संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

गुजरात सरकार का सरदार सरोवर के 5 गेट्स बंद करने का आदेश

गुजरात शासन की गुलामी मध्यप्रदेश शासन को भारी पडेगी।
सरदार सरोवर के 5 गेट्स बंद हुए कैसे? सर्वोच्च अदालत, की अवमानना।
पांचो गेट्स खुले करेः- नर्मदा बचाओ आंदोलन

17 जून 2017 को गुजरात के मुख्यमंत्री ने गोपनीय ढंग से जयप्रकाश कंस्ट्रक्शन (कंपनी) के हेलिकॉप्टर से सरदार सरोवर बांध स्थल पर जाकर पूजा करने के साथ ही 30 में से 5 गेट्स बंद करने का आदेश दिया है जो कि पूर्णतः अवैध और अन्यायकारक ही नहीं, अमानवीय भी है। अभी 45 हजार परिवारों का पुनर्वास होना बाकी है ।

‘‘यह आवाज आज कुक्षी नगर में (जिला धार) इकठइे हुए कुक्षी तहसील के ही गांव से आये हजारों विस्थापितों से उठी। धार जिले के 76 गांवों के 6132 परिवारों को उनके घरों से तथा दुकाने, ष्षालाएं, धर्मषालाएं, मंदिर, मस्जिद सभी धार्मिक स्थल हो या रोजीरोटी के साधन, सबकुछ खाली करने की ष्षासन की तैयारी का हर दिन, हर रात विरोध करते आये है। बडवानी धार, खरगोन के (पष्चिम निमाड) तथा अलिराजपुर जिले के म.प्र के कुल 40,000 तक परिवार जबकि आज भी लाभ न मिलते हुए जबकि गावों में ही बसे हैं, तब सर्वोच्च अदालत के 2000 से 2017 तक के फैसले हो या नर्मदा ट्रिब्यूनल फैसले के आधार पर और राज्य की पुनर्वास नीति का भी पालन जबकि पूरा नहीं हुआ है तब गेट बंद करना अघोरी है। इन सभी परिवारों को न केवल मकानों को, पेड और मवेषीयों को भी जलसमाधि देने की गुजरात की राजनीति के सामने एक लब्ज न निकालने वाले म.प्र. के मुख्यमंत्री और मात्र गुजरात की गुलामी के कारण किसान-मजदूर विरोधी इनती बडी हत्यारी साजिष करने वाली म.प्र. ष्षासन का धिक्कार किया, सनोबर बी मंसूरी ने।

भागीरथ धनगर, ग्राम चिखल्दा ने कहा, नर्मदा हमारी धरोहर है पूंजी नहीं। इसे पूंजीपतियों की जागीर मानकर लूटने का अधिकार किसी को नहीं है। अगर हमें बिना पुनर्वास डूबाने की या हिंसक बल पर हमारा विस्थापन करने की हिम्म षिवराजसिंह चैहान करेगा तो उसे सत्ता से नीचे उतारे बिना नहीं रहेगी निमाड की जनता।

नर्मदा भक्त यहां की जनता होते हुए, नर्मदा भक्ती और नर्मदा सेवा का ढोंग रचाकर जिस तरह म.प्र. की षासन जातेजागते गावों को उखाडने की सोच रही है, उससे साफ है कि उसे कढ पुतली जैसे दिल्ली का तक्ष्त नचा रहे है। आज ही परीक्षा है कि क्या म.प्र. के मुख्यमंत्री या प्रषासन राज्य के आम लोगों की नुमाइंदगी करेंगे, यह देखने की? 2008 से पुनर्वास पूरा हुआ है, यह दावा या संख्या का खेल हमने बहुत देखा है। म.प्र. ने 25 मई 2017 को जाहीर किया राजपत्र हो, इसमें कितनी गंभीर त्रृटियाॅ और गलतीयाॅ है, यह हम ही बात सकते हैं। इसलिए गुजरात के मुख्यमंत्री का यह बयान कि म.प्र. में पुनर्वास सबसे पहले पूरा हुआ है, न केवल हास्यात्मक बल्कि धिक्कारजनक है।

युवा साथी विजय मरोला ने कहा, नर्मदा के युवा भी तैयार है, अगर ष्षासन ने युध्द खेलना ही चाहे। हमारा भविष्य डूबाने वाले हमारे नुमाइंदे नहीं हो सकते। हमारी ग्रामसभा का ही निर्णय अंतिम है और रहेगा।
निसरपुर नगरवासी हर दिन अपने 3000 परिवारों का 46 धार्मिक स्थलों का, 3500 बडे पेडों का हजारों मवेषियों, सैकडो व्यावसायि को का गांव उजाडने के खिलाफ, लगातर संघर्षरत है। उनकी और से मुकेष सिपाही, सुरेष पाटीदार ने आमसभा को संबाधित करते हुए कहां कि हमारा गांव डूबाकर तो देखे सरकार, उसे जम्नभर याद रहेगी अपने पापकर्म की1 निसरपुर के कुम्हार, मछुआरे, व्यापारी हो या कितना मजदूर अपनी मातृभमी के लिए एक होकर लडेंगे। प्रषासन मात्र संगठित ष्षक्ति को तोडने और झूठे वचनपत्र तथा आष्वासनों से गरीबो को विषेषतः उठने के लिए मजूबर करने की खिलाफत भी उन्होने की।

देवराम केनरा ने मंदसौर में हुई किसान हत्या की तुलना निमाड में, नर्मदा घाटी के किसान-मजदूरों की जलहत्या से की और म.प्र. के मुख्यमंत्री को किसानी के विरोधी करार करते हुए कहां कि यह काम करोंगे तो नर्मदा ही तुम्हारा राजनीतिक अंत लाएगी।

मेधा पाटकर ने कहा कि गुजरात और मध्यप्रदेष की सरकारों ने मिलकर, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेष के विस्थापितो की न केवल अवमानना की है बल्कि उनकी धरोहर, नर्मदा की संस्कृति और प्रकृति के विनाष की नीव रचना चाही है। इस साजिष का नाम विकास नहीं हो सकता। गुजरात ष्षासन और मोदी ष्षासन एक ही है। उन्होने ने मात्र चुनावी मखसद और कंपपीवादी आर्थिक सोच के लिए धरती और नदी जुडे समाजों का प्रलय से टकराने मजबूर करना चाहा है। लेकिन देष में अगर न्याय और जनतंत्र जीवित है तो जरूर हमें आज भी न्याय मिलेगा।

आज भी हमारी पुकार है कि पाचों गेट्स तत्काल खोले जाए और गेट बंद करना, हर अंतिम व्रूक्ति का पुनर्वास नहीं होगा, तब तक मौकूफ रखे।

घाटी की जनता ने कुछ दषलक्ष बडे, रात को पुराने पेडों का विनाष करके फल-फूल झाड लगाने का पौधारोपण को हास्यास्पद घोषित किया।

आंदोलन ने घोषणा की अब हर रोज वे अपना विरोध तेज करते जाएंगे और माध्यमकर्ताआं को ऐलान किया कि देष के विकास और जनतंत्र के इतिहास में लिखा जा रहा ष्षासकीय हिंसा और जनआंदोलन की अहिंसा के बीच के टकराव की तथा नर्मदा घाटी की सच्चाई और हकीकत को वे जनता के सामने रखे, नहि गांधीनगर, दिल्ली या भोपाल से डाली जा रही झूठी खबरे और आकडों को।

कमला यादव राहुल यादव मोहन पाटीदार वाहिद भाई विमला बहन
संपर्क नं. 9179617513
प्रेस नोट 18/06/2017

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