पानी के निजीकरण के खिलाफ बंगलुरू में रैली
पीपुल्स कैम्पेन फॉर राइट टू वाटर, कर्नाटक राज्य रायथा संघ एवं समया सैनिक दल ने मिलकर 28 फरवरी 2011 को कर्नाटक सरकार की कारपोरेट पक्षीय जल कानून तथा नीतियों तथा राज्य के यू.एस. वाटर ट्रेड मिशन के खिलाफ बेंगलुरू में एक रैली का आयोजन किया। इस रैली में राज्य के कोने-कोने से आये 2500 से ज्यादा लोगों ने शिरकत की। रैली में आये लोगों ने बीडब्ल्यूएसएसबी मुख्यालय के रास्ते के.जी. रोड को बंद कर दिया।
कर्नाटक राज्य रायथा संघ के नेता श्री राजेन्द्रन प्रभाकर कोडीहाली चन्द्रशेखर तथा समया सैनिक दल के एम. वेंकटस्वामी और पीसीआरडब्ल्यू के नेता ने रैली को संबोधित करते हुए चेतावनी दी कि बीडब्ल्यूएसएसबी बंगलुरू मैट्रोपोलिटन क्षेत्र में अपनी पानी तथा सफाई संबंधी सेवाओं की कानूनी भूमिका से कोई समझौता नहीं कर सकती।
वक्ताओं ने कहा कि पानी के रिसाव में कमी के नाम पर जल संबंधी सेवाओं के संचालन तथा रखरखाव के निजीकरण की कोशिश का लोगों के भरपूर विरोध का सामना करना पड़ेगा। बीडब्ल्यूएसएसबी द्वारा हाल ही में अपनी सेवाओं के निजीकरण की योजना के खिलाफ यह पहला विरोध प्रदर्शन था।
यह रैली लगभग 1 किलोमीटर लंबी थी। रैली ने कर्नाटक के शहरी विकास और कानून मंत्री सुरेश कुमार को भी मौके पर पहुंचने के लिए मजबूर कर दिया। रैली को नेताओं तथा राज्य में अलग-अलग जगह से आये लोगों ने संबोधित किया तथा मंत्री जी से निजीकरण की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए उनके सामने कुछ मांगें रखीं, जो इस प्रकार हैं-
- कर्नाटक राज्य पानी एवं स्वच्छता कानून 2002 को रद्द किया जाए, संवैधानिक अधिकार के मुताबिक लोगों को पानी का हक मिलना चाहिए।
- हुबली, धारवाड़, बेलगाम व गुलबर्गा जिले में पानी के परिचालन की जिम्मेदारी वेवलिया नाम की फ्रांस की कंपनी को दे दिया गया है, मैसूर में भी यह जिम्मेदारी टाटा के जुसको को दी गयी है। यह अभियान पानी के निजीकरण का विरोध करते हुए यह
- जिम्मेदारी वापिस म्यूनिसिपल कार्पोरेशंस को देने की मांग करता है।
- यह अभियान यह भी मांग करता है कि अमरीका के ट्रेड मिशन को रद्द किया जाय।
- यह अभियान पूरे कर्नाटक राज्य में निजीकरण के चलते हटाए गये सभी सार्वजनिक नलों को वापस लगाने की मांग करता है।