संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

आई बी रिपोर्ट का इस्तेमाल कर एस्सार गांववालों को ग्रीनपीस के खिलाफ भड़का रहा है

सिंगरौली, मध्यप्रदेश, 20 जून2014। एक वन संरक्षण कार्यकर्ता को सिंगरौली पुलिस ने अमिलिया में ग्रामसभा  की कार्यवाही को रिकार्ड करते हुए गैरकानूनी तरीके से हिरासत में ले लिया। सरपंच  द्वारा महान संघर्ष समिति (एसएसएस) के सदस्यों के विरुद्ध मारपीट करते समय इस कार्यकर्ता ने सरपंच की फोटो खींची थी। पुलिस ने उसका कैमरा छीन लिया और कैमरे के रील को नष्ट कर दिया। महान संघर्ष समिति और ग्रीनपीस इंडिया ने इस घटना को अलोकतांत्रिक बताते हुए कहा कि एस्सार महान में चल रहे जंगल बचाने के स्थानीय आंदोलन को कुचलना चाहता है।

ग्रीनपीस की प्रिया पिल्लई, जो महान संघर्ष समिति (एमएसएस) के साथ मिलकर काम करती हैं, ने कहा कि “एम एस एस का एक कार्यकर्ता सिर्फ ग्राम सभा की कार्यवाही में हो रही हिंसा को रिकार्ड करने की कोशिश कर रहा था। जिस कार्यकर्ता ने ग्रामसभा की बैठक में कुछ सवाल उठाए उसे पुलिस वहां से उठाकर ले गई। उनके कैमरे का रील निकालकर नष्ट करने के बाद उसे छोड़ा गया। यह पुलिस का अलोकतांत्रिक और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार किया है।”

ग्रीनपीस पिछले कुछ दिनों से इस तरह की घटनाओं को एक खास नजरिए से देखने के लिए बाध्य हुआ है। जिस रूप में ग्रीनपीसइंडिया के खिलाफ दो रिपोर्ट लीक की गई है इसका असर सिंगरौली में महसूस किया जा रहा है। प्रिया पिल्लई का कहना है, “एस्सार इस रिपोर्ट की आड़ में लोगों को एमएसएस और ग्रीनपीस के खिलाफ भड़का रहा है। वे  लोग एमएसएस और ग्रीनपीस के किए अच्छे काम को खारिज करने के लिए इस रिपोर्ट को भड़काऊ पर्चे के रूप में बांट रहा है और इन संगठनों को बदनाम कर रहा है।”

ग्रीनपीस इंडिया एमएसएस की उस लड़ाई में शामिल है जिसमें एस्सार 4000 से अधिक पेड़ों को काटकर कोयला खदानबनाना चाहता है जिससे जैव विविधता को भारी नुकसान पहुंचेगा। इसके अलावा इस कोयला खदान से उन 54 गांवों के पचास हजार से अधिक लोगों की आजीविका को नष्ट कर देगा, जो महान के जंगल पर पूरी तरह निर्भर है।

प्रिया पिल्लई का कहना है कि यह वन संरक्षण कार्यकर्ताओं के खिलाफ स्थानीय पुलिस-प्रशासन के पूर्वाग्रह को दर्शाता है। पिछले महीने दो ग्रीनपीस कार्यकर्ता और एसएसएस के दो सदस्यों को महान में खनन रोकने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया था। उनमें से तीन को 40 घंटे से अधिक हिरासत में रखने के बाद जमानत पर रिहा किया गया जबकि चौथे कार्यकर्ता बेचनलाल को 28 दिन जेल में बंद रखने के बाद जमानत दी गई थी।

सरकार के इस कार्यवाही के खिलाफ उस क्षेत्र के विभिन्न संगठनों के प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कलक्टर के कार्यालय के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया था।

एमएसएस के कांति सिंह खैरवार ने कहा, “इस तरह के दुर्भावनापूर्ण कृत्य से हम ग्रामीणों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि हम अपने जंगलों को बचाने के लिए किसी भी तरह के यातना को सहने के लिए तैयार हैं। ये कंपनियां हमारे खिलाफ स्थानीय शासन में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके हमारे उपर दवाब बनाने की साजिश कर रही है।”

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