संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

जंतर मंतर पर गूंजी दमन के खिलाफ आवाज: डॉ. सुनीलम और दयामनी बारला को रिहा करों !

जन आंदोलनों पर दमन बंद करो! 
 
डॉ. सुनीलम और दयामनी बरला को रिहा करो!!

तसवीर: मुकूल दुबे 
डॉ. सुनीलम एवं मुलताई (मध्य प्रदेश) के किसान साथियों तथा नगडी (झारखण्ड) की दयामनी बारला कि गलत तरीके से मुक़दमे में फंसा कर जेल भेजने के खिलाफ  तथा किसानों की जमीनी मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के समर्थन में आज 26 नवम्बर 2012 को जंतर-मंतर, संसद मार्ग पर देश के विभिन्न जनसंगठनो ने १ दिन का धरना दिया. 
न्यायमूर्ति राजेंद्र सच्चर ने मुलताई के किसानों और वाहन के किसान नेता के साथ प्रशासन एवं पुलिस ज्यादती की निंदा की तथा उम्मीद व्यक्त की कि न्यायपालिका से डॉ. सुनीलम और दयामनी बारला को अवश्य न्याय मिलेगा.
आल इंडिया फोरवर्ड ब्लाक के महासचिव महासचिव कॉम. देवव्रत विश्वास ने कहा कि डॉ. सुनीलम का सवाल केवल भारत का ही नहीं बल्कि बंगलादेश, नेपाल, पाकिस्तान सहित सभी पडोसी मुल्कों के किसानों और मजदूरों का सवाल है.

जनांदोलनों  का राष्ट्रीय समन्वय के भूपेंद्र रावत ने सरकार को चुनोती देते हुए कहा कि किसानों एवं मजदूरों पर जुल्म ढहना सभी सरकारों को बहुत माँगा पड़ेगा. सुश्री पाटेकर ने मुलताई के किसानों पर लगे सभी फर्जी मुक़दमे वापस लेने तथा डॉ. सुनीलम और दयामनी बारला को शीघ्र से शीघ्र रिहा करने की मांग की.

न्यायमूर्ति राजेंद्र सच्चर सहित धरने को संबोधित करने वाले सभी वक्ताओं ने डॉ. सुनीलम से अपील की कि डॉ सुनीलम जनांदोलन के व्यापक समर्थन में अपनी भूख हड़ताल को समाप्त करें.
उल्लेखनीय है कि डॉ सुनीलम और दयामानी बरला को जेल में रख कर भारत का शासक वर्ग कारपोरेट जगत का हित साधने में लगा है। डॉ. सुनीलम, शेष राव और प्रहलाद अग्रवाल को बैतूल जिले के प्रथम सत्र न्यायाधीश एस.सी. उपाध्याय द्वारा मुलताई गोली कांड में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। 12 जनवरी, 1998 को बैतूल जिले के मुलताई तहसील में पुलिस ने गोली चालन कर 24 किसानों को मौत के घाट उतार दिया और 150 किसानों को घायल किया। ‘आजाद’ भारत में इतने बड़े जनसंहार कराने वाले शासक वर्ग के एक भी दोषी अधिकारी या राजनीतिक को कोई सजा नहीं हुई। सजा हुई भी तो उन किसान नेताओं को जो अन्नदाता कहे जाने वाले किसानों की जायज मांग को लेकर प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे। 
डॉ. सुनीलम के सजा सुनाने के एक हफ्ते के अंदर ही म.प्र. सरकार ने अदानी पेच पॉवर प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिये 1200 पैरा मिलिट्री फोर्स पेंच व्यपर्वतन परियोजना को पूरा करने के लिए भेज दिया है और छिन्दवाड़ा के पूरे जिले में 30 अक्टूबर, 2012 से धारा 144 लागू कर दी गयी है। एड0 अराधना भार्गव जब अपनी मां की तेरहवीं में हिस्सा लेने छिन्दवाड़ा गई तो उनको गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। इस गैर कानूनी गिरफ्तारी के विरोध में जब मेधा पाटेकर छिन्दवाड़ा गई तो उनको तथा उनके 17 समर्थको को गैर कानूनी हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया। 
दयामनी बरला को झारखंड सरकार द्वारा 16 अक्टूबर, 2012 से गिरफ्तार कर के जेल में रखा गया है। झारखंड में इस आदिवासी महिला को जनता के हित में सघर्षों के लिए जाना जाता है। झारखंड सरकार जो कि जनता के संसाधनों को कारोपरेट जगत के हाथों बेचने के लिए विख्यात है उसकी नीतियों का लगातार दयामनी पर्दाफाश करती रही हैं। दयामनी दुनिया के सबसे बड़ी स्टील प्लांट कम्पनी के विरोध का नेतृत्व भी कर रही थी जो खूंटी तोरपा में आर्सेलर-मित्तल के द्वारा लगना था। पूंजीवादी परस्त नीतियों के विरोध के कारण ही दयामनी को गलत तरीके से जेलों में रखा गया है। 
दयामनी पर एक के बाद एक तीन मुकदमें लगाए गये, जिनमें से दो में जमानत हो जाने के बाद भी उन्हें जेल से बाहर नहीं आने दिया जा रहा है। तीसरे मुकदमें में जमानत की सुनवाई चार बार आगे बढ़ाई जा चुकी है 24 नवम्बर 2012 को रांची सेशन कोर्ट ने पाचवी तारीख पर जमानत अर्जी ख़ारिज कर दी. जबकि इस मुकदमें के 6 में से 5 लोग जमानत पर बाहर हैं। 
डॉ. सुनीलम और दयामनी के उदाहरण आम जनता के मन में न्यायापालिका की स्वायत्तता और स्वतंत्रता पर गम्भीर सवालिया निशान खड़े करते हैं, जो किसी भी तरह से जनतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है। 
राजीव भृगुकुमार अध्यक्ष  इंडियन सोसिलिस्ट फोरम ने धरने का संचालन किया.
धरने पर बैठने वाले प्रमुख नेताओ में दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजेंदर सच्चर, आल इंडिया फोर्वोर्ड ब्लाक के महासचिव कॉम. देवव्रत विश्वास, जनांदोलन का राष्ट्रीय समन्वय के भूपेंद्र रावत, युसूफ मेहर अली सेंटर मुंबई की गुड्डी, जानी-मानी समाजवादी नेत्री जया जेटली, हिंद मजदूर सभा की मंजू मोहन, वनवासी सेवा आश्रम दंतेवारा  के हिमांशु कुमार, लोकशक्ति अभियान ओडिशा के प्रफुल्ल सामंत रे, युवा भारत के डॉ. ए. के. अरुण, भारत जान आंदोलन, जयंत वर्मा, मध्य प्रदेश किसान संघर्ष समिति के राजेश वैरागी, राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता संजय कनौजिया,  सहित दर्जनों जनसंगठनो के प्रतिनिधि एवं विभिन्न राजनेतिक दलों के प्रतिनिधोयों ने भाग लिया.
 
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