संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

जाने-माने पत्रकार प्रफुल्‍ल बिदवई का एम्‍सटर्डम में निधन

“वामपंथी विचारधारा के जाने-माने पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता प्रफुल्‍ल बिदवई का एम्‍सटर्डम में आकस्मिक निधन हो गया है। ”                                                                         साभार  : आउटलुक

नई दिल्‍ली। जाने-माने पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता प्रफुल्‍ल बिदवई का सोमवार रात नीदरलैंड्स की राजधानी एम्‍सटर्डम में निधन हो गया है। उनके करीबी लोगों का कहना है कि 66 वर्षीय बिदवई की मौत गले में खाना अटकने की वजह से हुई। एक सम्‍मेलन के सिलसिले में वह एम्‍सटर्डम गए हुए थे। उनकी अचानक मौत का समाचार मिलने से उनके प्रशंसकों और परिचितों को काफी झटका लगा है।

वामपंथी विचारधारा के अग्रणी पत्रकारों में शुमार बिदवई राजनीति, विदेश नीति, पर्यावरण, परमाणु ऊर्जा और जन आंदोलनों से जुड़े मुद्दों पर देश-विदेश के विभिन्‍न पत्र-पत्रिकाओं में लिखते थे। परमाणु विरोधी अभियानों में उनकी सक्रिय भागीदारी रही। वर्ष 1998 में पोखरण विस्‍फोट के बाद शुरू किए गए परमाणु निशस्‍त्रीकरण और शांति अभियान के वह संस्‍थान सदस्‍य थे। प्रफुल्‍ल बिदवई ने विदेश नीति और परमाणु ऊर्जा की राजनीति पर कई किताबें भी लिखीं। इनमें अचिन विनायक के साथ लिखी New Nukes: India, Pakistan and Global Nuclear Disarmament काफी च‍र्चित रही। भारतीय वामपंथ पर जल्‍द ही उनकी नई किताब इस साल के आखिर तक प्रकाशित होने वाली थी। बिदवई अक्‍सर आउटलुक हिंदी और अंग्रेजी पत्रिका के लिए भी लिखते थे। आउटलुक में छपे उनके लेख यहां पढ़े जा सकते हैं http://www.outlookindia.com/people/2/praful-bidwai/5257

स्‍वतंत्र पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता के ताैर पर पहचान बनाने से पहले प्रफुल्‍ल बिदवई काफी समय अंग्रेजी अखबार टाइम्‍स ऑफ इंडिया में सीनियर असिस्‍टेंट एडिटर थे। आजीविन अविवाहित रहे बिदवई नई दिल्‍ली के सेंटर फॉर सोशल डेवलपमेंट और नेहरू स्‍मारक संग्रहालय और पुस्‍तकालय से फैलो के तौर पर जुड़े रहे। बिदवई के अचानक निधन की खबर से पत्रकारिता जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। देश-विदेश के जाने-माने पत्रकार सोशल मीडिया पर उनके लेखन और व्‍यक्तित्‍व को याद करते हुए उन्‍हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। 

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