संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

महाराष्ट्र के किसान गुजरात बॉर्डर पर गिरफ्तार : अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने का हक छीना विदर्भ के किसानों से

पिछले 15 सालों से लगातार सूखे से त्रस्त और आत्महत्या करते किसान अपने हक के लिए जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के गावं से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गांव तक की यात्रा ले कर निकले तो उन्हें महाराष्ट्र-गुजरात की सीमा पर उन्हें रोक दिया गया। गौरतलब है कि 20 अप्रैल  2017 की सुबह  अमरावती (महाराष्ट्र) से चला किसानों का ये दस्ता रात में नरेंद्र मोदी  (गुजरात) के गाँव वड नगर पहुंचने वाला था। 21 अप्रैल को लगभग 1000 किसान खून दान करके मोदी जी से कहने वाले थे कि “खून ले लो जान मत लो’’, “हम किसान जीना जीना चाहते हैं।” लेकिन नीरो के रूप में हमारे देश के प्रधानमंत्री को किसानो का यह रोना बिलकुल नहीं सुहाया और उन्हें गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा पर ही रोक दिया। एक तरफ हमारे देश के प्रधानमंत्री विदेशी राजनायकों के देश के दौरे के समय भव्य स्वागत करते हैं वहीं दूसरी तरफ जब पूरे देश के लिए अन्न पैदा कर रहे किसान अपने जीवन पर आए संकट की सुनवाई के लिए विरोध करते हैं तो उन्हें भूखे-प्यासे गुजरात की सीमा पर बैठने के लिए मजबूर कर दिया जाता है। यही भारत के अच्छे दिनों की असली तस्वीर है। हम यहां आपके साथ मयंक सक्सेना की रिपोर्ट और किसानों के आंदोलन के साथ एकजुटता की अपील साझा कर रहे है;

महाराष्ट्र-गुजरात की सीमा पर 2000 किसानों को सैकड़ों पुलिसवालों ने घेर कर सीमा पर ही रोक लिया है.

क्या आपको पता है कि महाराष्ट्र में विदर्भ के किसान सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन कर रहे हैं ?

ये किसान मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के गांव से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गांव तक की यात्रा ले कर निकले हैं.

विदर्भ के किसान लगातार डेढ़ दशक से पड़ रहे सूखे से त्रस्त हैं और लाखों किसान आत्महत्या कर चुके हैं.

विरोध यात्रा पर अपनी मांगें लेकर निकले इन किसानों और विधायक बच्चू कडू से अभी मेरी बात हुई है.

ये किसान निर्दलीय विधायक बच्चू कडू के नेतृत्व में 2000 किसान जब गुजरात की सीमा पर पहुंचे, तो उनको गुजरात में घुसने से रोक दिया गया है.

अहिंसक आंदोलन और विरोध यात्रा पर निकले ये किसान भूखे-प्यासे कई घंटे से गुजरात की सीमा पर बैठे हैं.
और पुलिस इनको न आगे जाने दे रही है, न ही इनको खाना-पानी ही मिल रहा है.

आपको हैरानी नहीं होती है कि आपकी मीडिया, अभी भी मोदी-योगी के गुणगान कर रही है.

क्या इन किसानों की सुने सरकार के पीएम और सीएम आएंगे ?

क्या किसानों के लिए अच्छे दिन का वादा यही था?

तस्वीरें साझा हैं…इस पर सोचिएगा और किसानों के साथ खड़े होनी की हिम्मत जुटाइएगा…

विदर्भ न जा पाएं, तो दिल्ली में तमिल किसानों के ही पास चले जाइएगा…

जो साथी गुजरात की सीमा पर हैं…वह इनकी मदद करें.

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