30 नवंबर 2018 को देश भर के किसानों का दिल्ली कूच : अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति
14 जुलाई 2018, नयी दिल्ली। 193 किसान संगठनो द्वारा बनाये गये, अखिल भारतीय किसान संघर्ष कॉर्डिनेशन कमेटी (AIKSCC) ने यह तय किया कि समुचे देश में 400 सभाएं करेगी, जिसकी शुरुआत 20 जुलाई से होगी। 30 नवंबर 2018 को देश भर के किसान दिल्ली की ओर मार्च करेंगे। पढ़िए आउटलुक से साभार रिपोर्ट;
केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में खरीफ फसलों के लिए घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को देशभर के 200 संगठनों ने किसानों के साथ धोखा बताया है। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने फसलों के एमएसपी को सी2 के फार्मूले के तहत उत्पादन की कीमत तय कर उस पर 50 फीसदी मुनाफा दिए जाने की मांग थी। किसानों का हक दिलाने के लिए देशभर के 200 किसान संगठन एकजूट हो गए हैं, इसलिए 18 जुलाई से शुरू हो रहे मॉनसून सत्र में दो प्रइावेट बिलों को संसद में 20 जुलाई को पेश करेंगे।
समिति की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में यह फैसला किया गया है कि एमएसपी के मुद्दे पर चार माह में चार सौ बैठक होंगी। 20 जुलाई को देशभर के किसान दिल्ली में मंडी हाउस से लेकर संसद मार्ग तक काली पट्टी बांधकर रोष मार्च निकालेंगे। एआईकेएससीसी के संयोजक वी एम सिंह ने कहा कि नरेन्द्र मोदी की 40 बैठकों का जवाब देशभर में 400 मीटिंग करके देंगे।
वी एम सिंह ने बताया कि सरकार समर्थन मूल्य लागत का डेढ़ गुना करने के नाम पर झूठ बोल रही है इसलिए 18 जुलाई से शुरू हो रहे मॉनसून सत्र में दोनों बिल किसानों की पूर्ण कर्ज माफी एवं फसलों के लिए सुनिश्चित लाभकारी मूल्य अधिकार बिल 2018 को संसद में 20 जुलाई को पेश करेंगे। इस मौके पर हजारों किसान लोकसभा का घेराव कर सांसदों से किसानों के दोनों बिलों को समर्थन देने की मांग करेंगे।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ 30 नवंबर को दिल्ली में किसान मुक्ति मोर्चा निकाला जायेगा। इसमें दिल्ली के सभी प्रवेश द्वारा से लाखों की संख्या में किसान दिल्ली पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि देश का किसान अब जागरुक हो गया है, तथा अपनी लड़ाई खुद ही लड़ेगा।
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 2014 के अपने चुनावी घोषणापत्र में और प्रधानमंत्री ने अपनी चुनावी जनसभाओं में किसानों से वादा किया था कि फसलों का एमएसपी स्वामीनाथन रिपोर्ट के तहत सी2 के आधार पर तय किये जायेंगे। बीजेपी की सरकार बनने के बाद 2015 में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर अपने वायदे से उलट कहा कि एमएसपी पर 50 फीसदी देना मुमकिन नहीं है। यहां एक बार फिर सरकार ने पलटी मारी, और 4 जुलाई 2018 को एक झूठा प्रचार करने में जूट गई कि उसने किसानों की लागत पर 50 फीसदी मुनाफा देने की बहुत पुरानी मांग को पूरा करने का अपना वायदा निभाया है।
जय किसान आंदोलन के संयोजक एवं स्वराज अभियान के संस्थापक योगेंद्र यादव ने कहा कि सरकार दावा कर रही है धान के एमएसपी में 200 रुपये की बढ़ोतरी, लागत का डेढ़ गुना के आधार पर तय की गई है। जबकि कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) द्वारा तय लागत सी2 के आधार पर धान का एमएसपी तय होता है तो यह 2,340 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए जबकि धान का एमएसपी 1,750 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। अत: किसानों को 590 रुपये प्रति क्विंटल का घाटा हो रहा है। इसी तरह से ज्वार पर 845 रुपये और रागी पर 660 रुपये प्रति क्विंटल का घाटा लगेगा।
उन्होंने कहा कि 8 से 10 अक्टूबर तक किसान संगठन देशभर की मंडियों का दौरान करेंगे, कि जो तथाकथित एमएसपी तय किया गया है वह भी किसान को मिल रहा है या नहीं। साथ ही किसानों को अपने अधिकारों के लिए जागरुक भी करेंगे।
किसान नेता एवं पूर्व सांसद हनान मोल्ला ने कहा कि 9 अगस्त को बीजेपी सरकार के खिलाफ जेलभरों आंदोलन चलाया जायेगा। यह आंदोलन देशभर में 400 जगहों पर एक साथ चलेगा।