संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

भाखड़ा बांध विस्थापित आर-पार की जंग को तैयार

भाखड़ा बांध विस्थापितों की सभी कमेटीओं की बैठाकें 9 जून को मलराओं तथा 10 जून कोसरियां व वाला गाँव में संपन हुई. इन बैठकों में सभी भाखड़ा बांध विस्थापित सुधार समिति की 14 इकाईओं के प्रतिनिधिओं ने भाग लिया. बैठकों में भाखड़ा विस्थापितों की मांगों को मनाने के लिय आन्दोलन को तेज करने का आवहन किया गया. बैठकों में हिमालय नीति अभियान के संयोजक गुमान सिंह, संदीप मिन्हास, भाखड़ा बांध विस्थापित सुधार समिति के प्रधान नन्द लाल शर्मा, कृष्ण लाल गौतम व प्रेम सिंह ने भाग लिया.

माननीय उच्चतम न्यायलय के फैसले पर चर्चा हुई, जिस में 7 .19 % विद्युत् उत्पादन का हिस्सा हिमाचल का माना गया है इस राशी को विस्थापितों पर खर्च करने की मांग की गई. इस फैसले के मुताविक 1 -11 -1966 से यह राशी हिमाचल को दी जाय गी जो अनुमानित चार हजार करोड़ रुपया बनती है. हिमाचल सरकार ने भी अपनी दलील में उच्चतम न्यायलय में माना है कि भाखड़ा बांध विस्थापितों का पुनर्वास व पुनर्स्थापना का कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है तथा 7 .19 % के अतिरिक्त 12 % हिस्सा प्रदेश को विद्युत् नीति के तहत दिया जाय ताकि विस्थापन के लंबित मामले निपटाए जाएँ. भाखड़ा बांध विस्थापित सुधार समिति ने भी हिमाचल सरकार की इस पटीशन में दखल पटीशन दायर की थी जिस में समिति को उच्च न्यायालय में जाने का सुझाब दिया गया था जिस के बाद समिति ने हिमाचल उच्च न्यायालय में पटीशन दायर कर दी है.
यह मांग की गई कि यह राशी भाखड़ा बांध विस्थापितों के कल्याण पर खर्च हो तथा लंबित विकास कार्यों जैसे सडक, सिंचाई व पेय जल, पुल, शिक्षा, स्वास्थ्य इत्यादि पर एक मास्टर प्लान बनाकर खर्च की जाए. सरकार भाखड़ा बांध विस्थापितों के विकास के लिए एक नई संस्था या अथोरिटी बनाए जिस में विस्थापितों के प्रतिनिधि भी शामिल हों . यह अथोरिटी सभी विस्थापितों जो बिलासपुर जिला के गाँव, बिलासपुर शहर व जिला से बाहर रह रहे हों को मास्टर प्लान बनाने में शामिल करे तथा इसी प्लान के तहत विकास कार्य हों.
1971 में बनी पुनर्वास व पुनर्स्थापना नीति के तहत बहुत कम परिवारों को भूमि के बदले भूमि मिली है इसलिय इस नीति के पात्रों को फिर से भूमि के बदले भूमि देने की प्रक्रिया पूरी की जाए.
वन अधिकार कानून -2006 जो 27 मार्च 2012 से पुरे प्रदेश में लागु किया जा रहा है को जल्द अम्ल में लाया जाए तथा वन भूमि पर काबज सभी किसानों को अधिकार पट्टे दिए जाएँ. वन विभाग द्वारा बनाए सभी नजायज कब्जे के केस इस कानून के लागु होने की प्रक्रिया तक बंद किया जाए, जो वन अधिकार कानून -2006 के तहत वाध्यता है. सभी वर्तनदारी वनों को गांवों वन इस कानून के तहत घोषित किया जाए.
सभी राजनैतिक पार्टियों को भी समिति अपना मांग पत्र भेजेगी तथा मांग करेगी की पार्टियाँ इन मांगों को अपने घोषणा पत्रों में शामिल करे.
समिति ने फैसला लिया कि अपनी मांगों को मनाने व व्यापक मान्यता देने के लिए सितम्बर 2012 को भाखड़ा में IPT (Indipendent People Tribunal ) का गठन करे गी. जिस में विस्थापित पूर्व न्यायाधीशों व विशेषज्ञों की जूरी के सामने अपने प्रतिवेदन रखेंगे. यह जूरी अपनी रिपोर्ट अक्तूबर तक जारी करेगी. इस IPT में हजारों लोग भाग लेंगे जो भाखड़ा तक नावों द्वारा रैली निकलते हुए पहुंचेंगे.
समिति “विस्थापितों की दस्ता” नाम की पुस्तक का भी संकलन करेगी जिस में विस्थापित अपने पुराने और आज तक के विस्थापन से स्वयं भुगती परेशानियों व अनुभवों को लिखेंगे.
समिति ने विस्थापन की त्रिस्दी व अपने लम्बित वाजिब अधिकारों के लिए आर-पर की जंग लड़ने का भी फैसला किया जिस की रणनीति IPT के बाद निर्धारित की जाएगी.
– नन्द लाल शर्मा, भाखड़ा बांध विस्थापित सुधार समिति
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