर्यावरण…

भू-अधिग्रहण अध्यादेश और पेंच व्यपवर्धन परियोजना में जबरदस्ती से जारी भू-अधिग्रहण के खिलाफ किसान महापंचायत; 16 जून 2015

किसान महापंचायत एवं जन सुनवाई 16 जून 2015, 10: 00 बजे स्थान : फब्बारा चोक, छिन्दवाडा मध्यप्रदेश 31 मई 2015 को केन्द्र की एन.डी.ए सरकार ने देशभर में हो रहे भरपूर विरोध के बावजूद तीसरी बार भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को एक बार फिर से जारी कर दिया है। इससे पूर्व इस अध्यादेश को दिनांक 31 दिसम्बर 2014 को व 3 अप्रैल को भी जारी किया गया…
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भूमि अधिग्रहण बिल पर मोदी सरकार की जल्दबाजी पर जन संगठन एकजूट

“भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनव्यर्वस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार (दूसरा संशोधित बिल, 2015)”, पर…

भूमि अधिग्रहण बिल पर गठित संयुक्त संसदीय समिति की अंतिम तारीख को बढ़ाये जाने की मांग पर प्रेस वार्ता; 5 जून 2015, नई दिल्ली

प्रेस आमंत्रण 5 जून 2015, 4: 00 बजे स्थल : इंडियन विमेंस प्रेस कोर्प (आईडब्ल्यूपीसी), 5, विंडसर प्लेस, अशोका रोड, दिल्ली “भूमि अधिग्रहण में समुचित मुआवज़ा और पारदर्शिता का अधिकार, पुनर्वास और पुनर्वसन (द्वितीय संशोधन बिल, 2015)” पर सुझाव देने के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति की अंतिम तारीख को बढ़ाये जाने पर भूमि अधिकार…
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आवास हक सत्याग्रह, मंडाला (मुंबई) के समर्थन में दिल्ली में दस्तक : जन संगठनों ने…

जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (NAPM), दिल्ली समर्थन समूह (DSG) तथा झुगी झोपड़ी एकता मंच के कार्यकत्ताओं ने 3…

भू-हड़प अध्यादेश का वार, अबकी बार तीसरी बार : डॉ सुनीलम का जेपीसी अध्यक्ष को खुला पत्र

भू-अधिग्रहण अध्यादेश पर मोदी सरकार के अलोकतांत्रिक और कार्पोरेट-हितैषी रवैये के खिलाफ पिछले एक साल से देश भर में किसानों और लोकताांत्रिक समूह विरोध प्रदर्शन करते आ रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद तीसरी बार सरकार द्वारा अध्यादेश का सहारा लेना पूरी तरह देश के जनमानस और लोकतंत्र का मखौल उड़ाना है. संसद के आगामी मानसून सत्र में संयुक्त संसदीय…
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