बिहार : कोशी तटबंध प्रभावितों का सत्याग्रह
सुपौल 16 फरवरी 2022; एतिहासिक रूप से नीतिगत अन्याय की पीड़ा भोगने पर विवश, कोशी तटबंध के बीच के लोग, सुपौल जिला पदाधिकारी के समक्ष आपनी मांग उठाते हुए 14 व 15 फरवरी को सत्याग्रह पर बैठे रहे। सत्याग्रह के पहले दिन डीडीसी से वार्ता हुई कोई ठोस नतीजा नही निकला। जारी सत्याग्रह के दूसरे दिन अनुमंडल पदाधिकारी व जिला आपदा प्रभारी सत्याग्रह स्थल पर आकर प्रतिनिधि मंडल को डीएम के साथ वार्ता के लिए ले गये, इसमें कुछ मांगे स्थानीय प्रशासन से थी कुछ मांगे राज्य स्तर पर उठाने के लिए थी।
वार्ता के वाद जिला पदाधिकारी ने गृह क्षति के पैसों के भुगतान की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए जिला आपदा प्रभारी को जल्द कराने को कहा, वही 4 हेक्टेयर तक के माफ लगान के वसूली के मुद्दे पर सम्बंधित दस्तवेजो को पुनः देखकर आगे कार्रवाई का भरोसा दिया, भूमिहीनों को बसाने के लिए जमीन देने की बात मानी। खाद संकट दूर करने का भरोसा दिया, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सभी को लाभ देने की बात भी मानी। बाढ़ सहाय्य की 6000 की राशि देने के मुद्दे पर कोई सहमति नही बन पाई यह मामला पुराना मानकर मुकरते रहे । कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार खोजवाने, सर्वे में नदी की जमीन के खतियान जैसे गम्भीर मुद्दों पर ऊपर के पदाधिकारियों से वार्ता होगी।
वार्ता के बाद सत्याग्रहियों की बैठक हुई और डीएम के नए होने और कुछ मुद्दों पर कार्य बढ़ाने की बात को देखते हुए कुछ दिनों का मुल्लत देते हुए सभी ने संकल्प लिया कि यदि तय मुद्दों की प्रगति नही होती है तो उसके बाद बैठक कर सन्गठन आगे के सत्याग्रह की तिथि तय करेगा। इस बीच अन्य नीतिगत मुद्दों औऱ जिन मुद्दों पर सहमति नही बनी है उनको लेकर पटना में सम्बन्धित वरीय पदाधिकारियों व विधान सभा में सवाल उठवाने का प्रयास किया जायेगा| पीड़ितों के हितैसी पुराने व वरिष्ठ पदाधिकारियों से चर्चा भी होगी।
हम सभी जानते है कि कोशी तटबंध के बीच के लोगों को, नेता अफसर, सरकार, बार-बार ठगते रहते है। उनकी यह आदत बन गयी है, तटबंध के बीच के लोगों द्वारा अपने बुनियादी सवालों को उठाते हुए दो दिनों तक सत्याग्रह में अनवरत बैठ कर एक धक्का स्थानीय प्रशासन पर दिया गया है| कुछ कार्य जरुर बढ़ेगा पर, उठायी गयी अपनी मांगों और राज्य स्तर पर नीतिगत बदलाव के लिए लम्बा संघर्ष करना होगा| इसके लिए आपसी छोटे-छोटे मनमुटाव भुलाकर मजबूत सन्गठन और अपनी एकता कायम करनी होगी और लगातार सूझबूझ के साथ रणनीति बनाकर शांतिपूर्ण जनदबाव बनाते रहना होगा।
कोशी में वर्षों के कार्य के दौरान यह समझ बनी है कि कोशी की समस्या सिर्फ कोशी की तटबन्ध के बीच के लोगों की नही है यह आसपास के सभी लोगों की भी है जो उनकी कुर्बानी पर अपनी समृद्धि की इबादत लिख रहे है। यह न्याय पसंद व संवेदनशील लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस मुद्दे पर सभी को एकजुट होना समय की मांग है।
कोशी तटबन्ध के बीच के लोगों का संघर्ष जिन्दाबाद।
लड़ेंगे! जीतेंगे!!
– महेंद्र यादव